‘शुभ घड़ी’ में संतान के जन्म की चाह सेहत पर पड़ रही भारी

बिना वजह सिजेरियन डिलीवरी के कारण महिलाओं को झेलनी पड़ती हैं कई समस्याएं

Last Updated on फ़रवरी 23, 2022 by Team THIP

किसी ‘शुभ घड़ी’ में ही संतान का जन्म हो, यह चाह महिलाओं की सेहत पर भारी पड़ रही है। नॉर्मल डिलीवरी न होने पर सिजेरियन मजबूरी हो जाता है। जब किसी भी सूरत में नॉर्मल डिलीवरी संभव न रह जाए, मां और बच्चे की जान पर संकट हो, डॉक्टर तभी सिजेरियन डिलीवरी का फैसला करते हैं लेकिन आजकल के आधुनिक युग में भी मनुष्य किस प्रकार अंधविश्वास और पारंपरिक आस्थाओं में जकड़ा हुआ है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुभ घड़ी में संतान के जन्म की इच्छा के कारण परिवारजन द्वारा डॉक्टरों पर किसी खास दिन और खास समय में डिलीवरी करा देने का दबाव बनाया जाता है। ऐसे में बिना वजह सिजेरियन डिलीवरी के मामले बढ़ रहे हैं। इसका खामियाजा महिलाओं को कई तरह के साइड इफेक्ट्स के रूप में भुगतना पड़ रहा है।

जैसे-जैसे डिलीवरी का समय नजदीक आता है, लोग ‘शुभ घड़ी’ देखने लगते हैं। देखा जाता है कि आगे कौन सा त्योहार आ रहा है, या ग्रह-नक्षत्र किस दिन अनुकूल होंगे, पंडितों से भी डिलीवरी के लिए अच्छे मुहूर्त के बारे में पूछा जाता है। इसके बाद निर्धारित दिन और समय पर सिजेरियन डिलीवरी करवा दी जाती है। भले ही महिला को इसकी कोई जरूरत नहीं हो। सच तो यह है कि गर्भवती महिला का शरीर भले ही नॉर्मल डिलीवरी  के लिए तैयार हो मगर ससुराल वालों के आगे उसकी एक नहीं चलती। बिना वजह सिजेरियन डिलीवरी के कारण महिलाओं को बाद में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई महिलाओं को सिजेरियन के साइड इफेक्ट्स पूरी जिंदगी झेलने पड़ते हैं।  

क्या होती है सिजेरियन डिलीवरी?

डॉक्टरों के मुताबिक एक होता है सामान्य प्रसव, जिसमें महिला को प्रसव पीड़ा होने पर बच्चा सामान्य तरीके से पैदा होता है। अगर किसी कारण सामान्य प्रसव न हो सके तो डॉक्टर ऑपरेशन करने का फैसला करते हैं। इसे सी-सेक्शन डिलीवरी भी कहा जाता है। इसमें सबसे पहले गर्भवती महिला को एनेस्थीसिया दिया जाता है और फिर उसके पेट व बच्चेदानी को काट कर शिशु को बाहर निकाला जाता है।    

क्यों पड़ती है सिजेरियन की जरूरत?

डॉ. मीनाक्षी शर्मा

जांगिड़ अस्पताल नवलगढ़ (झुंझुनंू) की स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ डॉ. मीनाक्षी शर्मा कहती हैं कि सिजेरियन डिलीवरी कई कारणों से करनी पड़ सकती है।अगर शिशु गर्भ में उल्टा हो और नॉर्मल तरीके से बाहर न आ पा रहा हो। यदि शिशु को गर्भ में ऑक्सीजन नहीं मिल रही हो और उसे बचाने के लिए तत्काल बाहर लाना जरूरी हो जाए तो सिजेरियन की जरूरत पड़ती है। अगर किसी वजह से प्री-मेच्योर डिलीवरी की नौबत आ जाए तो सिजेरियन ही एकमात्र विकल्प रह जाता है। गर्भ में इंफेक्शन का अंदेशा हो तो भी सिजेरियन करना पड़ता है। महिला को यदि कोई हेल्थ प्रॉब्लम (थायराइड, हार्ट प्रॉब्लम, बीपी प्रॉब्लम आदि) हो तो सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय किया जाता है।

