Last Updated on अप्रैल 18, 2024 by Neelam Singh
सारांश
एक फेसबुक वीडियो में दृष्टि दोष को ठीक करने का दावा किया गया है। इसमें आंखों की रोशनी को दोबारा प्राप्त करने की बात भी कही गई। लेकिन, जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जांच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
दावा
फेसबुक पर जारी एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि किसी भी उम्र में अंधेपन का इलाज किया जा सकता है और खोई हुए दृष्टि को दोबारा प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही इस पोस्ट में जाने माने पत्रकार के वीडियो का इस्तेमाल किया गया है जो इस दवा के बारे में बता रहे हैं।
तथ्य जांच
दृष्टि दोष क्यों होता है?
आंखों की सेहत अनेक मानकों जैसे – अनुवांशिकता, दिनचर्या, खानपान इत्यादि पर निर्भर करती है। इस लेख के अनुसार Macular degeneration के कारण आंखों की रौशनी कमजोर हो जाती है। इसके अलावा मोतियाबिंद एवं ग्लूकोमा के कारण भी आंखों की रोशनी कमज़ोर हो जाती है। इसके साथ ही ज्यादा समय तक तेज़ धूप में रहने और डायबिटीज, धूम्रपान के कारण भी आंखों की रोशनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। Myopia, Hypermetropia , Amblyopia, Presbyopia, Astigmatism के कारण भी आंखें कमजोर हो जाती हैं। मायोपिया(निकट दृष्टि दोष) में दूर की चीजें नहीं दिखाई देती, हाइपरोपिया में पास की चीजें देखने में कठिनाई होती है। प्रेसबायोपिया के कारण मध्यम आयु और बुर्जुग लोगों को पास की चीजों को देखने में परेशानी होती है। इसके अलावा, एस्टिग्मेटिज्म में दूर और नज़दीक की चीज़े धुंधली दिखाई देती हैं।
क्या दृष्टि दोष पूरी तरह से ठीक हो सकता है?
अध्ययन बताते हैं कि आंखों की रौशनी को ख़राब होने के बाद पूर्ण रूप से कभी ठीक नहीं किया जा सकता है। आंखों की रौशनी को ठीक करने का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। शोध पत्र के अनुसार हरी पत्तेदार सब्जियों में एंटी-बायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-एनाल्जेसिक, एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं, लेकिन इनसे आंखों की रोशनी पूरी तरह ठीक होने का कोई भी दावा मौजूद नहीं है।
आंखों का स्वास्थ्य कई मानकों दिनचर्या, खानपान, समय-समय पर नेत्र जांच,आनुवांशिकता इत्यादि पर निर्भर करता है लेकिन आंखों की रोशनी वापस आने को लेकर कोई प्रमाण या रिसर्च पैपर मौजूद नहीं हैं।
डॉ. नवीन गुप्ता, डीएनबी (ऑप्थल्मोलॉजी) बताते हैं कि ”’आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा’ और ‘दृष्टि में सुधार कर सकते हैं’ कथन में अंतर है। लेकिन अधिकांश लोग इन दोनों के बीच भ्रम की स्थिति में रहते हैं क्योंकि आंखों की रोशनी बढ़ाने से अगर मतलब चश्मे की संख्या कम करने से है, तो ऐसा हरगिज नहीं है।”
नेत्र सर्जन डॉ. आफताब आलम, एमबीबीएस, डीओ (नेत्र विज्ञान) बताते हैं, “सब्जियों का सेवन आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे दृष्टि में सुधार करेंगे। ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।”
शोध बताते हैं कि मधुमेह, Macular Degeneration, Traumatic injuries, Glaucoma अंधापन के मुख्य कारण हैं। अंधापन भी कई प्रकार का हो सकता है, जैसे- वर्णांधता (कलर ब्लाइंडनेस), रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस), हिमांधता (स्नो ब्लाइंडनेस)। अगर किसी व्यक्ति को रेटिनल डिटैचमेंट के कारण अंधापन हो, तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। आंखों के रोगों का निदान केवल उसके कारणों को जानकर ही किया जा सकता है, लेकिन अंधापन को ठीक किया जा सके, ऐसा कोई प्रमाण या शोधपत्र (रिसर्च पेपर) नहीं है।
फेसबुक पर जारी वीडियो का सच क्या है?
इस वीडियो को Narrasse नामक फेसबुक प्रोफाइल से साझा किया गया है, जिसमें मशहूर पत्रकार रजत शर्मा और अन्य दो व्यक्तियों के वास्तविक वीडियो को AI की मदद से संपादित किया गया है। Deepfake Analysis Unit द्वारा की गयी जांच से पता चलता है इस वीडियो को AI की मदद से तैयार किया गया है। जिसमें बताया गया है कि किसी भी वक्ता के साउंड बाइट पर किसी नाम का उल्लेख नहीं है, जबकि सामान्यतः न्यूज चैनल में वक्ता के नाम को दिखाया जाता है। वीडियो में विभिन्न बिंदुओं पर वक्ताओं के होठों की हरकत उनके भाषण के अनुरूप नहीं है।
फेसबुक पर जिस वीडियो को जारी किया गया है, उसमें सबसे पहले जिन शख्सियत को दिखाया गया है, उसकी सटीक पहचान नहीं हो पा रही है। हमने गुगल रिवर्स इमेज की मदद ली और तस्वीर को क्रॉप करके गुगल पर सर्च भी किया लेकिन तस्वीर से संबंधित जानकारी नहीं मिली। हालांकि वीडियो के बैकग्राउंड से यह साफ है कि यह किसी राजनीतिक पार्टी से संबंधित हैं। अब एक कयास यह लगाया जा सकता है कि अगर किसी पार्टी के कार्यकर्ता या नेता गंभीर तौर पर बीमार होते हैं या किसी स्वस्थ समस्या से जूझते हैं, तो इसकी खबर तुरंत सोशल मीडिया पर जारी हो जाती है लेकिन वीडियो में जो चिह्न दिखाया गया है, उस राजनीतिक पार्टी से संबंधित हमें इस तरह की कोई खबर नहीं मिली, जिससे नेत्रदोष का पता चलता हो। इसके अलावा गुगल रिवर्स करने पर हमें यही वीडियो दोबारा मिली जो किसी और अकाउंट से पोस्ट की गयी है।
दूसरे क्लिप में जिस शख्सियत को दिखाया गया है, उनकी पहचान के लिए भी हमने गुगल और गुगल रिवर्स इमेज का सहारा लिया मगर हमें उस तस्वीर से भी कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई।
वहीं हमने मशहूर पत्रकार रजत शर्मा एवं उनकी टीम से भी संपर्क करने की कोशिश की है ताकि वीडियो के बारे में उनसे जानकारी हासिल कर सकें। जब हमें उनकी तरफ से कोई जानकारी मिलेगी, तब हम अपने तथ्य जाँच को जरुर अपडेट करेंगे।
अतः उपर्युक्त जांच के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है। हमने पहले भी वायरल दावों की जांच की है, जैसे – छः दिनों में आंखों की दृष्टि ठीक हो सकती है। साथ ही हमने चेंजमेकर्स से संबंधित भी आलेख किया है, लगभग 70% सटीकता के साथ नेत्र रोग का पता लगाने के लिए विकसित किया एप।
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