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कूल्हे की मुख्य मांसपेशी (Glutes) को कैसे करें मजबूत?

क्या आप एक सुडौल शरीर चाहते हैं? आप अपने प्रशिक्षण में कुछ विशिष्ट बट एक्सरसाइज करके इसे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। आपके शरीर की सबसे मजबूत और बड़ी मांसपेशी होने के साथ-साथ कूल्हे की मुख्य मांसपेशी दैनिक गतिविधियों को करने और शारीरिक ताकत को बनाए रखने में सहायक होते हैं। हालांकि इस परिणाम के लिए प्रमुख कारक अनुवांशिकी है। इसके अलावा आपके कूल्हे की मुख्य मांसपेशी को मजबूत करने से आपको चोटों से बचाया जा सकता है और आपकी गति और शरीर की स्थिरता में भी वृद्धि हो सकती है। इस लेख में 5 कुशल कसरतों की सूची दी जाएगी जो आपको अपने ग्लूट्स को एक मजबूत, तेज रूप देने के लिए उन्हें टोन और सुंदरता देने में मदद कर सकते हैं।

कौन से व्यायाम आपके कूल्हे की मुख्य मांसपेशी को मजबूत कर सकते हैं?

इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ के साथ बातचीत में हम 5 बट व्यायाम की जानकारी लेकर आए हैं जो आपके ग्लूट को मजबूत बना सकते हैं:

दंड बैठक (Squats)

Hakim Bharmal

दंड बैठक एक शक्तिशाली कसरत है जो quadriceps, glutes, hamstrings, पिंडली और कोर पर काम करती है। मास्टर ट्रेनर और प्रतियोगिता तैयारी कोच हाकिम भारमल कहते हैं, “शरीर के निचले भाग पर फोकस करने के लिए व्यायाम के तरीकों में बदलाव आवश्यक है। उदाहरण के लिए, कूल्हे के काज पर ध्यान केंद्रित करने से ग्लूट्स की सक्रियता पर प्रभाव पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक प्रभावशाली वर्कआउट होता है। स्क्वैट करते समय resistance band पहनना आपके घुटनों की स्थिरता और ग्लूट की सक्रियता को बढ़ाने का शानदार तरीका है। जैसे-जैसे आपकी ताकत और आत्मविश्वास बढ़ता है, वैसे-वैसे बॉडीवेट स्क्वैट्स की गति को बढ़ाए।

Hip Thrusts

hip thrusts

ग्लूटियल मांसपेशियों पर ध्यान केंद्रित करने और बढ़ाने के लिए एक ऊंची बेंच पर बारबेल के साथ कूल्हे पर जोर देने का प्रयास करें। इस अभ्यास का मुख्य लक्ष्य शरीर को पूरी तरह से विस्तारित स्थिति में उठाने के लिए ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग का उपयोग करके कूल्हे की मुख्य मांसपेशी को मजबूत करना है। हाकिम इस बात पर ज़ोर देते हुए कहते हैं कि, “पूरे एक्सरसाइज के दौरान एक तटस्थ रीढ़ बनाए रखें और सही रूप को सुनिश्चित करने और चोट की संभावना को कम करने के लिए घुटने की ऊंचाई पर अपनी बेंच को सावधानीपूर्वक रखें।” जैसे-जैसे आप अपनी मांसपेशियों को परखने और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए आगे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे धीरे-धीरे वजन बढ़ता है।

Glute Bridges

glute bridge

ग्लूट की मांसपेशियों को मजबूत और स्थिर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण एक्सरसाइज में से एक ग्लूट ब्रिज है। यह एक्सरसाइज कूल्हे की मुख्य मांसपेशी को मुख्य रूप से प्रभावित करता है, जिसमें हैमस्ट्रिंग और कोर की सहायता ली जाती है। हाकिम कहते हैं, “घुटनों के ऊपर resistance बैंड पहनने से व्यायाम की तीव्रता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है।” ग्लूट ब्रिज आपके ग्लूट्स को विकसित करने और आपके पूरे व्यायाम संरचना और संचालन को बढ़ाने का एक शानदार तरीका है। इससे आपको अन्य जटिल गतिविधियों में भी प्रभावी ढंग से काम करने में मदद मिलेगी।

Romanian Deadlifts

romanian deadlift

यह सामान्य डेडलिफ्ट का एक प्रकार है जो विशेष रूप से ग्लूट्स और हैमस्ट्रिंग को प्रभावित करता है। इसे करने के लिए एक डंबल को दोनों हाथों में पकड़े और घुटनों को मिलाकर आगे की ओर झुकें। इस एक्सरसाइज के दौरान मध्यम गति वाले व्यायाम पर ध्यान केंद्रित करने से शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों और आपके कूल्हे पर दबाव पड़ता है। इससे ये मजबूत और सुडौल हो सकते हैं। हाकिम आगे कहते हैं, “व्यायाम के स्तर को अपने शरीर के लचीलेपन और क्षमता के अनुसार संशोधित करके आप चोट की संभावना को कम कर सकते हैं और मांसपेशी की सक्रियता प्राप्त कर सकते हैं।”

सीढ़ी चढ़ना

stair climbing

एक उत्कृष्ट एरोबिक कसरत प्रदान करने के अलावा, सीढ़ी चढ़ाई शरीर की सभी प्रमुख निचली मांसपेशियों को प्रभावित करती है। इनमें क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग्स, पिंडली और ग्लूटियस मैक्सिमस शामिल हैं। सीढ़ी चढ़ना शरीर की निचली मांसपेशियों पर प्राथमिक ध्यान देने के अलावा एक उत्कृष्ट हृदय व्यायाम भी है। हाकिम स्पष्ट करते हुए कहते हैं, “लोकप्रिय धारणा के बावजूद, बार-बार सीढ़ी चढ़ने से ग्लूट की मांसपेशियों और उनके आकार में परिवर्तन होता है।” आप अपनी व्यायाम दिनचर्या में सीढ़ी चढ़ने को शामिल करके अपने हृदय स्वास्थ्य, शरीर की कम ताकत और सहनशक्ति को बढ़ा सकते हैं।

पर्याप्त मेहनत और प्रतिबद्धता के साथ, आप इन बट अभ्यासों के माध्यम से एक सुडौल बट प्राप्त कर सकते हैं। चोट को रोकने के लिए, हमेशा सही रूप, संभावित कठिनाई, गति इत्यादि पर विशेष ध्यान दें। इस प्रकार आप मजबूत और आकर्षक बट प्राप्त कर सकते हैं।

व्यायाम करते समय न करें ये गलतियां

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ज्यादातर लोग पूरी तैयारी और सही तकनीक की आवश्यकता के बारे में सोचे बिना ही सीधे वर्क आउट करने लगते हैं। वार्म अप, सही तरीके को अपनाने और अपने कसरत के नियम में बदलाव जैसे महत्वपूर्ण कदमों की कमी के कारण चोट लग सकती है। इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ से बात करने के बाद हम इस लेख में कुछ ऐसी जिम गलतियों की बात करने जा रहे हैं, जो अधिकांश लोग करते हैं। हालांकि, ये गलतियां वे लोग करते हैं, जिन्होंने हाल ही में जिम करना शुरू किया है, लेकिन हम भी इन आवश्यक बातों का ध्यान रखना भूल जाते हैं, जिसके कारण हमें चोट लग सकती है।

आपको वार्मअप क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?

