Last Updated on अप्रैल 5, 2024 by Neelam Singh
सारांश
फेसबुक पर जारी वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि अगर किसी महिला को ल्यूकोरिया की समस्या है, तो उसे घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा गलत है।
दावा
फेसबुक पर जारी वीडियो पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि अगर किसी महिला को ल्यूकोरिया की समस्या है, तो उसे घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है। काला चना, सौंफ, शतावरी और मिश्री का एक साथ चूर्ण बनाकर उसका दूध के साथ सेवन करना है। इससे ल्यूकोरिया की समस्या, उसमें भी सफेद, पीला और लाल रंग का स्त्राव होना बंद हो जाएगा।
तथ्य जाँच
ल्यूकोरिया क्या होता है?
ल्यूकोरिया को श्वेत प्रदर या सफेद पानी की समस्या भी कहा जाता है। यह महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है। इसमें योनि से सफेद, पीले, हल्के नीले या लाल रंग का चिपचिपा और बदबूदार पदार्थ का स्राव होता है। ज्यादातर मामलों में यह स्राव सफेद रंग का होता है। हर महिला में इस स्राव की मात्रा और समयावधि अलग-अलग हो सकती है।
ल्यूकोरिया क्यों होता है?
आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान श्वेत प्रदर की समस्या होती है लेकिन तब इसे सामान्य माना जाता है, जब यह स्राव पतला, सफेद और बिना किसी गंध वाला हो। किशोर लड़कियों में मासिक धर्म शुरू होने के कुछ महीनों से लेकर एक साल के भीतर फिजियोलॉजिकल ल्यूकोरिया एक सामान्य स्थिति होती है। कभी-कभी यह नवजात लड़कियों में भी मौजूद होती है, जो आमतौर पर एक से दो महीने तक रहती है। हालांकि कई मामलों में ल्यूकोरिया संक्रमण का संकेत होता है। खासकर तब जब स्राव पीला या हरा हो, उसमें तेज गंध हो, जलन और खुजली हो या सूजन हो।
असामान्य श्वेत प्रदर बैक्टीरिया, फंगस या अन्य सूक्ष्मजीवों के संक्रमण के कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए, कई यौन संचारित रोग (जिनमें वायरस या बैक्टीरिया का संक्रमण शामिल होता है और जिनमें गोनोरिया और क्लैमिडिया जैसी बीमारियां शामिल हैं) ल्यूकोरिया के प्रमुख कारण होते हैं। ये रोग गर्भाशय ग्रीवा (सरविक्स) के संक्रमण का कारण बनते हैं, जो वास्तव में सबसे आम स्त्री रोगों में से एक है।
श्वेत प्रदर योनि में सूजन का भी संकेत है, जो अक्सर कैंडिडा अल्बिकैंस (Candida albicans) नामक फंगस के संक्रमण या ट्राइकोमोनास योनिनालिस (Trichomonas vaginalis) नामक प्रोटोजोआ परजीवी के संक्रमण के कारण होता है। इन जीवों से संक्रमित होने से एक परेशान करने वाला स्राव हो सकता है, जो अक्सर उपचार के लिए काफी प्रतिरोधी होता है। इसके अलावा योनि (vagina) में बहुत देर तक रखा हुआ टैम्पोन, डायाफ्राम या कोई अन्य बाहरी वस्तु भी श्वेत प्रदर का कारण बन सकती है।
क्या ल्यूकोरिया को काला चना, सौंफ, शतावरी और मिश्री के चूर्ण से ठीक किया जा सकता है?
नहीं, इस बात का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि काला चना ल्यूकोरिया का इलाज कर सकता है।
वहीं इस बात की पुष्टि करने के लिए सीमित वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि सौंफ निश्चित रूप से ल्यूकोरिया का इलाज कर सकता है या नहीं। हालांकि कुछ शोध हैं, जो सौंफ के तेल और महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी विकारों जैसे- PCOS, प्री-मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम आदि पर प्रकाश डालते हैं लेकिन इसमें कहीं भी ल्यूकोरिया को लेकर जिक्र नहीं है।
आयुर्वेद शतावरी ((Asparagus racemosus) को ल्यूकोरिया के लिए एक संभावित जड़ी बूटी मानता है। चरक द्वारा लिखित चरक संहिता और वाग्भट्ट द्वारा लिखित अष्टांग हृदयम, आयुर्वेदिक दवाओं पर दो मुख्य ग्रंथ हैं, जो महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विकारों के इलाज के सूत्रों के हिस्से के रूप में शतावरी को सूचीबद्ध करते हैं। हालांकि निश्चित रूप से यह कहने के लिए सीमित वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि यह ल्यूकोरिया का इलाज कर सकता है।
इसके अलावा अंत में मिश्री की बात आती है। इस पर केंद्रित तो कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है लेकिन डेलबर्गिया सिस्सू (फैबेसी) की कोमल पत्तियों को पेस्ट के रूप में मिश्री और दूध के साथ लेने की बात इस शोध पत्र में मोजूद है। हालांकि मिश्री को यहां केवल स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया है या फिर किसी औषधीय कारण से, इस बात की पुष्टि नहीं की गई है।
अतः उपरोक्त शोध पत्रों के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा गलत है क्योंकि वीडियो में दिखाई गई सामाग्रियों पर अभी और शोध की आवश्यकता है। आप हमारे अन्य तथ्य जाँच को यहां पढ़ सकते हैं।
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