Last Updated on मार्च 15, 2023 by Neelam Singh
सारांश
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो द्वारा दावा किया जा रहा है कि दिनों के अनुसार गर्भाधान करने से होने वाले बच्चे (भ्रूण) का लिंग निर्धारण करना संभव है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
दावा
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो द्वारा दावा किया जा रहा है कि कुछ विशेष दिनों में गर्भाधान करने से होने वाले बच्चे का लिंग निर्धारण संभव है।
तथ्य जाँच
होने वाले बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
Sex Determination: Why So Many Ways of Doing It? शोधपत्र के अनुसार बच्चे का लिंग पिता के शुक्राणु पर निर्भर करता है। मानव शरीर में 46 गुणसूत्र मतलब क्रोमोसोम होते हैं, जिनमें से 2 सेक्स गुणसूत्र लिंग निर्धारित करते हैं इसलिए इसे 44+XY और 44+XX लिखा जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि महिला के अंदर 44+XX और पुरुष के अंदर 44+XY गुणसूत्र पाए जाते हैं।
सेक्स के दौरान जब शुक्राणु महिला की योनि से प्रवेश करते हुए अंडे तक पहुंचते हैं, तब सामान्यतः एक शुक्राणु ही अंडे तक अपनी पहुंच बना पाता है। जब निषेचण की प्रक्रिया हो जाती है, उसी दौरान शुक्राणु के गुणसूत्र बच्चे का लिंग निर्धारित करते हैं इसलिए भविष्य में होने वाले बच्चों का लिंग क्या होगा, ये पुरुष के शुक्राणु पर निर्भर करता है।
क्या कुछ विशेष दिनों में गर्भाधान करने से होने वाले बच्चे का लिंग निर्धारण संभव है?
नहीं, अभी तक वैज्ञानिक तौर पर ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जो दिनों के आधार पर होने वाले बच्चे का लिंग निर्धारण करता हो। हालांकि शेटल्स थ्योरी कहती है कि यदि आप एक लड़की चाहते हैं, तो आपको मासिक धर्म चक्र से पहले सेक्स करना चाहिए और ओव्यूलेशन के ठीक पहले और बाद के दिनों में सेक्स करने से बचना चाहिए।
यदि आप एक लड़का चाहते हैं, तो आपको ओव्यूलेशन के नजदीकी दिनों में सेक्स करने की कोशिश करनी चाहिए लेकिन इसका भी कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है क्योंकि सेक्स निर्धारण केवल शुक्राणुओं पर ही निर्भर करता है। साथ ही विषम या सम दिनों का भी सेक्स से कोई संबंध नहीं है क्योंकि हर परिस्थिति में लड़का या लड़की होने की संभावना 50:50 होती है।
जब हमने इस विषय के बारे में स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं फोर्टिस ला फेम में एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. अनीता गुप्ता से पूछा तब उन्होंने बताया, “भ्रूण के लिंग निर्धारण को लेकर कई भ्रामक खबरें फैलाई जाती हैं, जिनकी बुनियाद खोखली है। भ्रूण के लिंग को किसी भी तरह से घरेलू नुस्खों या दिनों के अनुसार निश्चित नहीं किया जा सकता। साथ ही अगर कोई भ्रूण के लिंग की जाँच करने की कोशिश भी करता है, तो उसके खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान है।”
अतः उपरोक्त शोधपत्र एवं चिकित्सक के बयान के अनुसार यह कहा जा सकता है कि विशेष दिनों में गर्भाधान का भ्रूण के लिंग से कोई संबंध नहीं है बल्कि लिंगानुपात में सकारात्मक परिवर्तन की जरुरत है इसलिए इन भ्रामक दावों पर ध्यान देने की जरुरत नहीं है। साथ ही THIP इस प्रकार के किसी भी अंधविश्वास का समर्थन नहीं करता है और ना ही इस वीडियो के सच्चाई की पुष्टि करता है। ऐसे में लोगों का जागरुक होना बेहद जरुरी है।
भारत में भ्रूण के लिंग की जाँच करना गैर-कानूनी है। साल 1994 से ही भारत में Pre-Conception and Pre-Natal Diagnostic Techniques (PCPNDT) Act को लागू किया जा चुका है। इसके तहत कोई भी चिकित्सक या अस्पताल भ्रूण का लिंग क्या है, इसकी जानकारी नहीं दे सकता है। अगर कोई भी ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही का भी प्रावधान है।
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