Ms. Jitha Joseph

वार्मअप छोड़ना एक गंभीर और सबसे आम गलती है, जो चोट और सेहत के खराब होने का कारण बन सकता है। सामान्य मांसपेशियों के साथ कसरत करने से खिंचाव, मोच और अन्य चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। सुश्री जीता जोसेफ, शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास की प्रमुख, फोर्टिस अस्पताल, बन्नेरघट्टा रोड, बेंगलुरु कहती हैं, “रक्त प्रवाह, शरीर को गर्म करने और मांसपेशियों के लचीलेपन में सुधार के लिए वार्म-अप आवश्यक है।” चाहे आप कार्डियो कर रहे हों या भारोत्तोलन, वार्म अप करना आपकी मांसपेशियों को आपके वर्कआउट के अनुकूल बनने में सहायता करता है। कम से कम 10 मिनट के हल्के एरोबिक या गतिशील स्ट्रेच को करने से चोट का जोखिम काफी कम हो जाएगा और आपको जिम का सुखद अनुभ भी मिलेगा।

आपको वर्कआउट करने का सही तरीका क्यों सीखना चाहिए?

चोटों से बचने और उचित स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए एक्सरसाइज सही तरीके से करना आवश्यक है। उचित तकनीक के बिना वर्कआउट करने से मांसपेशियों में असंतुलन, चोटें और यहां तक कि दीर्घकालिक क्षति भी हो सकती है। शोध के अनुसार, एक्सरसाइज करने का गलत तरीका चोट का एक महत्वपूर्ण कारण है, विशेष रूप से उच्च तीव्रता वाले प्रशिक्षण के दौरान। एक सुरक्षित और प्रभावशाली वर्कआउट के लिए प्रत्येक एक्सरसाइज में कुशलता प्राप्त करने का प्रयास करना महत्वपूर्ण है। सुश्री जोसेफ सुझाव देती हैं, “सावधानीपूर्वक शुरुआत करें, अनुभवी प्रशिक्षकों या प्रशिक्षण वीडियो के सुझावों पर ध्यान दें, और धीरे-धीरे तीव्रता बढ़ाएं जैसे-जैसे आप अपनी तकनीक में विश्वास हासिल करते हैं।” याद रखें कि जब व्यायाम की बात आती है तो गुणवत्ता सबसे पहले आती है।

आपको अपने वर्कआउट के प्रकार को क्यों बदलना चाहिए?

किसी एक ही व्यायाम को बार-बार करना आपकी फिटनेस को रोकता है और शारीरिक स्थिरता का भी कारण बनता है। इसलिए, ऐसे व्यायाम करने चाहियें जिनका आप आनंद ले सकें क्योंकि एक ही तरह की एक्सरसाइज करने से आपकी क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा, समान गतिविधियों को दोहराने से आपकी मांसपेशियां अनुकूल हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप समय के साथ आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है। सुश्री जोसेफ के अनुसार, “अपने वर्कआउट में विविधता जोड़ना आपके शरीर को नए तरीकों से प्रेरित करता है, बोरियत को कम करता है और आपके शरीर की निरंतर प्रगति को भी प्रोत्साहित करता है।” अपने वर्कआउट को दिलचस्प बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि प्रयोग की जाने वाली गतिविधियों, उपकरणों और प्रशिक्षण विधियों का पूरी तरह से उपयोग करें। हालांकि,अपने वर्कआउट को बार-बार बदलने से आपका समग्र स्वास्थ्य विकास बाधित हो सकता है। इसलिए, एक संतुलित रणनीति अपनाने का प्रयास करें जिसमें निरंतरता और परिवर्तनशीलता दोनों शामिल हो।

निष्कर्ष के रूप में कहा जा सकता है कि अपने जिम के अनुभव लाभकारी बनाने हेतु समग्र जानकारी को समझना, उचित तरीके से व्यायाम करना, अपने वर्कआउट में विविधता लाना आवश्यक है। इसके अलावा, वर्कआउट छोड़ने, व्यायाम सही तरीके से न करने और उबाऊ कार्य प्रणाली पर टिके रहने जैसी जिम गलतियों को नहीं करना चाहिए। साथ ही अपनी क्षमताओं में सुधार करके और चोट लगने की संभावना को कम करके आप स्वास्थ्य संबंधी बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। अंत में, सुश्री जोसेफ ज़ोर देते हुए कहती हैं कि “सुरक्षा को प्राथमिकता देना, अपने शरीर के संकेतों को समझना, आराम करना और लाभकारी तथा उत्पादक जिम अनुभव के लिए सक्षम विशेषज्ञों से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।” उचित विधि के साथ आप वर्कआउट समय को बढ़ा सकते हैं और पूरी क्षमता को प्राप्त कर सकते हैं।

तथ्य जाँचः क्या जोड़ों के दर्द की कोई चमत्कारी दवा है?

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सारांश 

एक वीडियो में दिखाया गया है कि समाचार वाचक किसी चमत्कारी दवा के बारे में बता रहा है जिसे पाने के लिए लोगों की भीड़ बेकाबू हो गयी है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है। 

Rating

दावा 

फेसबुक पर जारी एक वीडियो में दिखाया गया है कि जोड़ों के दर्द की किसी चमत्कारी दवा के लिए लोगों की भीड़ बेकाबू हो गयी है। इस दवा का प्रचार सद्गुरु द्वारा भी किया गया है। 

knee pain claim

तथ्य जाँच 

क्या जोड़ों के दर्द को ठीक किया जा सकता है?

जोड़ों के दर्द को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है या नहीं, यह दर्द के कारण पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस, दर्द को पूरी तरह से ठीक करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन इसे प्रबंधित करना और लक्षणों को कम करना संभव है।

गठिया का कोई इलाज नहीं है लेकिन दर्द और सूजन को कम करके जोड़ों को आराम दिया जा सकता है लेकिन इसके लिए चिकित्सक की सलाह आवश्यक है क्योंकि वो ही दर्द के कारण की जाँच कर सकते है और उसके अनुरुप उपचार बता सकते हैं। इसके अलावा जीवनशैली में बदलाव करके, वजन को नियंत्रित करके, शारीरिक गतिविधि को दिनचर्या में शामिल करके भी जोड़ों के दर्द में थोड़ा आराम हासिल किया जा सकता है लेकिन ये दर्द को ताउम्र नहीं होने देंगे या दर्द को जड़ से खत्म कर देंगे, ऐसा कोई दावा या वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। 

Orthopedic

डॉ. सुशांत श्रीवास्तव, एमबीबीएस, एमएस (ऑर्थोपेडिक्स) एक अनुभवी ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं। वे बाल चिकित्सा ऑर्थोपेडिक्स में विशेषज्ञ हैं। साथ ही वर्तमान में वे बिहार के किशनगंज में माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज और लायंस सेवा केंद्र अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने इस वीडियो में किए गए दावे के बारे में बताया, “जोड़ों के दर्द का इलाज करना तब ही कारगर साबित होता है, जब उसके कारण के बारे में सटीक जानकारी हो। बिना दर्द का कारण जानें इलाज करना जटिल है क्योंकि ऑस्टियोआर्थराइटिस, चोट, सूजन, संक्रमण इत्यादि भी जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है। जोड़ों में होने वाला दर्द केवल घुटनों, पीठ या कमर से संबंधित नहीं होता बल्कि शरीर में कई जोड़ काम करते हैं। बिना सही से जाँच किए यह कहना असंभव है कि जोड़ों के दर्द को ठीक किया जा सकता है।” 

क्या मशहूर हस्तियों द्वारा जोड़ों के दर्द की चमत्कारी दवा का प्रचार किया गया है?

