Last Updated on अप्रैल 9, 2024 by Neelam Singh
सारांश
एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि करेला और जामुन पाउडर का सेवन करने से मधुमेह को प्राकृतिक रुप से नियंत्रित किया जा सकता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा आधा सत्य है।
दावा
फेसबुक पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि करेला और जामुन पाउडर का सेवन करने से मधुमेह को प्राकृतिक रुप से नियंत्रित किया जा सकता है।
यहाँ यह बताना आवश्यक है कि हम दावे की जांच कर रहे हैं न कि उत्पाद की।
तथ्य जाँच
क्या करेला में मधुमेह को नियंत्रित करने के गुण होते हैं?
शोध बताते हैं कि बायोएक्टिव यौगिकों की उपस्थिति के कारण करेला मधुमेह पर प्रभाव डालता है। ऐसा करेले में मौजूद चारैन्टिन, विसीन और पॉलीपेप्टाइड-पी के संभावित एंटीडायबिटिक प्रभावों के कारण होता है। ये यौगिक इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार और आंतों में ग्लूकोज अवशोषण को कम करके रक्त शर्करा के स्तर को विनियमित करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि मधुमेह के प्रबंधन में इन यौगिकों के प्रभावशीलता को पूरी तरह से समझने के लिए और शोध की आवश्यकता है। यहाँ यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि करेला को मधुमेह के चिकित्सीय उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।
क्या जामुन मधुमेह को नियंत्रित करता है?
शोध बताते हैं कि जामुन के बीज में पाए जाने वाला यौगिक जैम्बोलिन (Jamboline) आंतों में कार्बोहाइड्रेट के टूटने की गति को धीमा करने में मदद कर सकता है, जो रक्त शर्करा को बढ़ने से रोकने में मदद कर सकता है। यह इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में भी मदद कर सकता है। इंसुलिन एक हार्मोन है, जो रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
कई अध्ययनों से पता चलता है कि जामुन में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जिससे रक्त शर्करा के स्तर में कमी आती है। जामुन फल के बीज विशेष रूप से एल्कलॉइड से भरपूर होते हैं, जो इन प्रभावों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जामुन को मधुमेह के चिकित्सीय उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।
क्या करेला और जामुन मधुमेह को नियंत्रित कर सकते हैं?
कुछ हद तक, लेकिन करेला और जामुन मधुमेह के हर प्रकार या हर स्थिति के लिए लाभप्रद नहीं हो सकते क्योंकि टाइप 1 मधुमेह (Type 1 Diabetes) में शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है इसलिए रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित करने के लिए बाहरी तौर पर इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। इसमें आमतौर पर कई दैनिक इंजेक्शन या इंसुलिन पंप पहनना शामिल होता है। वर्तमान में टाइप 1 मधुमेह को रोकने का कोई उपाय नहीं है।
वहीं टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) में चिकित्सक रक्त शर्करा स्तर के अनुसार दवाई लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा खान-पान, एक्सरसाइज, वजन नियंत्रित रखने आदि की सलाह भी दे सकते हैं। ये सभी निदान मरीज की स्थिति और शर्करा की गंभीरता को समझते हुए किए जाते हैं, जो हर मरीज के लिए भिन्न हो सकते हैं।
ऐसे में केवल करेला और जामुन पर निर्भर रहना स्थिति को गंभीर बना सकता है। भले ही मधुमेह को नियंत्रित करने में ये उपयोगी हो लेकिन मरीज की आनुवांशिक स्थिति, दिनचर्या, अन्य दवाईयों का सेवन, धुम्रपान, शराब आदि का सेवन भी मधुमेह पर प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए नियमित जाँच की भी आवश्कता होती है।
पटना स्थित डायबिटीज एंड ओबिसिटी केयर सेंटर के संस्थापक एवं डायबेटोलोजिस्ट डॉ. सुभाष कुमार बताते हैं, “मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन इसे संपूर्ण तौर पर समाप्त नहीं किया जा सकता। मधुमेह को नियंत्रित रखने के लिए जरुरी है कि मीठे चीजों से परहेज किया जाए और नियमित तौर पर अपने रक्त शर्करा की जाँच की जाए। हालांकि करेला, जामुन या जामुन के बीज मधुमेह रोगियों के लिए हानिकारक नहीं है लेकिन केवल इन पर निर्भर रहना कहीं से भी सही नहीं है। मधुमेह नियंत्रण के लिए कोई एक मानक नहीं है बल्कि अनेक मानक हैं। जैसे- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन ना करना, मीठा से परहेज करना, नियमित शारीरिक गतिविधि करना, वजन को नियंत्रित करना, नियमित तौर पर अपने चिकित्सक से परामर्श लेना, इत्यादि।”
अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि करेला और जामुन के बीज भले ही मधुमेह को नियंत्रित करने में अपनी भूमिका निभाते हो लेकिन इसे प्राकृतिक तौर पर नियंत्रित नहीं कर सकते इसलिए यह दावा आधा सत्य है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है। जैसे- चाय के साथ रस्क का सेवन मधुमेह बढ़ा सकता है और करेले के जूस में पैर भिगोना मधुमेह के लिए फायदेमंद है।
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