Last Updated on मार्च 29, 2024 by Neelam Singh
सारांश
एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ मध्य प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं मिलता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा अधिकतर गलत है।
दावा
एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ मध्य प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में नहीं मिलता है। दावाकर्ता का कहना है कि किसी भी बड़े इलाज या ऑपरेशन के लिए अस्पताल आयुष्मान कार्ड नहीं स्वीकारते हैं और वहां कैश देना पड़ता है।
तथ्य जाँच
आयुष्मान भारत योजना क्या है?
आयुष्मान भारत योजना को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत सरकार द्वारा माध्यमिक (secondary) और तृतीयक (tertiary) स्वास्थ्य देखभाल के लिए कम आय वाले परिवारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई, एक स्वास्थ्य बीमा योजना है। सबसे अहम बात यह है कि इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार को 5 लाख तक का कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है। इसके अलावा इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान किए जाते हैं-
- लाभार्थी: सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011 (एसईसीसी 2011) के आधार पर भारत की आबादी का लगभग 50% तबका ऐसा है, जिसे इस योजना की जरुरत है। इसका अर्थ है कि 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवार इसके लाभार्थी हो सकते हैं।
- अस्पताल: पूरे भारत में सार्वजनिक और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में इस योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय वित्त बजट 2018 में आयुष्मान भारत की घोषणा की गई थी, जिसके दो मुख्य स्तंभ हैं। देश में एक लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स स्थापित करना एवं 10 करोड़ परिवारों को रूपये 5.00 लाख प्रतिवर्ष के स्वास्थ्य बीमा कवच से जोड़ना।
आयुष्मान भारत योजना के मुख्य पहलू क्या हैं?
आयुष्मान भारत योजना के मुख्य पहलू निम्नानुसार हैं-
इस योजना में सामाजिक, आर्थिक जाति जनगणना (SECC) में चिन्हित D-1 से D-7(D-6 को छोड़कर) वंचित श्रेणी के ग्रामीण परिवार सम्मिलित होंगे एवं चिन्हित व्यवसाय-आधारित शहरी परिवार सम्मिलित रहेंगे। साथ ही कुछ श्रेणियों के परिवार स्वत: ही समावेशित रहेंगे।
आयुष्मान भारत मिशन के अंतर्गत प्रधानमंत्री राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत् सामाजिक आर्थिक जातिगत गणना (SECC) में चिन्हित लाभार्थियों के अतिरिक्त, म.प्र. शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि खाद्य सुरक्षा में प्रदाय पात्रता पर्ची एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी शामिल किया जावे। आगामी समय में अन्य योजनाओं के हितग्राहियों या समाज के अन्य वर्गों को भी इस योजना में शामिल किये जाने पर विचार किया जाएगा। यह जानकारी आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जय) “निरामयम्” राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, मध्यप्रदेश से ली गई है।
26 मार्च, 2024 तक ‘39767058’ लोगों को आयुष्मान कार्ड प्रदान किए जा चुके हैं। 26 मार्च, 2024 के ही आंकड़ों के अनुसार कुल ‘3504163’ लाभार्थियों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिल चुका है।
क्या सभी अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड स्वीकार किए जाते हैं?
मध्यप्रदेश में 52 जिलें हैं जिनके सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटलों को इस योजना में जोड़ा गया है। 15 अप्रैल, 2023 को खबर आई थी कि भोपाल सहित मध्य प्रदेश के सभी निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड योजना के तहत गरीब मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। यह घोषणा यूनाइटेड प्राइवेट हॉस्पिटल्स डायरेक्टर एसोसिएशन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की थी क्योंकि कई अस्पतालों को बीते 8 महीने से आयुष्मान राशि नहीं मिली थी मगर अस्पतालों ने मुफ्त में इलाज कर दिया था।
PIB द्वारा साल 2018 में जारी आंकड़ों की माने तो मध्य प्रदेश में 1867 अस्पातल हैं। 26 मार्च, 2024 की आंकड़ों के अनुसार सूचीबद्ध सरकारी अस्पतालों की संख्या 501 है और 512 निजी अस्पताल सूचीबद्ध हैं। हालांकि हमें अस्पतालों की संख्या को लेकर कोई सटीक आंकड़ा नहीं मिला। इससे सबंधित अधिक जानकारी के लिए आपको इस आधिकारिक लिंक पर जाना होगा।
क्या आयुष्मान कार्ड कचरे का डब्बा है?
नहीं। PIB पर जारी जानकारी के अनुसार आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) योजना के तहत कम से कम 21.9 करोड़ लाभार्थियों का सत्यापन किया गया है, जिसमें 4 जनवरी, 2023 तक राज्य की IT प्रणालियों का उपयोग करके सत्यापित 3 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार इस योजना के तहत 26,055 से अधिक अस्पतालों में लगभग 4.3 करोड़ लोग इलाज के लिए भर्ती हुए, जिसकी राशि 50,409 करोड़ रुपये है। इस राशि को भी अधिकृत किया गया है। यह जानकारी स्वयं वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश करने के दौरान दी।
वहीं इस योजना के तहत हर साल खर्च किए गए कुल धन का दो-तिहाई हिस्सा देश भर के निजी अस्पतालों में गया है। दिसंबर 2023 तक 2.95 करोड़ मरीजों यानी कि सभी लाभार्थियों का 54% हिस्सा निजी अस्पतालों में इस्तेमाल हुआ है।
आंकड़ें बताते हैं कि आयुष्मान कार्ड की मदद से कई लोगों ने अपना इलाज ना केवल निजी बल्कि सरकारी अस्पतालों में भी करवाया है, तो इसे कचरे का डब्बा कहना उचित नहीं है।
देखा जाए, तो कई बार निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड लेने से कतराते हैं क्योंकि उन्हें तुंरत पैसे नहीं मिलते। वहीं कई अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड के अंतर्गत इलाज भी नहीं होता। ऐसे में वीडियो में जो दावा किया जा रहा है, उससे स्पष्ट नहीं होता है कि किस सरकारी अस्पताल की बात की जा रही है या दावाकर्ता को कौन सी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र पक्ष और विपक्ष दलों की छवि को धूमिल करने के लिए इस प्रकार के दोषारोप किये जा रहे हैं जिसमें कई तथ्यात्मक जानकारी का अभाव है। अतः यह दावा अधिकतर गलत है।
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