नहीं। फेसबुक पर जिस वीडियो को जारी किया गया है, उसे AI की सहायता से बनाया गया है। जब हमने वीडियो के क्लिप को गुगल सर्च और गुगल रिवर्स इमेज की मदद से ढूंढा, तो हमें एक वीडियो मिला, जो सद्धगुरु (Sadhguru) और Deepak Chopra का है। इसे 7 अगस्त 2020 को जारी किया गया था। इस वीडियो की जानकारी Sadhguru की इस वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। आपको बता दें कि दीपक चोपड़ा (Deepak Chopra) एक भारतीय-अमेरिकी लेखक और वैकल्पिक चिकित्सा अधिवक्ता हैं। हालांकि हमने पहली क्लिप को भी सर्च किया लेकिन इमेज धुंधली होने के कारण सटीक परिणाम नहीं मिले मगर ये कहा जा सकता है कि दावाकर्ता द्वारा जारी किया गया वीडियो बिल्कुल गलत है और इसे AI की मदद से बनाया गया है।

जोड़ों के दर्द को लेकर फिलहाल कोई चमत्कारी दवा का आविष्कार तो नहीं किया गया है। जब हमने इस वीडियो में दिए गए लिंक पर क्लिक किया तो वहां अन्य भाषा में जानकारी दी गई थी। उस वीडियो के कैप्शन में SHALAYAI WALL SHOP की लिंक दी गई है लेकिन क्लिक करने पर कोई अन्य लिंक खुलती है, जिसमें फ्रेंच भाषा में लिखा है। जब हम गूगल ट्रांसलेट करते हैं, तो पता चलता है कि उसमें हड्डियों के रोग अर्थराइटिस की बात की गई है। साथ ही इस वीडियो में सदगुरु को दिखाया गया है कि वे अर्थराइटिस के कारण अस्पताल में भर्ती हुए थे जबकि ऐसा नहीं है। उन्हें अस्पताल में ब्रेन सर्जरी के लिए भर्ती किया गया था।

अतः उपरोक्त दावों, शोध पत्रों एवं चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है। जैसे- जोड़ों के दर्द को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है और जड़ी-बुटी के सेवन से किसी भी उम्र में लंबाई बढ़ाई जा सकती है. 

तथ्य जाँचः क्या आम आदमी को आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है?

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सारांश 

ट्विवटर पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आम आदमी को आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिसमें एम्बुलेंस का ना मिलना शामिल है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है। 

Rating

दावा 

ट्विवटर पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि सरकार बिना अपने वादे पूरे किए मतदाताओं से वोट मांगती है। इस वीडियो में दिखाया गया है कि एक युवक अपने हाथों में एक बच्ची को लिए हुए है, जिसकी मौत एम्बुलेंस ना मिलने के कारण हो गई है। दावाकर्ता (जिसने ये वीडियो साझा किया है) का कहना है कि लोगों को जरुरत की सुविधाएं नहीं मिल रही है और इसे लोकसभा चुनाव से संबंध किया गया है।

Ambulance claim

इस पोस्ट को एक दुसरे प्रोफाइल द्वारा reshare किया गया जिससे 2.5 million views देखे गए।

Ambulance claim

तथ्य जाँच 

क्या सरकार द्वारा एम्बुलेंस की सुविधा पहुंचाने के लिए प्रयास किए गए हैं?

हां। NHM (National Health Mission) के अंतर्गत 108/102 नंबर डायल करके एम्बुलेंस की सेवा को प्राप्त किया जा सकता है। यह NHM के तहत संचालित होने वाली रोगी परिवहन एम्बुलेंस है। साल 2005 तक ये सुविधा मौजूद नहीं थी लेकिन अब राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में यह सुविधा है, जहां लोग एम्बुलेंस बुलाने के लिए 108 या 102 टेलीफोन नंबर डायल कर सकते हैं। बिहार में भी 102 नंबर डायल करके एम्बुलेंस की सुविधा को प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि हमें इस वेबसाइट पर साल 2015 के बाद का कोई डाटा नहीं मिला है।

डायल 108 मुख्य रूप से एक आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली है, जिसे मुख्य रूप से गंभीर देखभाल वाले मरीजों, आघात और दुर्घटना पीड़ितों आदि की देखभाल के लिए डिज़ाइन किया गया है।

वहीं डायल 102 सेवाओं में अनिवार्य रूप से बुनियादी रोगी परिवहन शामिल है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और बच्चों की जरूरतों को पूरा करना है। हालांकि अन्य श्रेणियां भी इसके तहत लाभ ले रही हैं और उन्हें सेवा से वंचित नहीं रखा गया है। 

क्या लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान एम्बुलेंस सेवा बाधित हुई है?

अभी तक (April 23, 2024) सिर्फ एक चरण का मतदान हुआ है और एम्बुलेंस सेवा बाधित होने सम्बंधित कोई खबर उन निर्वाचन क्षेत्रों से नहीं आयी है। बढ़ती गर्मी के कारण इस बार के लोकसभा चुनाव की मुश्किलों से निपटने के लिए चुनाव आयोग ने तैयारी भी की है। वोटर्स को हीट वेव और लू से परेशानी ना हो इसलिए चुनाव आयोग इस ओर लगातार काम कर रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश में एयर एम्बुलेंस और हेलिकॉप्टर की व्यवस्था की गई है। इसकी मदद से किसी भी आकस्मिक हालातों में तत्काल सहायता पहुंचाई जा सकेगी। 

हालांकि साल 2023 की खबर है कि तेलंगाना में चुनावी हंगामे के कारण एम्बुलेंस की आवाजाही बाधित हुई थी, जिससे महत्वपूर्ण स्थानों तक पहुंचने में देरी हुई थी। प्रतिक्रिया समय में यह देरी परिवहन किए जा रहे रोगियों के जीवन के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंता पैदा करती है। 

क्या बिहार के सीतामढ़ी का वीडियो सच है? 

आपको बता दें कि ट्विवटर पर जारी यह वीडियो सच तो है लेकिन इसका लोकसभा चुनाव 2024 से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि इसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पोस्ट कर इस तरह से दिखाने का प्रयास किया गया है कि ये वीडियो वर्तमान समय का लगे, जो सच नहीं है। 

ये वीडियो भले ही बिहार के सीतामढ़ी जिले का है लेकिन इसका लोकसभा चुनाव 2024 से संबंध नहीं है। यह घटना 7 सितंबर, 2018 को हुई थी जब एक बच्ची सिमरन की उंगली में सांप के काटने के कारण मौत हो गई थी। आपातकालीन स्थिति में उसे अस्पताल लेकर जाना था लेकिन ड्यूटी पर कोई ड्राइवर उपलब्ध नहीं था, जो उसे एम्बुलेंस से सीतामढ़ी के सदर अस्पताल ले जाता। इस कारण सिमरन के परिवार ने उसे अस्पताल ले जाने के लिए एक टेम्पो की व्यवस्था की लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। अस्पताल ले जाते समय सिमरन की मौत हो गई। 

उस वक्त भी इस वीडियो को ऐसे दिखाया गया था कि ये बच्ची को एम्बुलेंस 10 सितंबर, 2018 को घोषित भारत बंद के कारण नहीं मिला। इस बात की पुष्टि यह ट्विवटर पोस्ट करता है। यह जानकारी जहानाबाद के तत्कालीन डीएम, आलोक रंजन घोष ने दी थी।  

इस वीडियो को अब तक 2.5 मिलियन लोग देख चुके हैं। इस वीडियो को Divya Gandotra Tandon ने भी ट्वीटर पर साझा किया है। हालांकि उन्होंने कमेंट बॉक्स में इस बात को स्वीकार किया है कि ये वीडियो पुराना है और ये बात भी उन्हें तब पता चली, जब लोगों ने इस बात को तूल दिया। सबसे गंभीर बात तो यह है कि इस वीडियो को साझा करने से जो क्षति पहुंची है, वो अपूरणीय है। यहाँ उल्लेखनीय है कि जब भी किसी वीडियो को किसी नामी प्रोफाइल से शेयर किया जाता है, तो उसकी जवाबदेही बढ़ जाती है। ऐसे में बेहतर यही है कि सोशल मीडिया पर कुछ भी साझा करने से पहले एक बार उसकी तथ्य जांच की जाए। उसे परखा जाए, कि क्या ये वीडियो वर्तमान संदर्भ में तार्किक है? बेहतर है कि जनता अपनी जवाबदेही को समझे और गलत जानकारियों से स्वयं से दूर रखे।

अतः उपरोक्त तथ्यों के अनुसार कहा जा सकता है कि यह लोकसभा चुनाव 2024 और इस वीडियो के बीच कोई संबंध नहीं है इसलिए ये दावा बिल्कुल गलत है। हालांकि, एम्बुलेंस सेवा चुनाव के दौरान बाधित होती है या नहीं, अभी कहा नहीं जा सकता है इसलिए यह दावा ज्यादातर गलत है क्योंकि यह वीडियो गलत विचार या धारणा फैलाने का प्रयास कर रही है।  

तथ्य जाँचः क्या दिन में दो बार ब्रश करने से दांत खराब हो जाएंगे?

