Last Updated on अप्रैल 4, 2024 by Neelam Singh
सारांश
फेसबुक पर जारी एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि धतुरे के बीज, लहसुन, मेथी को सरसों के तेल में उबालकर लगाने से 100 सालों तक घुटने का दर्द नहीं होगा। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
दावा
फेसबुक पर जारी एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि धतुरे के बीज, लहसुन, मेथी को सरसों के तेल में उबालकर लगाने से 100 सालों तक घुटने का दर्द नहीं होगा। वीडियो में दावा किया गया है कि चाहे कोई भी दर्द हो, कमर या घुटने का, इस उपाय को करने से 100 साल तक दर्द से छुट्टी हो जाएगी।
तथ्य जाँच
घुटनों में दर्द के कारण क्या हैं?
घुटनों में दर्द एक आम समस्या है, जो किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं-
अत्यधिक उपयोग: यह घुटने के दर्द का सबसे आम कारण है।
- दौड़ना, कूदना, या सीढ़ियां चढ़ने जैसी गतिविधियों से घुटने के ऊतकों में जलन हो सकती है, जिससे दर्द और सूजन हो सकती है।
- इसे Jumper’s knee (patellar tendonitis) भी कहा जाता है।
चोटें: घुटनों में चोट लगना भी घुटनों के दर्द का एक प्रमुख कारण है।
- लिगामेंट में सूजन होना या किसी कारण हड्डियों का टूटना भी दर्द का कारण बन सकता है।
- ये चोटें अचानक लगने वाले प्रभाव से हो सकती हैं, जैसे कि गिरना या किसी दुर्घटना के कारण।
गठिया: ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस, गठिया के दो सामान्य प्रकार हैं, जो घुटने को प्रभावित कर सकते हैं।
- गठिया के कारण घुटनों में दर्द, कठोरता और सूजन हो सकती है।
- ऑस्टियोआर्थराइटिस में धीरे-धीरे बढ़ती उम्र के साथ घुटनों की समस्या बढ़ने लगती है।
- वहीं रुमेटीइड गठिया एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली घुटने सहित शरीर के कई जोड़ों में स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है।
- यह घुटने के जोड़ के आसपास के कैप्सूल, सिनोवियल झिल्ली की सूजन का कारण बनता है।
- सूजन वाली कोशिकाएं ऐसे पदार्थ का रिसाव करती है, जो समय के साथ घुटने के cartilage को कमजोर कर देते हैं।
- यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
- बर्साइटिस में तरल पदार्थ से भरी थैलियों में सूजन होने लगती है, जो घुटने के आसपास की हड्डियों, टेंडन और मांसपेशियों को सहारा देती है।
- यह अत्यधिक उपयोग, चोट या कुछ बीमारियों के कारण हो सकता है।
वजन: अधिक वजन या मोटापे के कारण घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे दर्द हो सकता है।
क्या धतुरे के बीज, मेथी और लहसुन को सरसों तेल में मिलाकर लगाने से 100 साल तक घुटनों के दर्द या कमर दर्द से मुक्ति मिल जाएगी?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति की Life expectancy (यानी कि एक इंसान कब तक जीवित रह सकता है) 70.8 साल है। इसका मतलब कि एक व्यक्ति की औसत आयु 70.8 साल के आसपास है। जब किसी व्यक्ति की औसत आयु ही 70 साल है, तब ऐसे में किसी वीडियो द्वारा 100 साल तक दर्द ना होने के दावे का कोई औचित्य ही नहीं है।
इसके अलावा वीडियो में धतुरे के बीज, मेथी दाना और लहसुन का जिक्र किया गया है, जिसके जोड़ों के दर्द पर निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं लेकिन 100 साल तक दर्द नहीं होगा, इसका कोई प्रमाण नहीं है।
- धतुराः धतूरा एक अत्यधिक विषैला पौधा होता है और इसके किसी भी भाग को निगलना खतरनाक हो सकता है। हालांकि भारत में धतुरा के बीज, फूल आदि का प्रयोग इसके औषधीय गुणों के कारण होता है। चूहों पर किए गए शोध बताते हैं कि धतुरे के पत्तों का इस्तेमाल सूजन-रोधी के तौर पर किया गया था। वहीं एक अन्य शोध भी धतुरे के पत्तों में सूजन-रोधी गुण होने की बात करते हैं लेकिन धतुरे के पौधे के अन्य भाग एवं उसके अन्य स्वास्थ्यवर्धक गुणों को सामने लाने को लेकर और शोध की अनुशंसा भी करते हैं। धतुरे के इस्तेमाल को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
- मेथीः शोध बताते हैं कि मेथी के बीज में ऐसे यौगिक होते हैं, जिनका अध्ययन उनके संभावित सूजन-रोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए किया गया है, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि इसमें linolenic and linoleic acids पाए जाते हैं। जबकि मेथी (ट्राइगोनेला फोनम-ग्रेकम) का इसके संभावित स्वास्थ्य लाभों के लिए अध्ययन किया गया है। मेथी का उपयोग पारंपरिक रूप से दर्द से राहत सहित कई बीमारियों के लिए किया जाता रहा है। हालांकि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई निर्णायक वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि यह घुटनों के दर्द या कमर दर्द को 100 सालों तक नहीं होने देगा।
- लहसुन: इसमें सूजन-रोधी यौगिक होते हैं, जो संभावित रूप से कुछ प्रकार के दर्द में मदद कर सकते हैं। आर्थराइटिस फाउंडेशन के अनुसार, लहसुन में diallyl disulphide नामक यौगिक होता है, जो प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स (pro-inflammatory cytokines) के प्रभाव को सीमित करता है। लहसुन सूजन से लड़ने और गठिया के कारण होने वाली उपास्थि (cartilage) की हानि को रोकने में मदद कर सकता है लेकिन ये घुटनों के सभी प्रकार के दर्द से राहत देगा या 100 सालों तक दर्द नहीं होने देगा, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है।
