सारांश
एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि मोमोज खाने से PCOS होता है क्योंकि मोमोज में मैदा होता है, जो आंत में चिपक जाता है और PCOS का कारण बनता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा पूर्णतया सत्य नहीं है।

दावा
एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि मोमोज खाने से PCOS होता है क्योंकि मोमोज में मैदा होता है, जो आंत में चिपक जाता है और PCOS का कारण बनता है।

तथ्य जाँच
पीसीओएस क्या है?
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) के कारण महिलाओं के शरीर में हार्मोन असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है क्योंकि इस दौरान महिलाओं के शरीर में एण्ड्रोजन हार्मोन अधिक मात्रा में बनने लगता है, जिससे मासिक चक्र में अनियमितता होने लगती है और कुछ समय बाद दोनों अंडाशय या एक अंडाशय में गांठे (cyst) बनने लग जाती हैं।
शुरुआती स्तर पर ये गांठे छोटे आकार की होती हैं लेकिन धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और ओव्यूलेशन की प्रक्रिया में रुकावट पैदा करती हैं। पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं में एंडोमेट्रियल कैंसर, हृदय रोग, डिसलिपिडेमिया और टाइप -2 डायबिटीज होने की संभावना अधिक होती है।
क्या आहार और पीसीओएस का संबंध है?
Polycystic Ovary Syndrome and a Low Glycemic Index Diet शोधपत्र के अनुसार hyperinsulinemia (मतलब शरीर में इंसुलिन का स्तर स्वस्थ मानकों की तुलना में ज्यादा होना) और hyperandrogenism (मतलब शरीर में पुरुष हार्मोन का ज्यादा बनना) के बीच संबंध हैं क्योंकि अगर शरीर में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित अवस्था में है, तब एंड्रोजन भी कम मात्रा में बनेगा। जब एंड्रोजन की मात्रा कम होगी, तब पीसीओएस के होने की संभावना भी थोड़ी कम हो सकती है।
यही कारण है कि खानपान और जीवनशैली का पीसीओएस पर प्रभाव पड़ता है। अध्ययन बताते हैं कि अगर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स युक्त आहारों का सेवन किया जाए, तो इससे इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है, जो पीसीओएस के खतरे को कम करता है। कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स युक्त आहारों को पचाना भी काफी आसान होता है।
शोध यह भी बताते हैं कि वजन में 5-10 % की कमी एंड्रोजन स्तर को कम करने में मददगार होता है, जो पीसीओएस होने की संभावनाओं को कम करने में मददगार साबित होता है। Dietary Patterns and Polycystic Ovary Syndrome: a Systematic Review शोध पत्र भी इस बात की पुष्टि करता है कि आहार का पीसीओएस पर प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही रिफाइंड या प्रसंस्कृत आटा या रिफाइंड खाद्य पदार्थ शरीर में इंसुलिन स्तर और मोटापा को बढ़ाते हैं, जिससे पीसीओएस होने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या मैदा और पीसीओएस में संबंध है?

Food Safety and Standard Authority of India (FSSAI) ने मैदा को भी एक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ की श्रेणी में रखा है। आहार विशेषज्ञ डॉ. प्रियंवदा दीक्षित बताती हैं, “मैदा में चीनी की मात्रा ज्यादा होती है और उनमें पोषण नहीं होता। इस तरह के खाद्य पदार्थों को Empty calories भी कहा जाता है इसलिए जो मोमोज मैदा से बने होते हैं, उनमें पोषण की मात्रा बेहद कम पाई जाती है। मैदा शरीर में इंसुलिन के स्तर को अनियंत्रित कर सकता है, जो पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं के लिए स्वास्थ्यवर्धक नहीं है। इसके अलावा अधिक मात्रा में मैदा का सेवन करना पीसीओएस होने की संभावनाओं को भी बढ़ा सकता है। अगर मोमोज को ज्वार, बाजरा, रागी या आटा से बनाया जाए, तो यह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होगा इसलिए बेहतर है कि मैदा का सेवन ना किया जाए या सीमित मात्रा में ही किया जाए।”

स्त्रीरोग विशेषज्ञ मीना सावंत, Kurji Holy Family Hospital, पटना बताती हैं, “केवल मैदा को पीसीओएस का कारण नहीं कहा जा सकता लेकिन जिन महिलाओं को पीसीओएस है, उन्हें मैदा और रिफाइंड यानी कि प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। पीसीओएस होने के लिए केवल मैदा को जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता क्योंकि इसके साथ कम शारीरिक गतिविधि, वजन का ज्यादा होना, मधुमेह, इत्यादि कारण भी शामिल होते हैं। अगर संतुलित आहार का सेवन किया जाए और शारीरिक गतिविधियों को भी करते रहा जाए, तब पीसीओएस होने की संभावना कम होती है मगर केवल मैदा पीसीओएस का कारण नहीं हो सकता।”
क्या मैदा को पचा पाना मुश्किल है?

पोषण विशेषज्ञ भुवन रस्तोगी बताते हैं, “मैदे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है, जिस कारण उसे पचा पाना आसान होता है और उसमें चीनी की मात्रा भी ज्यादा पाई जाती है, जो शरीर में ग्लुकोज के स्तर को बढ़ा देता है। मैदा में फाइबर और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा भी कम होती है। वही साबुत अनाज या आटा को पचाने में समय लगता है क्योंकि आटा का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है।”
अतः उपरोक्त शोधपत्रों एवं चिकित्सकों के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि केवल मैदा पीसीओएस का कारण नहीं हो सकता बल्कि इसके साथ अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं लेकिन जिन महिलाओं को पीसीओएस है, उन्हें मैदा या प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। इन बातों को आधार मानते हुए कहा जा सकता है कि यह दावा आधा सत्य है।
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