सिजेरियन के साइड इफेक्ट्स

डॉक्टरों के अनुसार नॉर्मल डिलीवरी में बहुत कम समय व पैसा लगता है जबकि सिजेरियन में ज्यादा पैसा व ज्यादा समय लगता है। इसमें महिला को एनेस्थीसिया देकर बेहोश करना पड़ता है। इस कारण भविष्य में सिर दर्द, कमर दर्द आदि जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नॉर्मल डिलीवरी के पश्चात कुछ समय बाद ही डॉक्टर महिला को चलने-फिरने के लिए कह देते हैं जबकि सिजेरियन में ऐसा नहीं होता। उसे तीन-चार दिन भर्ती रखना पड़ता है। उसे चलने-फिरने मेंं एक सप्ताह तक लग जाता है। सिजेरियन के बाद महिला को रिकवरी में समय लगता है। उसे महीने भर तक कई सावधानियां बरततनी पड़ती हैं। सिजेरियन के कारण कई बार महिलाओं को गर्भाश्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। नॉर्मल डिलीवरी में जितना रक्तसा्रव होता है, सिजेरियन में उससे दोगुना रक्तस्राव हो जाता है। इस वजह से महिला को एनीमिया यानी शरीर में रक्त की कमी हो जाती है। संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

डॉ. मीनाक्षी शर्मा का कहना है कि सिजेरियन के कारण मां के साथ-साथ बच्चे को भी कई समस्याएं हो सकती हैं। बच्चे में इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। बच्चे की जान को जोखिम का खतरा भी बढ़ जाता है। कई बार सिजेरियन से पैदा हुए शिशु को कई दिनों तक भर्ती रखना पड़ता है।

सामान्य से असामान्य

डॉ. पारस जैन

हनुमानगढ़ के कंसलटेंट फिजीशियन डॉ. पारस जैन कहते हैं कि सामान्य से हट कर जब भी कुछ होगा, उसके साइड इफेक्ट्स जरूर होंगे। शुभ घड़ी में संतान के जन्म के लिए सिजेरियन डिलीवरी के लिए डॉक्टर को कहना सही नहीं है। कई बार देखा है कि लोग आठ महीने में ही सिजेरियन डिलीवरी करवा लेते हैं। इससे बच्चे की शारीरिक व मानसिक वृद्धि प्रभावित होती है। हम जिस बच्चे की हेल्थ के लिए न जाने क्या-क्या करते हैं, उसे ही अनजाने में कई तरह की समस्याएं जन्म के साथ खुद ही दे देते हैं। इस पर हमें सोचना चाहिए। डॉ. जैन कहते हैं कि प्रकृति ने नॉर्मल डिलीवरी की व्यवस्था की है, जिसका कोई मुकाबला नहीं है। सबसे बेहतर नॉर्मल डिलीवरी ही है। 

नहीं पडऩा चाहिए वहम में

राजकीय जिला अस्पताल श्रीगंगानगर के सिविल सर्जन डॉ. सुखपाल बराड़ कहते हैं कि जनता सुनी-सुनाई बातों पर ज्यादा चलती है। किसी परंपरा, मान्यता, वहम या अंध विश्वास के कारण सिजेरियन डिलीवरी कराने का नहीं सोचना चाहिए। जितने महापुरुष, महाराजा, या धर्मगुरु जिस नक्षत्र में पैदा हुए, उस नक्षत्र में हजारों लोग जन्म लेते हैं लेकिन सभी तो उन जैसे नहीं बन जाते। इसलिए अनावश्यक वहम में नहीं पडऩा चाहिए।    

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