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सारांश 

एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि दिन में दो बार ब्रश करने से दांत खराब हो जाते हैं। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है। 

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दावा 

युट्युब पर जारी वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि दो बार ब्रश करने से दांत खराब हो जाते हैं। 

तथ्य जाँच 

मौखिक स्वास्थ्य का क्या अर्थ है? 

अपने दांतों और मुंह के हर हिस्से को स्वस्थ्य और साफ रखना बेहद जरुरी हो जाता है। शोध बताते हैं कि मौखिक स्वास्थ्य में ना केवल दांतों की समस्याएं हैं बल्कि मुंह और चेहरे का दर्द, मुंह और गले का कैंसर, मुंह के घाव, मसूड़ों के रोग, दांतों की सड़न और अन्य स्थितियां भी शामिल हैं।

इसके अलावा कुछ लोगों में स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां केवल ओरल हेल्थ मेंटेन ना रखने के कारण होती है। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मौखिक स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए रणनीति को लागू किया है। 

ब्रश करने का सही तरीका क्या है? 

यहां ब्रश करने की उचित तकनीक पर विस्तृत जानकारी दी गई है: 

  • ब्रश को सही एंगल में रखें: अपने ब्रश को अपनी मसूड़ों की रेखा से 45 डिग्री के कोण पर पकड़ें। 
  • जोर से ना रगड़े: हल्के आगे-पीछे के स्ट्रोक का उपयोग करें जो दांत की चौड़ाई के बराबर हों। जोर से मत रगड़े। साथ ही मुलायम ब्रिसल वाला टूथब्रश का इस्तेमाल करें। फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें।
  • सभी सतहों को ब्रश करें: प्रत्येक दांत की सतह को व्यवस्थित रूप से साफ करें। बाहरी सतह (ऊपरी और निचले दोनों दांत), दांतों की भीतरी सतह, बैक्टीरिया हटाने और सांसों को ताज़ा करने के लिए अपनी जीभ को धीरे से ब्रश करें।
  • ब्रश करने का समय: हर बार कम से कम 2 मिनट ब्रश करने का लक्ष्य रखें। शोध भी बताता है कि कम से कम दो बार ब्रश करना जरुरी है। आपके दंत चिकित्सक या स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपके दंत स्वास्थ्य और जरूरतों के आधार पर आपको अधिक सलाह दे सकते हैं।
  • अपने टूथब्रश को हर 3-4 महीने में बदलें या यदि ब्रिसल्स घिसे हुए हों तो उससे पहले बदलें।
  • दांतों के बीच प्लाक को हटाने के लिए फ्लॉस करना या किसी अन्य इंटरडेंटल क्लीनर का उपयोग करना भी जरुरी है।

क्या दो बार ब्रश करने से दांत खराब होते हैं?

नहीं। हमने पहले भी इस बात का उल्लेख वैज्ञानिक प्रमाण के साथ किया है कि कि कम से कम दो बार ब्रश करना जरुरी हैहमारा मुंह लगातार बैक्टीरिया और कीटाणुओं से भरा रहता है, जो मुंह के अंदर बढ़ते और फैलते रहते हैं। दिन में दो बार अपने दांतों को ब्रश करने से यह सुनिश्चित हो जाएगा कि यह खराब बैक्टीरिया नष्ट हो गए हैं या तत्काल प्रभावहीन हो गए हैं। यदि आप सुबह अपने दांतों को ब्रश करते हैं और पूरे दिन बिना ब्रश किए रहते हैं, तो बैक्टीरिया का निर्माण आपके दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकता है और मसूड़ों एवं जड़ों को कमजोर कर देगा, जिससे सड़न होने लगेगी। इससे सांसों की दुर्गंध भी बढ़ सकती है। 

Pooja Bhardwaj, BDS

इस विषय में दंतरोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा भारद्वाज (BDS) ने बताया, “दो बार ब्रश करना दांतों एवं मुंह से समग्र विकास एवं स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। हमेशा हल्के हाथों से ही ब्रश करना चाहिए। कभी भी रगड़कर ब्रश करने से बचना चाहिए क्योंकि ये इनेमल की परत में घिसाव उत्पन्न कर सकता है। स्वस्थ दांतों और मसूड़ों के लिए हर छह महीने के दांतों की जांच की सलाह दी जाती है।” 

Dental expert

वहीं दंत चिकित्सतक डॉ. प्रत्यसा बागची बताती हैं, “ब्रश करने के लिए मुलायम ब्रिसल वाले ब्रश और फ्लोराइडयुक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ये दांतों को सड़ने से बचाता है। कम से कम दो बार ब्रश करना और खाना खाने के बाद अच्छी तरह से मुंह को साफ करना मौखिक स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है।”

दांतों की सड़न का क्या अर्थ है और वे क्यों होती हैं? 

दांतों की सड़न का प्रमुख कारण दांतों में मौजूद बैक्टरिया है, जो दांतों में रहकर एक प्रकार के द्रव का रिसाव करते हैं, जिसकी प्रकृति एसिडिक यानी की अम्लीय होती है। ये बैक्टरिया दांतों की ऊपरी परत, इनेमल को प्रभावित करते हैं। इससे दांतों में छोटे गड्ढे हो जाते हैं और दांत सड़ने लगते हैं। आमतौर पर बैक्टरिया तब भी आक्रमण करते हैं, जब कोई व्यक्ति मीठे चीजों का लगातार सेवन करता है और अपने मुंह एवं दांतों को साफ नहीं रखता है। 

दांतों की सड़न का सबसे पहला संकेत आमतौर पर एक सफेद धब्बा होता है, जो इनेमल में खनिज की हानि का संकेत देता है। हालांकि इस वक्त अगर किसी अच्छे दंत चिकित्सक से संपर्क किया जाए, तब दांतों को सड़न से बचाया जा सकता है। वहीं इस स्तर पर मुंह के लार से प्राप्त खनिजों, टूथपेस्ट से मिलने वाले फ्लोराइड से इनमेल स्वयं की मरम्मत भी कर सकता है।

अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है। जैसे – टूटे हुए दांतों को दंत चिकित्सक के बिना बदला जा सकता है तथा आंखोंं की रौशनी पर हावी हो रही चूल्हे की रौशनी आलेख भी पढ़ सकते हैं।

तथ्य जाँचः क्या जड़ी-बुटी की मदद से 15 दिनों में वजन को बढ़ाया जा सकता है?

