Last Updated on अप्रैल 9, 2024 by Neelam Singh
सारांश
एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि साड़ी पहनने से महिलाओं में कैंसर होने की संभावना होती है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा आधा सत्य है।
दावा
फेसबुक पर जारी एक वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि साड़ी पहनने से महिलाओं में कैंसर होने की संभावना होती है।
तथ्य जाँच
क्या साड़ी कैंसर होता है?
हां। शोध बताते हैं कि त्वचा कैंसर एक असामान्य घातक बीमारी है, जो भारत में होने वाले सभी कैंसरों में से 1% से भी कम है। ड्रॉस्ट्रिंग डर्मेटाइटिस (Drawstring dermatitis) एक प्रकार का घर्षणात्मक डर्मेटाइटिस है, जो ‘साड़ी’ और ‘सलवार-कमीज़’ जैसे पारंपरिक कसकर पहने जाने वाले कपड़ों से हो सकता है।
कमर पर लगातार बना रहने वाला घर्षण lichenified grooves, सूजन, त्वचा की रंगत में फीकापन या सफेद दाग यानी कि विटिलिगो या lichen planus जैसी पहले से मौजूद त्वचा रोगों को बढ़ा सकता है। पुरानी घर्षण, पसीने और उष्णकटिबंधीय वातावरण की नमी के साथ मिलकर कैंडिडा, डर्माटोफाइट्स और बैक्टीरिया के संक्रमण का कारण बनता है। हालांकि दुर्लभ मामलों में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma) की सूचना मिली है। इस स्थिति की रोकथाम वजन कम करने और कमरबंद की डोरी को ढीला बांधने से हो सकती है।
साड़ी का कैंसर त्वचा कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है, जिसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC) के नाम से जाना जाता है। साड़ी और धोती क्रमशः भारतीय उपमहाद्वीप की महिलाओं और पुरुषों के पारंपरिक वस्त्र हैं। इन वस्त्रों को लगातार कमर के चारों ओर कसकर पहनने से त्वचा में रंग बदलाव, त्वचा का सख्त होना (acanthosis), घाव के निशान और घाव (ulceration) बन जाते हैं फिर धीरे-धीरे ये घातक (malignant) परिवर्तन में बदल सकते हैं। माना जाता है कि लम्बे समय तक बार-बार लगने वाली चोट और उसके कारण घाव भरने की प्रक्रिया में बाधा ही इस घातक परिवर्तन का कारण बनती है।
क्या हाल ही में साड़ी कैंसर के मरीजों में बढ़ोतरी हुई है?
नहीं। जैसा ऊपर बताया जा चुका है कि साड़ी कैंसर भारत में होने वाले सभी कैंसरों में से 1% से भी कम है। साथ ही, साड़ी कैंसर और अपघर्षक कपड़ों से होने वाली त्वचा की अन्य विकृतियों को आसानी से रोका जा सकता है। यहाँ उल्लेखनीय है कि यह स्वास्थ्य दशा किसी विशेष परिधान जैसे साड़ी के लिए विशिष्ट नहीं है। यह अन्य तंग कपड़ों जैसे जीन्स, अंडरगारमेंट्स के लिए भी लागू होता है।
क्या सभी महिलाओं को साड़ी पहनने से कैंसर का खतरा हो सकता है?
