Last Updated on मार्च 27, 2024 by Neelam Singh
सारांश
कई सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरक्षण के खिलाफ हैं। जब हमने इन पोस्ट्स का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है। यहां इस गलत सूचना से तात्पर्य उस जानकारी से है, जो सत्य से उत्पन्न होती है लेकिन अक्सर इस तरह से बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती है, जो गुमराह करती है और संभावित नुकसान पहुंचाती है।
दावा
कई सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वे आरक्षण के खिलाफ हैं। इसे आप यहां और यहां भी देख सकते हैं।
तथ्य जाँच
क्या नरेन्द्र मोदी ने वाकई आरक्षण के विरोध में भाषण दिया है?
नहीं। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी ने आरक्षण के विरोध में राज्य सभा में भाषण तो नहीं दिया था लेकिन उन्होंने भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु की चिट्टी को अवश्य पढ़ा था। पंडित नेहरु ने वो चिट्टी अपने सहयोगियों को लिखी थी, जिसके अंश को प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सभा में प्रस्तुत किया। इसकी रिपोर्टिंग विभिन्न न्यूज चैनल ने भी की थी। साथ ही इस विषय पर कई आलेख भी प्रकाशित किए गए थे।
प्रधानमंत्री के जिस वीडियो को सोशल मीडिया पर क्लिप करके साझा किया जा रहा है, वह असल में राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब है। लोकसभा चुनाव से पहले संसद में अपने आखिरी संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाति एवं सामाजिक स्तर को लेकर एक भाषण दिया जहाँ वे विपक्ष को बता रहे थे कि पिछड़ी जाति एवं आरक्षण को लेकर वर्तमान सरकार ने क्या-क्या किया है और इस सन्दर्भ में उन्होंने भूतपूर्व सरकार के कार्यों की चर्चा की। सदन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 75वां गणतंत्र दिवस देश की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। पीएम मोदी ने रेखांकित किया था कि राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में भारत के उज्ज्वल भविष्य के बारे में विश्वास व्यक्त किया और भारत के नागरिकों की क्षमता को स्वीकार किया। इस आधिकारिक वीडियो को आप प्रधानमंत्री के आधिकारिक युट्युब पर भी देख सकते हैं, जहां उन्होंने आरक्षण संबंधी बातें कही थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा है-
पंडित नेहरु की इस चिट्टी को आप यहां पढ़ सकते हैं, (जवाहरलाल नेहरू, मुख्यमंत्रियों को पत्र 1947-1964, खंड 5, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, 1989, पीपी 456-7) साथ ही इस पुस्तक की pdf फाइल यहां संलग्न है।
क्या यह वीडियो सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ रहा है?
हाँ। अगर कोई पहली दफा इस वीडियो को देखेगा, तो उसी यही लगेगा कि यह बोल स्वयं प्रधानमंत्री के हैं क्योंकि इसकी पूरी क्लिपिंग को सोशल मीडिआ पर साझा नहीं किया रहा है। हालांकि इस वीडियो पर भरोसा करना इसलिए भी गलत है क्योंकि वर्तमान सरकार ने आरक्षण को लेकर कई प्रयास किए हैं। जैसे- नारी शक्ति वंदन अधिनियम के अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान है।
चुनाव के दौरान इस तरह के क्लिप को साझा करना आपसी सौहार्द को भड़काने व मतदाताओं को गुमराह करने का प्रयास है, जिससे सामाजिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसे में जरुरी है कि आम जनता इस तरह के दावों पर बिल्कुल भरोसा ना करे और किसी भी वायरल दावे की पड़ताल जरुर करे। हमने पहले भी इस तरह के दावों की जाँच की है, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं।
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