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सारांश 

फेसबुक पर जारी वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आयुर्वेदिक औषधि की मदद से 15 दिनों में वजन को बढ़ाया जा सकता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है। 

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दावा 

फेसबुक पर जारी वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आयुर्वेदिक औषधि की मदद से 15 दिनों में वजन को बढ़ाया जा सकता है।

weight gain claim

तथ्य जाँच 

वजन बढ़ाने का स्वस्थ तरीका क्या है?

देखा जाए, तो स्वस्थ तरीकों से वजन बढ़ना और मोटापा, दोनों अलग-अलग चीजें हैं। कई बार लोग वजन बढ़ाने को लेकर इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वे उसके लिए अस्वस्थ खान-पान और जीवनशैली अपना लेते हैं। हालांकि शोध बताते हैं कि वजन बढ़ाने के लिए एक स्वस्थ जीवनशैली और आहार बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा जिसमें शारीरिक गतिविधि यानी कि नियमित व्यायाम करना, शराब का सेवन ना करना और धूम्रपान ना करना भी शामिल हैं। साथ ही कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे- सब्जियां, मेवे, फल और साबुत अनाज का संतुलित सेवन भी वजन बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 

साथ ही वजन को बढ़ाने के लिए कैलोरीयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने की भी सलाह दी जाती है लेकिन इसका सेवन चिकित्सक की निगरानी में ही किया जाना चाहिए। यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि जिन लोगों का वजन कम है, जो एथलीट हैं लेकिन बेहतर प्रदर्शन के लिए वजन बढ़ाना चाहते हैं या जिनकी खराब स्वास्थ्य स्थिति के कारण कैलोरी की जरूरत बढ़ गई है, उन्हें चिकित्सक की निगरानी में ही ऐसा करना चाहिए। 

क्या हर्बल जड़ी-बुटियों से वजन को बढ़ाया जा सकता है? 

हां, कुछ हर्बल जड़ी-बूटियां वजन बढ़ाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये अकेले असर नहीं कर सकती हैं। शोध बताता है कि यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि कई बार हर्बल जड़ी-बुटी में सिंथेटिक सप्लीमेंट्स की मिलावट की जाती है।  

हर्बल सप्लीमेंट्स का उपयोग करने का चलन हजारों साल पुराना है। हर्बल सप्लीमेंट्स की जांच FDA एजेंसी के अधीन नहीं है। इस कारण से हर्बल सप्लीमेंट अभी भी विवादास्पद हैं। अपने किसी भी लक्षण या स्थिति के बारे में अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से बात करें और उनसे हर्बल अनुपूरकों के उपयोग पर चर्चा करें। ऐसी संभावना होती है कि कई बार किसी खास तरह की जड़ी-बुटी का सेवन करने से किसी तरह का संक्रमण हो सकता है।

क्या वजन को 15 दिनों में बढ़ाया जा सकता है? 

Ayurveda doctor

वजन बढ़ना प्रत्येक व्यक्ति की आंतरिक स्थिति पर निर्भर करता है। इस विषय के बारे में आर्युवेद विशेषज्ञ डॉ. पल्लव प्रजापति बताते हैं, “आर्युवेद खान पान की मदद से वजन को बढ़ाया जा सकता है लेकिन इसके लिए कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं है कि इसे 15 दिन में ही बढ़ाया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति अपना वजन बढ़ाना चाहता है, तो उसे आर्युवेदिक दवाईयां उसके अग्नि के बल पर दी जाती हैं। जैसे- उनका पाचन तंत्र कैसा है, वात्त, पित्त, कफ या उन्हें कोई अन्य समस्या तो नहीं है, इत्यादि। हर मरीज के लिए यह अलग-अलग हो सकता है लेकिन वजन को आर्युवेद की मदद से बढ़ाया जा सकता है मगर इसके लिए इंतज़ार करना होगा और चिकित्सक द्वारा बताए गए निर्देशों का पालन करना होगा।”

क्या फेसबुक पर जारी वीडियो भ्रामक है? 

हां, क्योंकि फेसबुक पर जारी वीडियो पर ताकत वटी में मौजूद सामग्री का उल्लेख नहीं है। साथ ही यहां केवल एक नंबर दिया गया है, जहां हमने कॉल किया तो हमें कुछ जानकारी मिली लेकिन उसके पहले हमसे कई तरह के सवाल किए गए। जैसे- आपका वजन कितना है, आपकी उम्र कितनी है, आप कितनी बार भोजन करते हैं, भूख लगती है या नहीं, आदि, लेकिन हमसे किसी भी तरह की बीमारी के बारे में जानकारी नहीं मांगी गई। साथ ही हमें ताकत वटी के साथ मिलने वाले ऑफर के बारे में जानकारी दी गई। 

जब हमने ताकत वटी के नाम से गुगल सर्च किया तो कई ऑनलाइन मार्केटिंग वेबसाइट्स मिली, जहां से इस औषधि को खरीदा जा सकता है। इसके अलावा हमें एक और वेबसाइट मिली, जो ताकत वटी के नाम से थी। इस वेबसाइट में कुछ जानकारियां दी गई हैं। जैसे- औषधि में इस्तेमाल की जाने वाली सामाग्री के नाम। 

देखा जाए, तो वेबसाइट से ली गई जानकारी के अनुसार फेसबुक पर दिखाए गए वीडियो में उपरोक्त सामग्री मौजूद है, जिसमें से कई जड़ी-बुटियां वजन कम करने में मददगार साबित होती हैं। ऐसे में वीडियो पर विश्वास कर लेना शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जैसा कि हमें आर्युवेद विशेषज्ञ ने बताया कि आर्युवेद की मदद से वजन को बढ़ाया जा सकता है लेकिन इसके बेहतर परिणाम के लिए मरीज की आंतरिक स्थिति समेत अनेक जानकारियां महत्वपूर्ण होती है और केवल 15 दिनों में वजन को नहीं बढ़ा सकते।

अतः उपरोक्त शोध पत्रों और विशेषज्ञ के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा गलत है क्योंकि वीडियो में दिखाई गई औषधि की कोई प्रमाणिकता नहीं है और ना ही इसकी सामाग्री को लेकर पारदर्शिता है। हमने पहले भी वजन से जुड़ी दावों की जाँच की है। जैसे- पेट पर अदरक का तेल लगाने से शरीर की चर्बी कम होगी। साथ ही आप हमारे फिचर सेक्शन से आलेख भी पढ़ सकते हैं। जैसे- नमक की ज्यादा मात्रा बना रही है आपको रोगी, जानें सेवन की सही मात्रा। 

तथ्य जाँचः क्या दृष्टि दोष को किसी भी उम्र में ठीक किया जा सकता है?

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सारांश 

एक फेसबुक वीडियो में दृष्टि दोष को ठीक करने का दावा किया गया है। इसमें आंखों की रोशनी को दोबारा प्राप्त करने की बात भी कही गई। लेकिन, जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जांच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है। 

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दावा 

फेसबुक पर जारी एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि किसी भी उम्र में अंधेपन का इलाज किया जा सकता है और खोई हुए दृष्टि को दोबारा प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही इस पोस्ट में जाने माने पत्रकार के वीडियो का इस्तेमाल किया गया है जो इस दवा के बारे में बता रहे हैं।

Blindness cure claim

तथ्य जांच 

दृष्टि दोष क्यों होता है?