नहीं। अध्ययन बताते हैं कि साड़ी कैंसर का मामला एक 68 वर्षीय महिला में मिला था, जिन्हें कमर के बायीं ओर एक गांठ (ulceroproliferative growth) थी। बायोप्सी (biopsy) में यह गांठ स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC) के रूप में पाई गई। इसका इलाज सर्जरी द्वारा किया गया, जिसमें गांठ को व्यापक रूप से काटकर निकाल दिया गया (wide excision) और फिर घाव को बंद कर दिया गया (primary closure)।
एक अन्य मामले में 40 वर्षीय महिला पिछले छह महीनों से दाहिने कूल्हे के क्षेत्र में घाव की समस्या से जूझ रही थीं। उन्होंने बताया था कि दाहिने कूल्हे के क्षेत्र में वे साड़ी बांधती थी, वहां पर पहले भी घाव हो चुका था और अब दोबारा हो गया है। पिछले एक महीने में घाव का आकार बढ़ गया है और साथ ही दर्द भी रहता है। अध्ययन में वर्णित है कि इन महिला को भी साड़ी कैंसर यानी कि SCC हुआ था।
डॉ. सार्थक मोहर्रिर (Radiation oncologist, Apollo Hospital, Bilaspur) बताते हैं कि, “भारतीय महिलाओं में साड़ी कैंसर अभी एक दुर्लभ कैंसर है। देखा जाए तो महिलाएं जो साड़ी या पेटीकोट पहनती हैं, वो लंबे समय तक कमर में कसा होता है। यही कारण है कि वहां की त्वचा में घर्षण होने लगता है। गर्मी के दिनों में ये समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा साड़ी कैंसर के अन्य कारक में निजी साफ सफाई भी है क्योंकि कई बार लंबे वक्त तक पसीना आने के कारण आसपास के धूल कण भी साड़ी में रह जाते हैं, जिससे सूजन होने की संभावना बढ़ जाती है। यही सूजन बाद में कैंसर का रूप ले लेता है।
साड़ी कैंसर से बचने का एकमात्र उपाय है कि कमर में एक ही जगह बार बार साड़ी या पेटीकोट को कस कर न बांधा जाये और साफ सफाई पर ध्यान दें। किसी भी प्रकार के लक्षण आने पर चिकित्सक से तुरंत संपर्क किया जाना चाहिए। अगर सही समय पर त्वचा कैंसर की पहचान हो जाए तो उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है।”
स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC) क्या है?
शोध बताते हैं कि स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा त्वचा कैंसर का दूसरा सबसे आम प्रकार है। यह तब होता है, जब त्वचा लंबे समय तक पराबैंगनी (UV) किरणों के संपर्क में रहती है। इस स्थिति में एक्टिनिक केराटोसिस नामक पूर्व-कैंसर घाव बन सकते हैं, जो बाद में ट्यूमर का रूप ले सकते हैं और शरीर में अन्य अंगों तक फैलने की क्षमता रखते हैं। चिकित्सक मरीज की स्थिति और गंभीरता के अनुसार ही Radiation Therapy, Immunosuppression या अन्य चिकित्सीय पद्धति का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें सर्जकी भी एक प्रमुख विकल्प है।
साड़ी कैंसर से बचने के क्या उपाय हो सकते हैं?
साड़ी कैंसर से बचने के लिए जागरुकता ही एकमात्र उपाय है। ऐसे में साड़ी या पेटीकोट की डोरी को कमर के हिस्से में कसकर बांधने से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा जो महिलाएं दिन-भर साड़ी पहनती हैं, उन्हें साड़ी पहनते समय निम्नलिखित सलाह दी जानी चाहिए-
- जिनकी त्वचा संवेदनशील होती है, उन्हें साड़ी को कसकर नहीं बांधना चाहिए।
- अपनी त्वचा के अनुसार ही फैब्रिक का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि कई बार लोगों को किसी खास किस्म के कपड़ों से संक्रमण आदि की समस्या होती है, जो आगे चलकर गंभीर परिणाम दे सकती है।
- पेटीकोट में नाड़े की जगह चौड़ी बेल्ट का उपयोग किया जा सकता है ताकि दबाव कम पड़े। ध्यान रखें कि बेल्ट भी ज्यादा कसी हुई नहीं होनी चाहिए।
- हर बार एक ही स्थान पर साड़ी ना बांधे। आप चाहे तो उसके जगह को थोड़ा ऊपर-नीचे किया जा सकता है ताकि लगातार दबाब की समस्या ना हो।
अतः उपरोक्त शोध पत्रों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा आधा सत्य है। भारत में साड़ी कैंसर के केस अभी काफी कम हैं। ऐसे में जागरुकता और बचाव के जरिए साड़ी कैंसर से बचा जा सकता है। हमने पहले भी कई दावों की जाँच की है, जैसे- जायफल चेहरे के काले धब्बों को ठीक कर सकता है. किसी भी तरह के भ्रामक दावों से दूर रहे।
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