Last Updated on अप्रैल 9, 2024 by Neelam Singh
सारांश
एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि इंसुलिन द्वारा रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है।
दावा
फेसबुक पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि इंसुलिन को बढ़ाने से रक्त शर्करा का स्तर कम होने के बजाय बढ़ सकता है। दावाकर्ता का कहना है कि रात में खाना खाने के बाद रक्त शर्करा का स्तर कम होने लगता है और फिर अचानक बढ़ता है लेकिन यह बढ़ाव यकृत यानी कि liver के कारण होता है मगर लोगों को लगता है कि रक्त शर्करा का स्तर बढ़ गया है और वो इंसुलिन की मात्रा बढ़ा देते हैं। यह बिल्कुल ऐसा है, मानो किसी बॉल को नीचे फेंका तो वो और तेजी से ऊपर आएगा।
तथ्य जाँच
क्या वीडियो में दिखाए गए व्यक्ति पर भरोसा किया जा सकता है?
नहीं। आपको बता दें कि वीडियो में जो शख्स मौजूद है, उसके खिलाफ कोरोना काल के दौरान एक याचिका दायर की गई थी, जिसे change.org पर जारी किया गया था। बिस्वरूप रॉय चौधरी एक स्व-घोषित डॉक्टर है, जो अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से महामारी की शुरुआत के बाद से लगातार जनता को COVID -19 के बारे में यह कहते हुए गुमराह कर रहा था कि यह मौसमी फ्लू के अलावा कुछ नहीं है। साथ ही उन्होंने भारत सरकार द्वारा सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील को भी एक अनावश्यक कदम बताया था।
हालांकि कोरोना काल के दौरान कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने वैक्सीन संबंधी गलत सूचनाओं को दूर करने के लिए अनेक कदम उठाए परन्तु फिर भी डॉ. चौधरी द्वारा फैलाई जा रही गलत सूचनाओं का दायरा बढ़ता जा रहा है। हाल ही में उन्होंने इंसुलिन द्वारा शरीर के रक्त शर्करा स्तर बढ़ने का दावा अपने फेसबुक अकाउंट Dr. BRC Shorts से साझा किया है।
इंसुलिन क्या है?
इंसुलिन अग्न्याशय (pancreas) द्वारा निर्मित एक महत्वपूर्ण हार्मोन है। इंसुलिन द्वारा ही पाचन क्रिया और रक्त शर्करा को नियंत्रित किया जाता है ताकि मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया सही ढ़ंग से हो सके।
रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने के अतिरिक्त इंसुलिन शरीर के अंदर वसा को सहेजने का काम भी करता है ताकि जरूरत पड़ने पर शरीर इस वसा का उपयोग कर सके।
क्या इंसुलिन थेरेपी रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है?
नहीं, इंसुलिन का उपयोग रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने के लिए ज़िम्मेदार नहीं है। जैसा कि हमने बताया है कि इंसुलिन एक हार्मोन है, जो रक्त से ग्लूकोज (चीनी) को लेकर उसे मांसपेशियों की कोशिकाओं में अवशोषित करने में मदद करता है, जहां इसका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जाता है।
मधुमेह से पीड़ित लोगों में शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति उतनी अच्छी तरह प्रतिक्रिया नहीं करती हैं, जितनी उन्हें करनी चाहिए। इससे रक्त शर्करा का स्तर उच्च हो सकता है। इंसुलिन थेरेपी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
क्या यकृत और इंसुलिन में संबंध है?
यकृत रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यकृत में मौजूद हेपेटिक इंसुलिन क्लीयरेंस और मेटाबॉलिज्म का समायोजन का उद्देश्य रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करना है।
हालांकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मधुमेह से ग्रसित व्यक्तियों में इंसुलिन को प्रतिस्थापित करने के लिए यकृत पर्याप्त नहीं हैं। इंसुलिन कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज ग्रहण को सुविधाजनक बनाने और पूरे शरीर में ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म को विनियमित करने के लिए आवश्यक है, जबकि लीवर ग्लूकोज होमियोस्टैसिस यानी कि शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में योगदान देता है।
यह मधुमेह रोगियों में इंसुलिन की अनुपस्थिति या अपर्याप्तता की पूरी तरह से क्षतिपूर्ति नहीं कर सकता है। रक्त शर्करा के स्तर को पर्याप्त रूप से नियंत्रित करने और जटिलताओं को रोकने के लिए इंसुलिन रिप्लेसमेंट थेरेपी मधुमेह प्रबंधन की आधारशिला बनी हुई है। यही कारण है कि यकृत के प्रतिपूरक तंत्र ग्लूकोज विनियमन के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन उसमें मधुमेह से ग्रसित व्यक्तियों में इंसुलिन की भूमिका को प्रतिस्थापित करने की क्षमता नहीं है।
क्या हर केस में इंसुलिन पर निर्भरता हटाई जा सकती है?
देखा जाए, तो इंसुलिन निर्भरता को पूरी तरह से हटाना आपके मधुमेह के प्रकार पर निर्भर करता है।
टाइप 1 मधुमेह: यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं पर हमला करता है। वर्तमान में टाइप 1 मधुमेह का कोई इलाज नहीं है, और इस स्थिति वाले लोगों को जीवन भर इंसुलिन की आवश्यकता होती है।
टाइप 2 मधुमेह: यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है। यह तब होता है, जब शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है या पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। कुछ मामलों में टाइप 2 मधुमेह से मुक्ति पाना संभव है, जिसका अर्थ है कि आप इंसुलिन लिए बिना अपने रक्त शर्करा के स्तर को प्रबंधित कर सकते हैं।
यहां कुछ बिंदू दिए गए हैं, जो इंसुलिन पर आपकी निर्भरता को कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं। खासकर टाइप 2 मधुमेह के लिए-
- आहार: प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा वाले स्वस्थ आहार का सेवन आपके शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
- व्यायाम: नियमित व्यायाम भी आपके शरीर को इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद कर सकता है।
- वजन नियंत्रित रखना: यदि आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो वजन कम करने से आपके रक्त शर्करा नियंत्रण में काफी सुधार हो सकता है।
अतः उपरोक्त शोध पत्रों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा गलत है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है, जैसे- गुड़ खाने से शुगर जैसी बीमारी नहीं होती और करेले के जूस में पैर भिगोना मधुमेह के लिए फायदेमंद है.
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