आंखों की सेहत अनेक मानकों जैसे – अनुवांशिकता, दिनचर्या, खानपान इत्यादि पर निर्भर करती है। इस लेख के अनुसार Macular degeneration के कारण आंखों की रौशनी कमजोर हो जाती है। इसके अलावा मोतियाबिंद एवं ग्लूकोमा के कारण भी आंखों की रोशनी कमज़ोर हो जाती है। इसके साथ ही ज्यादा समय तक तेज़ धूप में रहने और डायबिटीज, धूम्रपान के कारण भी आंखों की रोशनी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। Myopia, Hypermetropia , Amblyopia, Presbyopia, Astigmatism के कारण भी आंखें कमजोर हो जाती हैं। मायोपिया(निकट दृष्टि दोष) में दूर की चीजें नहीं दिखाई देती, हाइपरोपिया में पास की चीजें देखने में कठिनाई होती है। प्रेसबायोपिया के कारण मध्यम आयु और बुर्जुग लोगों को पास की चीजों को देखने में परेशानी होती है। इसके अलावा, एस्टिग्मेटिज्म में दूर और नज़दीक की चीज़े धुंधली दिखाई देती हैं। 

क्या दृष्टि दोष पूरी तरह से ठीक हो सकता है?

अध्ययन बताते हैं कि आंखों की रौशनी को ख़राब होने के बाद पूर्ण रूप से कभी ठीक नहीं किया जा सकता है। आंखों की रौशनी को ठीक करने का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। शोध पत्र के अनुसार हरी पत्तेदार सब्जियों में एंटी-बायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-एनाल्जेसिक, एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं, लेकिन इनसे आंखों की रोशनी पूरी तरह ठीक होने का कोई भी दावा मौजूद नहीं है। 

आंखों का स्वास्थ्य कई मानकों दिनचर्या, खानपान, समय-समय पर नेत्र जांच,आनुवांशिकता इत्यादि पर निर्भर करता है लेकिन आंखों की रोशनी वापस आने को लेकर कोई प्रमाण या रिसर्च पैपर मौजूद नहीं हैं।

Dr-Naveen-Gupta-Opthalmology

डॉ. नवीन गुप्ता, डीएनबी (ऑप्थल्मोलॉजी) बताते हैं कि ”’आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा’ और ‘दृष्टि में सुधार कर सकते हैं’ कथन में अंतर है। लेकिन अधिकांश लोग इन दोनों के बीच भ्रम की स्थिति में रहते हैं क्योंकि आंखों की रोशनी बढ़ाने से अगर मतलब चश्मे की संख्या कम करने से है, तो ऐसा हरगिज नहीं है।” 

Eye surgeon

नेत्र सर्जन डॉ. आफताब आलम, एमबीबीएस, डीओ (नेत्र विज्ञान) बताते हैं, “सब्जियों का सेवन आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे दृष्टि में सुधार करेंगे। ऐसे दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।”

शोध बताते हैं कि मधुमेह, Macular Degeneration, Traumatic injuries, Glaucoma अंधापन के मुख्य कारण हैं। अंधापन भी कई प्रकार का हो सकता है, जैसे- वर्णांधता (कलर ब्लाइंडनेस), रतौंधी (नाइट ब्लाइंडनेस), हिमांधता (स्नो ब्लाइंडनेस)। अगर किसी व्यक्ति को रेटिनल डिटैचमेंट के कारण अंधापन हो, तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता। आंखों के रोगों का निदान केवल उसके कारणों को जानकर ही किया जा सकता है, लेकिन अंधापन को ठीक किया जा सके, ऐसा कोई प्रमाण या शोधपत्र (रिसर्च पेपर) नहीं है। 

फेसबुक पर जारी वीडियो का सच क्या है?

इस वीडियो को Narrasse नामक फेसबुक प्रोफाइल से साझा किया गया है, जिसमें मशहूर पत्रकार रजत शर्मा और अन्य दो व्यक्तियों के वास्तविक वीडियो को AI की मदद से संपादित किया गया है। Deepfake Analysis Unit द्वारा की गयी जांच से पता चलता है इस वीडियो को AI की मदद से तैयार किया गया है। जिसमें बताया गया है कि किसी भी वक्ता के साउंड बाइट पर किसी नाम का उल्लेख नहीं है, जबकि सामान्यतः न्यूज चैनल में वक्ता के नाम को दिखाया जाता है। वीडियो में विभिन्न बिंदुओं पर वक्ताओं के होठों की हरकत उनके भाषण के अनुरूप नहीं है। 

फेसबुक पर जिस वीडियो को जारी किया गया है, उसमें सबसे पहले जिन शख्सियत को दिखाया गया है, उसकी सटीक पहचान नहीं हो पा रही है। हमने गुगल रिवर्स इमेज की मदद ली और तस्वीर को क्रॉप करके गुगल पर सर्च भी किया लेकिन तस्वीर से संबंधित जानकारी नहीं मिली। हालांकि वीडियो के बैकग्राउंड से यह साफ है कि यह किसी राजनीतिक पार्टी से संबंधित हैं। अब एक कयास यह लगाया जा सकता है कि अगर किसी पार्टी के कार्यकर्ता या नेता गंभीर तौर पर बीमार होते हैं या किसी स्वस्थ समस्या से जूझते हैं, तो इसकी खबर तुरंत सोशल मीडिया पर जारी हो जाती है लेकिन वीडियो में जो चिह्न दिखाया गया है, उस राजनीतिक पार्टी से संबंधित हमें इस तरह की कोई खबर नहीं मिली, जिससे नेत्रदोष का पता चलता हो। इसके अलावा गुगल रिवर्स करने पर हमें यही वीडियो दोबारा मिली जो किसी और अकाउंट से पोस्ट की गयी है

दूसरे क्लिप में जिस शख्सियत को दिखाया गया है, उनकी पहचान के लिए भी हमने गुगल और गुगल रिवर्स इमेज का सहारा लिया मगर हमें उस तस्वीर से भी कोई जानकारी नहीं प्राप्त हुई।

वहीं हमने मशहूर पत्रकार रजत शर्मा एवं उनकी टीम से भी संपर्क करने की कोशिश की है ताकि वीडियो के बारे में उनसे जानकारी हासिल कर सकें। जब हमें उनकी तरफ से कोई जानकारी मिलेगी, तब हम अपने तथ्य जाँच को जरुर अपडेट करेंगे।

अतः उपर्युक्त जांच के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है। हमने पहले भी वायरल दावों की जांच की है, जैसे – छः दिनों में आंखों की दृष्टि ठीक हो सकती है। साथ ही हमने चेंजमेकर्स से संबंधित भी आलेख किया है, लगभग 70% सटीकता के साथ नेत्र रोग का पता लगाने के लिए विकसित किया एप

तथ्य जाँचः क्या जड़ी-बुटी के सेवन से किसी भी उम्र में लंबाई बढ़ाई जा सकती है? 

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सारांश 

फेसबुक पर जारी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि जड़ी-बुटियों से बनी औषधि का सेवन करने से लंबाई बढ़ाई जा सकती है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है। 

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दावा 

फेसबुक पर जारी एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि हर्बल जड़ी-बुटियों से बनी औषधि का सेवन करने से लंबाई बढ़ाई जा सकती है। 

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तथ्य जाँच 

लंबाई किन कारकों पर निर्भर करती है? 

किसी व्यक्ति की लंबाई मुख्य रूप से आनुवंशिक, पोषण और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से निर्धारित होती है। लंबाई में आनुवंशिकी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि किसी व्यक्ति की संभावित ऊंचाई काफी हद तक उनके माता-पिता से विरासत में मिलती है। विशेष रूप से बचपन और किशोरावस्था के दौरान उचित पोषण मिलना महत्वपूर्ण है क्योंकि आवश्यक पोषक तत्वों की कमी विकास को रोक सकती है। ग्रोथ हार्मोन और थायराइड जैसे हार्मोन भी लंबाई के कारकों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त पर्याप्त नींद, शारीरिक गतिविधि और स्वस्थ वातावरण भी लंबाई को प्रभावित करते हैं। 

आमतौर पर किस उम्र में किसी व्यक्ति की लंबाई बढ़ना बंद हो जाती है? 

