हल्दी का वैज्ञानिक नाम कर्क्यूमा है। ये चिकित्सीय गुणों के साथ सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाला औषधीय पौधा है। हल्दी का करक्यूमिन तत्व इसे अधिक उपयोगी बनाता है। करक्यूमिन में मुख्य रूप से एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल और एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह लेख कृमि निवारण की प्रक्रिया और इसके महत्व को स्पष्ट करता है। इसके आलावा, हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि क्या हल्दी का उपयोग हल्दी कृमि निवारक के रूप में किया जा सकता है?
कृमि निवारण (Dewormer) क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार कृमि संक्रमण वैश्विक आबादी के एक तिहाई से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। हालांकि, कृमि संक्रमण शिशु के सम्रग विकास कारकों अर्थात् स्वास्थ्य, पोषण, अनुभूति, सीखने और शिक्षा ग्रहण इत्यादि कों नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
कृमि-निवारण क्यों आवश्यक है?
डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार बच्चों को कृमि निवारण की आवश्यकता होती है क्योंकि वे अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास के कारण कृमि संक्रमण के आसानी से शिकार हो जाते हैं। यदि इसे लाइलाज छोड़ दिया जाए, तो ये संक्रमण उनके समस्त विकास में बाधा डाल सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें खराब पोषण भी हो सकता है। इसके अलावा, उनकी ध्यान केंद्रित करने और सीखने की क्षमता में भी कमी आ सकती है। कृमि निवारण उपचार प्रत्येक बच्चे में कृमियों की संख्या को कम करने का एक सरल, सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। नियमित कृमि निवारण, स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के सुधार में योगदान देता है।
क्या हल्दी में कृमिनाशक गुण होते हैं?
2018 के एक अध्ययन में हल्दी, विशेष रूप से इसके सक्रिय यौगिक करक्यूमिन का, इसके संभावित कृमिनाशक गुणों के लिए अध्ययन किया गया है। शोध से स्पष्ट है कि करक्यूमिन का कुछ परजीवियों जैसे लीशमैनियासिस, एकैंथमोएबा कैस्टेलानी, एंटामोएबा हिस्टोलिटिका, ट्राइकोमोनास वजाइनालिस, इत्यादि के खिलाफ कृमिनाशक प्रभाव हो सकता है। हालांकि अभी भी हल्दी और करक्यूमिन के कृमिनाशक गुणों की जांच की जा रही है। हमें कृमि निवारण उपचार के संदर्भ में इसकी प्रभावकारिता, इष्टतम खुराक और संभावित दुष्प्रभावों को पूरी तरह से समझने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है।
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