दादी के लिए बनाए उपकरण ने दिलाई व्यापक पहचान

हेमेश चादलवाड़ा को अपने आविष्कार के लिए स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा प्रोत्साहित किया गया है। जानिए एक 12वीं क्लास के बच्चे ने अपनी दादी के लिए आखिर ऐसा क्या बनाया… 

बढ़ती उम्र के साथ भूलने की आदत आम बात हो जाती है, जिसे मनोभ्रंश (डिमेंशिया) या अल्जाइमर कहा जाता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ ये समस्या भी गंभीर होते चली जाती है, जिससे परिवार के अन्य सदस्य चिंतित रहते हैं क्योंकि हर पल उन्हें किसी अपने की चिंता सताती रहती है। 

कुछ ऐसा ही हैदराबाद के हेमेश चादलवाड़ा के साथ भी हुआ, जिसके बाद उन्होंने एक अल्फा मॉनिटर का निर्माण किया। यह एक ऐसा उपकरण है जो मनोभ्रंश और अल्जाइमर के रोगियों की निगरानी करने में मदद करता है।   

हेमेश बताते हैं कि ये एक दिन में नहीं हुआ है बल्कि उन्हें ये आविष्कार करने की प्रेरणा अपनी दादी से मिली। साल 2018 में वे अपने घर में टीवी देख रहे थे। इसी दौरान उन्हें अचानक रसोई में कुछ हलचल सुनाई दी और उन्होंने देखा कि उनकी दादी अपने लिए चाय बना रही हैं लेकिन चाय बनाने के बाद हेमेश को एहसास हुआ कि रसोई से गैस की महक आ रही है और जब उन्होंने चेक किया, तो पाया कि दादी गैस बंद करना भूल गई थीं। 

डॉक्टर ने की अल्जाइमर की पुष्टि

हालांकि डॉक्टर ने दादी को अल्जाइमर होने की बात कही थी लेकिन उस वक्त हेमेश केवल 12 साल के थे और इतने परिपक्व नहीं थे कि वे इस बीमारी की गंभीरता को समझ पाते लेकिन रसोई वाले हादसे ने उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया।

इसके बाद हेमेश बताते हैं कि उन्होंने बाज़ार में ऐसे उपकरण ढूंढने की कोशिश करने लगे, जो अल्जाइमर रोगियों के लिए सुलभ हो लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। इसके बाद उन्होंने सोचा कि वे खुद कुछ बनाएंगे, जो मनोभ्रंश और अल्जाइमर का सामना कर रहे लोगों के लिए उपयोगी साबित हो। हेमेश कुछ ऐसा बनाना चाहते थे, जो देखभालकर्ता के लिए हो और उन्हें रोगी के हर हलचल की जानकारी मिलती रहे।

इसके बाद साल 2019 की गर्मियों की शुरुआत में उन्होंने अल्फा मॉनिटर बनाया। यह एक साधारण घड़ी जैसा था, जिसे आसानी से पहना जा सकता है। यह मरीजों पर नज़र रखता है और अगर मरीज गिर जाता है, भटक जाता है या दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में ये देखभालकर्ता को अलर्ट का सिग्नल प्रदान करता है।

कड़ी मेहनत का परिणाम है आविष्कार

वे बताते हैं, “मैंने जो पहला प्रोटोटाइप बनाया था, वो एक बॉक्स था। हालांकि मैंने इंटरनेट पर एक आकर्षक पहनने योग्य उपकरण बनाना सीखा था लेकिन मेरी कोशिश नाकाम हो रही थी। इस दौरान मैंने जाना कि मुझे किन चीजों का इस्तेमाल करना है फिर मैंने एक हार्डवेयर डिवाइस से शुरुआत की, जिसके बाद मैंने ऑनलाइन कोडिंग सीखी और अपने डिवाइस को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए मशीन लर्निंग और डेटा साइंस की ओर रुख किया। लगभग 20 प्रोटोटाइप और बहुत सारी बढ़िया ट्यूनिंग के बाद अल्फा मॉनिटर का जन्म हुआ।”

इस उपकरण को बनाना इतना आसान भी नहीं था क्योंकि हेमेश को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हेमेश बताते हैं कि उन्हें आर्ट एंड क्रफ्ट में शुरु से रुचि थी इसलिए उन्होंने सबसे पहले छोटे प्रोजेक्ट से शुरुआत की और इस दौरान इंटरनेट पर खोज करते हुए, उन्हें रोबोटिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पर वीडियो मिले। इससे उन्हें एहसास हुआ कि वे इंटरनेट की मदद से कुछ अच्छा गढ़ सकते हैं।  

Hemesh

उन्होंने कहा, “मैं हमेशा से अपनी दादी को एक मजबूत महिला के रूप में देखा है लेकिन धीरे-धीरे मैंने देखा कि उनका शरीर उनके स्वयं के नियंत्रण में नहीं था, जो देखना बहुत दर्दनाक था। वे नहीं जानती थी कि वे क्या कर रही हैं, वे हमें पहचान भी नहीं पाती थीं और बार-बार दुर्घटनाओं का शिकार होती थीं। मैं बस एक ऐसा उपकरण बनाना चाहता था, जो हमें सचेत कर दे। जैसे – अगर वे गिर जाए, आधी रात में उठे या घर से बाहर जाएं तो हमें पता चल जाए।” 

मिल चुके हैं कई सम्मान

अल्फ़ा मॉनिटर के दो भाग हैं। पहला- पहनने योग्य घड़ी जैसा उपकरण है और दूसरा- एक अलार्म है, जो इससे जुड़ा हुआ है। इस घड़ी जैसे उपकरण को मरीज की बांह में बांधा जा सकता है या उनके पास किसी पॉकेट, बैग आदि में रखा जा सकता है। जब ये उपकरण मरीज के पास होगा, जो उनकी हर गतिविधि की जानकारी अलार्म के जरिए देखभालकर्ता को मिल जाएगी। 

Hemesh 1

यह पहनने योग्य उपकरण शरीर के तापमान, मुद्रा, गति या दुर्घटना आदि की जानकारी भी प्रदान करता है। यह नाड़ी और तापमान के लिए थोड़ी सी भी हलचल और स्वास्थ्य सेंसर का पता लगाने के लिए जाइरोस्कोप सेंसर का उपयोग करके काम करता है। हेमेश के मुताबिक यह बिना वाईफाई या ब्लूटूथ के काम करता है और इसकी रेंज 1-2 किमी है। मरीजों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए इसे एक App से भी जोड़ा जा सकता है। 

हेमेश फिलहाल 12वीं क्लास में है लेकिन उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान बाल पुरस्कार मिल चुका है, जिसके लिए माननीय प्रधानमंत्री ने अपने X ( तत्कालीन ट्विटर) अकाउंट पर उन्हें प्रोत्साहित किया है।

साथ ही साल 2022 में उन्होंने सैमसंग सॉल्व फॉर टुमॉरो प्रतियोगिता जीती है, जिसमें उन्हें $40,000 का अनुदान प्राप्त हुआ है। हेमेश कहते हैं कि वे अपनी परीक्षा के बाद इस आविष्कार को और बेहतर बनाने की दिशा में काम करेंगे और अन्य आविष्कारों के लिए अध्ययन करेंगे। 

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