आमतौर पर व्यक्तियों की लंबाई किशोरावस्था के अंत से लेकर बीस के दशक की शुरुआत तक बढ़ना बंद हो जाती है यानी कि आमतौर पर 18 से 25 की उम्र के आसपास ही लंबाई बढ़ती है। लंबाई बढ़ना बंद होना, मुख्य रूप से हड्डियों में ग्रोथ प्लेट्स के बंद होने के कारण होती है।

क्या कोई आहार लंबाई बढ़ा सकता है? 

नहीं। एक बार जब किसी व्यक्ति की हड्डियों में ग्रोथ प्लेट्स का विकास बंद हो जाता है, तो लंबाई बढ़ने की प्रक्रिया बंद हो जाती है। इसके अलावा किशोरावस्था या वयस्कता में मुख्य रुप से पोषण पर ध्यान ना देने के कारण लंबाई नकारात्मक रुप से प्रभावित होती है। जब शरीर सक्रिय रूप से विकसित हो रहा होता है, तो लंबाई बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। एक बार जब ग्रोथ प्लेट्स आपस में जुड़ जाती हैं, तो भोजन और पोषण भी लंबाई को नहीं बढ़ा सकते।

क्या किसी जड़ी-बुटी से लंबाई बढ़ाई जा सकती है? 

नहीं। कुछ जड़ी बूटियों को लेकर बच्चों में किये गए शोध बताते हैं कि हर्बल जड़ी-बुटी लंबाई बढ़ाते हैं या नहीं, इस विषय में गहन शोध की आवश्यकता है। दीर्घकालिक नियंत्रित परीक्षणों की कमी के कारण, गर्भकालीन आयु (एसजीए) के लिए छोटे कद वाले किशोरों में ऊंचाई बढ़ाने के लिए ग्रोथ हार्मोन्स की प्रभावकारिता स्पष्ट नहीं है।। हालांकि इस शोध के परिणाम बताते हैं कि शोध के दौरान सटीक मानक प्राप्त नहीं हुए और परिणाम में एकरुपता भी दर्ज नहीं की गई। 

साथ ही वीडियो में कहा गया है कि इस औषधि का वर्णन आयुष मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में किया है लेकिन जब हमने आयुष मंत्रालय की वेबसाइट को खंगालना शुरु किया, तो वहां हमें इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं मिली। साथ ही हमने आयुष मंत्रालय के सोशल मीडिया अकाउंट X (पहले ट्विटवर) को देखा जहां एक पोस्ट जारी की गई है लेकिन उसके साथ ही वर्णित है कि विशेष स्थिति में स्वास्थ्य को लेकर किसी भी संदेह या समस्या के लिए कृपया डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। साथ ही यहां भी लंबाई बढ़ाने को लेकर कोई जानकारी मौजूद नहीं है।

इसके अलावा इस फेसबुक पोस्ट में किन हर्बल जड़ी-बुटियों का इस्तेमाल किया गया है, इस बात की जानकारी नहीं दी गई है।

Dietitian Harita

डॉ. हरिता अध्वर्यु (Sr. Clinical Dietitian Ezcure Diabetes Care, Ahmedabad, Gujarat) बताती हैं कि, “किसी व्यक्ति की लंबाई आमतौर पर आनुवंशिकी या माता-पिता की लंबाई से निर्धारित होती है। बचपन और किशोरावस्था के दौरान उचित पोषण अच्छी लंबाई में योगदान से सकता है, लेकिन एक बार जब हड्डियों का विकास बंद हो जाता है, तो कोई भी उपचार या पोषण लंबाई बढ़ाने में मदद नहीं करेगा।”

अतः उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता है कि हर्बल जड़ी-बुटियों की मदद से लंबाई को किसी भी उम्र में नहीं बढ़ाया जा सकता है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है, जैसे- राम किट हार्ट अटैक से बचा लेगी और पश्चिमोत्तानासन करने से किसी भी उम्र में बढ़ सकती है लंबाई

तथ्य जाँच: क्या टूटे हुए दांतों को दंत चिकित्सक के बिना बदला जा सकता है? 

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सारांश 

एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि सामने के टूटे हुए दांत को बिना किसी दंत चिकित्सक की मदद से कृत्रिम दांत से बदला जा सकता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है। 

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दावा 

फेसबुक पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि सामने के टूटे हुए दांत को बिना किसी दंत चिकित्सक की मदद से बदला जा सकता है, यानी कि नए दांत को लगाया जा सकता है, जो कृत्रिम हो।

Tooth DIY claim

तथ्य जाँच 

क्या टूटे हुए दांतों को दंत चिकित्सक के बिना बदला जाना चाहिए? 

नहीं। एक टूटे हुए दांत या टूटे हुए दांतों के एक सेट को कभी भी दंत चिकित्सक के बिना डू-इट-योरसेल्फ यानी कि DIY तकनीकों से नहीं बदला जाना चाहिए। DIY क्राउन या डेन्चर सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि उन्हें फिट करने और बनाने के लिए उचित प्रशिक्षण और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। उचित ज्ञान और प्रशिक्षण के बिना DIY तरीके से लगाए गए दांत खराब फिटिंग या अन्य दंत समस्याओं को उत्पन्न कर सकते हैं, जिससे असुविधा, दर्द, संक्रमण और यहां तक कि दांतों और मसूड़ों को नुकसान हो सकता है

DIY डेन्चर या क्राउन वाले प्लास्टिक के दांतों के कारण भोजन के कण दांतों या मसूड़ों के बीच फंस सकते हैं, जिससे सड़न और सांसों की दुर्गंध हो सकती है। लंबी अवधि में इससे अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है, जो मसूड़ों और हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसके अलावा मुंह में डाली गई कोई भी वस्तु दम घुटने का संभावित खतरा पैदा करती है क्योंकि यह कभी भी उखड़ सकती है और श्वास नली या भोजन नली में फंस सकती है।

इसके अलावा जब आप एक दंत चिकित्सक से संपर्क करते हैं, तो वे आपकी अंतर्निहित दंत समस्याओं की पहचान और समाधान कर सकते हैं, जो दांतों को सेहतमंद बनाने में योगदान कर सकते हैं। 

दंत चिकित्सक डॉ. पूजा भारद्वाज बताती हैं “दांतों का विकास इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज बच्चा है या वयस्क है, क्योंकि जब एक छोटे बच्चे के दूध (प्राथमिक) के दांत टूट जाते हैं, तो उसके स्थान पर उसके अपने स्थायी दांत आ जाते हैं लेकिन वयस्कों को दंत चिकित्सक की सहायता की आवश्यकता होती है क्योंकि वयस्क होने पर दांत स्वयं विकसित नहीं होते हैं।”

वे आगे बताती हैं कि ऐसे में दंत चिकित्सक रोगी को उपचार की लागत और दीर्घकालिक स्थायित्व के साथ-साथ प्रत्यारोपण, फिक्स्ड ब्रिज, फ़्लिपर (हटाने योग्य आंशिक डेन्चर) और मैरीलैंड ब्रिज जैसे सभी संभावित विकल्पों के बारे में मार्गदर्शन करते हैं। देखा जाए, तो टूटे हुए दांत मुंह के सौंदर्य, कार्यक्षमता और खाने और बोलने में कठिनाई में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं। इसके अलावा जो दांत ढीले हो जाते हैं, वे अनेक समस्याएं उत्पन्न करते हैं इसलिए संभावित परिणामों के लिए व्यक्ति को हमेशा दंत चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। 

दंत चिकित्सक टूटे हुए दांत को कैसे बदलते हैं? 

