Last Updated on अगस्त 9, 2023 by Neelam Singh
UTI बैक्टीरिया जनित एक आम संक्रमण है। यह बैक्टीरिया अक्सर त्वचा या मलाशय से मूत्रमार्ग में प्रवेश करते हैं और उसे संक्रमित करते हैं। यह संक्रमण मूत्रमार्ग के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है लेकिन सबसे आम प्रकार मूत्राशय संक्रमण (सिस्टिटिस) है। हालांकि किडनी संक्रमण (पायलोनेफ्राइटिस) UTI का एक अन्य प्रकार है लेकिन यह बेहद कम देखा जाता है मगर यह सबसे गंभीर संक्रमण है।
आमतौर पर UTI Escherichia coli, Klebsiella pneumoniae, Proteus mirabilis, Enterococcus faecalis और Staphylococcus saprophyticus के कारण होता है। UTI महिलाओं को होने वाले सबसे आम संक्रमणों में से एक है। यह योनि संक्रमण के साथ शुरू होता है लेकिन मलद्वार के पास होने वाले संक्रमण भी UTI का कारण बनते हैं। साथ ही पुरुषों की तुलना में महिलाओं में UTI होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि महिलाओं का मूत्र द्वार, प्रजनन अंगों से काफी निकट होता है, जिससे बैक्टीरिया आसानी से शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। UTI के दौरान महिलाओं को काफी दर्द होता है। वहीं UTI की रिपोर्ट आने में 24-48 घंटे लग जाते हैं।
मिनटों में होगी UTI की जांच
UTI के कारणों का पता लगाने के अंतराल को कम करने के लिए IIT गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा डिवाइस बनाया है, जिसकी मदद से केवल 5 मिनट के अंदर ही UTI की जानकारी मिल जाएगी, मतलब कि संक्रमण किस बैक्टीरिया के कारण हुआ है, यह जानने के लिए 24-48 घंटों तक प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। यह डिवाइस ग्रामीण क्षेत्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जहां महिलाओं को रिपोर्ट मिलने में हफ्ते लग जाते हैं। डिवाइस के निर्माण की अनुमानित लागत 608 रुपये है जबकि एक नमूने के परीक्षण पर 8 रुपये की लागत आएगी।
Dr. Partho Sarathi Gooh Pattader (एसोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग) के नेतृत्व में अनिरुद्ध देव (शोधार्थी), प्रोफेसर तपस के मंडल (डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग) और डॉ. स्वपनिल सिन्हा (Altanostic Lab Private Limited, IIT गुवाहटी, रिसर्च पार्क) द्वारा किया गया। Point-Of-Care testing (POCT) प्रोटोटाइप का विवरण ACS Applied Bio Materials में प्रकाशित किया गया है।
प्रारंभिक चरण की जानकारी महत्वपूर्ण
Dr. Partho Sarathi Gooh Pattader ने बताया कि, “समय पर उपचार प्रदान करने के लिए UTI का प्रारंभिक चरण में पता लगाना महत्वपूर्ण है। IIT गुवाहाटी में विकसित पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्टिंग (POCT) प्रोटोटाइप एक फोटोडिटेक्टर है, जो मरीज के मूत्र के नमूने से पांच मिनट के भीतर ‘Klebsiella pneumoniae’ नामक बैक्टीरिया का पता लगाता है। ‘Klebsiella pneumoniae’ का पता लगाना न केवल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बैक्टीरिया UTI के लिए जिम्मेदार है, बल्कि निमोनिया और अन्य ऊतकों के संक्रमण के लिए भी जिम्मेदार है।”
उन्होंने आगे कहा, “हमने विशेष रूप से इंजीनियर किए गए aptamer के साथ सोना धातु के नैनोकणों का उपयोग किया है। Aptamer एक 3D टुकड़े की तरह है, जो केवल एक विशेष बैक्टीरिया की सतह पर फिट बैठता है। इस प्रकार सोने के नैनोकण बैक्टीरिया की सतह पर एकत्रित हो जाते हैं, जिसे यूवी-विज़िबल स्पेक्ट्रोफोटोमीटर द्वारा पता लगाया जा सकता है। जब Aptamer गोल्ड नैनोकण बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, तो बायोसेंसर प्रोटोटाइप प्रकाश की तीव्रता में बदलाव का पता लगाता है। यह अंतराल काफी कम है। साथ ही यह प्रक्रिया विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया के लिए योग्य है और यह प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।” वहीं डॉ. स्वप्निल सिन्हा ने बताया कि, “हमने पारंपरिक तरीकों का पालन करते हुए अपने डिवाइस से प्राप्त परिणामों को अस्पताल के परिणामों के साथ मापा गया है।”
इस शोध को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई), भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था। उम्मीद है, स्वास्थ्य के क्षेत्र में ऐसे क्रांतिकारी आविष्कार नागरिकों को एक स्वस्थ्य जीवन देने में कामयाब होंगे।
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