डॉ. सुशांत श्रीवास्तव, एमबीबीएस, एमएस (ऑर्थोपेडिक्स) एक अनुभवी ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं। वे बाल चिकित्सा ऑर्थोपेडिक्स में विशेषज्ञ हैं। वर्तमान में वे बिहार के किशनगंज में माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज और लायंस सेवा केंद्र अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। फेसबुक पर वायरल इस वीडियो के बारे में उन्होंने कहा, “इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि घुटने के दर्द के इलाज के लिए विभिन्न संस्कृतियों में सरसों तेल में घरेलू सामाग्रियों, जैसे- लहसुन, प्याज आदि को मिलाकर लगाया जाता रहा है क्योंकि इन उल्लिखित चीजों में सूजन-रोधी गुण होते हैं। हालांकि यह समझने की जरूरत है कि इसे साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।”
उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान चिकित्सा देखभाल साक्ष्य आधारित चिकित्सा पर काम करती है। ऐसे में वैज्ञानिक प्रमाणों द्वारा समर्थित न होने वाली चीज़ों का उपयोग करना उचित नहीं है। देखा जाए, तो जरूरी है कि लोग घुटने के दर्द का कारण सही समय पर समझें एवं सही चिकित्सीय सलाह लें क्योंकि ऑस्टियोआर्थराइटिस, चोट, सूजन, संक्रमण इत्यादि भी घुटने के दर्द का कारण बन सकता है। यह भी समझना जरुरी है कि घरेलू उपचार कुछ मामलों और स्थितियों में दर्द को प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन वे कभी भी उपचार की सही पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को प्रतिस्थापित नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा घरेलू तौर पर किए गए उपायों से 100 सालों तक दर्द नहीं होगा, इस तरह का दावा वैज्ञानिक तौर पर भी नहीं किया जा सकता है।”
किसी भी उम्र में घुटने के दर्द और अन्य जोड़ों से संबंधित दर्द से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
डॉ. सुशांत आगे बताते हैं कि किसी भी उम्र में घुटनों के दर्द या अन्य जोड़ों से संबंधित दर्द से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं-
- स्वस्थ वजन बनाए रखना: वजन के बढ़ने से घुटनों एवं जोड़ों पर अत्याधिक भार का अनुभव होता है, जिससे जोड़ों पर तनाव बढ़ता है। स्वस्थ वजन बनाए रखने से ऑस्टियोआर्थराइटिस (गठिया) होने की संभावना कम हो सकती है। वहीं यदि आपको पहले से ही गठिया है, तब आपको अपने वजन को नियंत्रित रखना चाहिए। किसी व्यक्ति को कितना वजन रखना चाहिए इसका अंदाजा लगाने के लिए ब्रोका इंडेक्स (Broca’s Index) (ऊंचाई सेमी में -100 = आदर्श वजन किलोग्राम में) का उपयोग किया जा सकता है।
- शरीर को सक्रिय रहना: देखा जाए, तो नियमित व्यायाम करने से या शारीरिक गतिविधि करते रहने से जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। एरोबिक व्यायाम करना भी फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा तैराकी (swimming) या साइकिलिंग भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं। कोई भी ऐसी गतिविधि अपनाई जा सकती है, जो आपके लिए उपयुक्त हो।
- उचित तकनीक का उपयोग करना: चाहे कोई व्यायाम हो, भारी वस्तु उठाने का काम हो या कोई दैनिक गतिविधि हो। सही तकनीक का उपयोग करने से जोड़ों को अनावश्यक तनाव से बचाने में मदद मिल सकती है। जैसे- किसी भारी सामान को अचानक ना उठाते हुए, धीरे-धीरे उसके भार को उठाना।
- संतुलित आहार का सेवन करना: उचित और पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार का सेवन स्वस्थ जोड़ों को बनाए रखने के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान कर सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थ (जैसे मछली) जोड़ों के स्वास्थ्य में मदद कर सकते हैं। अपने आहार में सूखे मेवे और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं।
- हाइड्रेटेड रहना: Cartilage एक कठोर लेकिन लचीली ऊतक होती है, जो 65-80 प्रतिशत पानी से बनी होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ cartilage अपनी शक्ति खोने लगती है, जिसके बाद ‘मैट्रिक्स’ इस कार्य को गति देने का काम करता है इसलिए जोड़ों के स्वास्थ्य और कामकाज को बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से हाइड्रेटेड (पानी की कमी ना होने देना) रहना महत्वपूर्ण है।
- दर्द को नजरअंदाज न करें: अगर आपको जोड़ों में दर्द हो रहा है, तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि शरीर दर्द के जरिए ही संकेत देने का प्रयास करता है कि शरीर में कोई परेशानी उत्पन्न हो रही है। यदि आपको लगातार दर्द या सूजन है, तो चिकित्सीय सलाह लें।
- नियमित जांच: नियमित चिकित्सीय जांच से जोड़ों की समस्याओं का जल्द पता लगाने में मदद मिल सकती है और सही उपचार तुरंत शुरू किया जा सकता है। याद रखें, ये केवल सामान्य दिशानिर्देश हैं और अलग-अलग ज़रूरतें व्यक्ति-दर-व्यक्ति भिन्न हो सकती हैं। व्यक्तिगत सलाह के लिए हमेशा प्रमाणित स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें।
अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है और इसे लोगों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने के लिए साझा किया गया है। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं।
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