मरीज की जरूरतों और परिस्थितियों के आधार पर दंत चिकित्सक कई तरीकों से टूटे हुए दांत को बदल सकते हैं। दंत चिकित्सक सबसे उपयुक्त विकल्प की सिफारिश करने से पहले मरीज के मुंह के स्वास्थ्य, चिकित्सीय इतिहास और वरीयताओं का मूल्यांकन करते हैं ताकि इलाज को सफल बनाया जा सके। 

टूटे हुए दांतों को बदलने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ सामान्य तरीके निम्नलिखित हैं- 

  • डेंटल इम्प्लांट (Dental implants): डेंटल इम्प्लांट को खोए हुए दांतों को बदलने के लिए सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है। इन्हें सर्जिकल रूप से जड़ाव में डाला जाता है और ये डेंटल क्राउन के लिए आधार का काम करते हैं। डेंटल इम्प्लांट बहुत टिकाऊ होते हैं और उचित देखभाल के साथ जीवन भर चल सकते हैं।
  • डेंटल ब्रिज (Dental bridges): डेंटल ब्रिज एक निश्चित प्रकार का पुनर्स्थापन है, जिसका उपयोग एक या एक से अधिक टूटे हुए दांतों को बदलने के लिए किया जाता है। यह कृत्रिम दांतों से बना होता है, जो उन दांतों पर लगाए गए क्राउन से जुड़े होता है, जो खाली जगह के दोनों ओर होते हैं। डेंटल ब्रिज उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जिनके दो स्वस्थ दांतों के बीच टूटे हुए दांत से बनी खाली जगह होती है। 
  • डेन्चर (Dentures): डेन्चर कृत्रिम दांत होते हैं, जो निकाले गए दांतों को बदलने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये पूरे डेन्चर हो सकते हैं, जो ऊपरी या निचले जबड़े में सभी दांतों को बदल देते हैं, या आंशिक डेन्चर, जो कुछ दांतों को बदल देते हैं। डेन्चर उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जिन्होंने अपने सभी या अधिकांश दांत खो दिए हैं।
  • फ्लिपर (Flippers): फ्लिपर एक अस्थायी रूप से निकाला जा सकने वाला आंशिक डेन्चर है, जिसका उपयोग एक या कुछ खोए हुए दांतों को बदलने के लिए किया जाता है। फ्लिपर उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है, जो अपने खोए हुए दांतों के स्थायी प्रतिस्थापन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

अतः उपरोक्त शोध पत्रों और चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है क्योंकि इस वीडियो में भी बिना किसी दंत चिकित्सक के दांतों को प्रतिस्थापित करने की बात दिखाई गई है, जो लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करती है। 

हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है, जैसे-  घरेलू उपायों के जरिए दांतों को सफेद किया जा सकता है और नमक और सरसों का तेल दांतों का पीलापन खत्म कर सकता है.

तथ्य जाँचः क्या पूरे भारत की सरकारी दुकानों में टीबी की दवाई खत्म हो गई है?

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सारांश 

एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह दावा किया जा रहा है कि सरकारी दुकानों में टी बी दवाइयां खत्म हो गई हैं। जब हमने इस पोस्ट की तथ्य जाँच की तब पाया कि यह दावा अधिकतर गलत है। 

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दावा 

एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि सरकारी आउटलेट से क्षय रोग (TB) की टेबलेट खत्म हो गई है। पूरे भारत में मरीज बेहद नाराज़ हैं। कृपया चुनाव तिथि से पहले पूरे भारत में उपलब्ध कराएं। 

तथ्य जाँच 

क्या सरकारी दुकानों में टीबी की दवाई खत्म हो गई है?

नहीं। सरकारी दुकानों में टी.बी दवाइयां खत्म वाली मीडिया रिपोर्ट अधिकतर झूठी और भ्रामक हैं। देश में सभी टीबी रोधी दवाएं छह महीने और उससे अधिक की समयावधि के लिए पर्याप्त स्टॉक के साथ उपलब्ध हैं। पीआईबी (PIB) के अनुसार ऐसी रिपोर्ट जानबूझकर लोगों को धोखा देने और गुमराह करने के इरादे से फैलाई जा रही हैं।

PIB पर जारी जानकारी के अनुसार जो टीबी दवा के प्रति संवेदनशील होती है, उसके उपचार में दो महीने के लिए 4FDC (Isoniazid, Rifampicin, Ethambutol और Pyrazinamide) के रूप में उपलब्ध चार दवाएं शामिल हैं। इसके बाद दो महीने के लिए 3 FDC (Isoniazid, Rifampicin, Ethambutol) के रूप में उपलब्ध तीन दवाएं शामिल हैं। ये सभी दवाएं छह महीने और उससे अधिक की समयावधि के लिए पर्याप्त स्टॉक के साथ उपलब्ध हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इन दवाओं की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

क्या राज्यों में टीबी दवाओं की आपूर्ति हो रही है?

राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम [National TB Elimination Programme (NTEP)] के तहत केंद्रीय स्तर पर टीबी रोधी दवाओं और अन्य सामग्रियों की खरीद, भंडारण, स्टॉक का रखरखाव और समय पर वितरण किया जा रहा है। दुर्लभ स्थितियों में, राज्यों से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन [National Health Mission (NHM)] के तहत बजट का उपयोग करके सीमित अवधि के लिए स्थानीय स्तर पर कुछ दवाएं खरीदने का अनुरोध किया जाता है ताकि व्यक्तिगत रोगी देखभाल प्रभावित न हो।

NTEP (राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम) के तहत Moxifloxacin 400mg और Pyridoxine का 15 महीने से अधिक का स्टॉक उपलब्ध है। इसके अलावा, अगस्त 2023 में Delamanid 50 mg और Clofazimine 100 mg खरीदे गए हैं और सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में आपूर्ति की गई है। इसके साथ ही करीब 8 लाख अतिरिक्त Delamanid 50 mg टैबलेट की आपूर्ति के लिए 23.09.2023 को पी.ओ. जारी किया गया है।

उल्लिखित स्टॉक के अलावा अगस्त 2023 में 3 FDC (P), Linezolid-600mg और Cap Cycloserine-250 mg की आपूर्ति के लिए खरीद आदेश जारी किए गए थे। 3 FDC(P) के लिए पूर्व प्रेषण निरीक्षण (PDI), Linezolid-600mg और Cap Cycloserine-250 mg और3 FDC(P) और Cycloserine की गुणवत्ता परीक्षण रिपोर्ट भी आ गई है। इन दवाओं को राज्यों में भेजा जा रहा है। 25.09.2023 से रिलीज़ ऑर्डर जारी किए जा रहे हैं।

National Tuberculosis Elimination Programme के अनुसार वर्ष 2024 तक उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। टीबी रोगियों की अलग-अलग देखभाल के लिए एक व्यापक पैकेज के लिए तकनीकी मार्गदर्शन 2021 में शुरू किया गया था। कई बार यह देखा गया है कि सप्लाई चैन में होने वाली गड़बड़ियों की वजह से कुछ क्षेत्रों में दवाइयां पहुंचाने में देर हो सकती है लेकिन फिर भी समय पर चिकित्सा केंद्रों में दवाई की आपूर्ति करना केंद्र और राज्य दोनों की जिम्मेदारी होती है। हमारी जांच में अधिकतर दुकानों में दवाई पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध पाई गयी।

अतः उपर्युक्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार कहा जा सकता है कि यह दावा अधिकतर गलत है। सरकारी दुकानों में टीबी के दवाओं की कमी को लेकर गलत दावे किए जा रहे हैं। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जांच की है, जैसे –  प्रधानमंत्री का आरक्षण विरोधी भाषण चुनाव से प्रेरित है और नारियल तेल और एलोवेरा जेल की मदद से स्ट्रेच मार्क्स को हटाया जा सकता है।