क्या आपको लगता है रंगों से डर..

जीवन में रंगों का क्या महत्व है, इस बारे में सभी जानते हैं। रंगों के बिना जिंदगी की कल्पना ही नहीं की जा सकती। लेकिन अगर कोई कहे कि उसे रंगों से डर (Fear of Colors) लगता है...

Last Updated on मार्च 17, 2022 by Neelam Singh

जीवन में रंगों का क्या महत्व है, इस बारे में सभी जानते हैं। अगर रंग न हों तो दुनिया ही बदरंग लगेगी क्योंकि ये लाल, पीले, नीले, हरे रंग ही तो जीवन की विविधता को दर्शाते हैं। जहाँ एक ओर गुलाबी रंग जीवन की ख़ूबसूरती को दर्शाता है वहीँ दूसरी ओर सफेद रंग हमें शांति और संतोष का अनुभव कराता है। हरा रंग तो है ही खुशहाली का प्रतीक, लेकिन अगर कोई कहे कि उसे रंगों से डर  (Fear of Colors)  लगता है…तो आप यक़ीनन यह सोचेगें कि भला कभी रंग भी डराते हैं?

लेकिन यह सच है सचमुच कई लोगों को रंगों से डर लगता है। कोई लाल रंग से डरता है तो किसी को नीला रंग देखते ही धुकधुकी होने लगती है। किसी को काले रंग से, किसी को पीले रंग से तो किसी को बैंगनी रंग से डर लगने लगता है। ऐसा होता है एक कलर फोबिया की वजह से, जिसे डॉक्टरों की भाषा में क्रोमो फोबिया (Chromo phobia)  कहा जाता है। अनेक तरह के फोबिया होते हैं, जैसे ऊंचाई से डर, पानी से डर। किसी को खुली जगह से डर लगता है तो कोई बिल्ली-कुत्ते से खौफ खाने लगता है। ऐसे ही कई लोग रंगों से डरने लगते हैं।

किस रंग से कौन सा फोबिया

डॉक्टर इस अवस्था को अलग-अलग तरह का फोबिया बताते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति को नीले रंग से डर लगता है तो इसे सायनो फोबिया (Cyanophobia) कहेंगे। यदि कोई सफेद रंग देखते ही भयभीत हो जाए तो उसे ल्यूको फोबिया से (Leuco Phobia) पीडि़त कहा जाएगा। अगर किसी को प्रोर्फिरो फोबिया (Profiro Phobia) है तो इसका मतलब है उसे बैंगनी रंग से डर लगता है। पीले रंग से डर जेंथोफोबिया (Xanthophobia), लाल रंग से डर एरिथ्रोफोबिया (Erythrophobia), काले रंग से डर मेलानो फोबिया (Melano Phobia), गुलाबी रंग से डर रोडो फोबिया (Rhodo Phobia) , नारंगी रंग से डर क्राइसो फोबिया (Chryso Phobia), भूरे रंग से डर कस्तानो फोबिया (Kastano Phobia ) और हरे रंग से डरने वालों को प्रैसिनो फोबिया  (Prasino Phobia)  होता है।

एंक्जाइटी डिस्ऑर्डर का पार्ट

डॉ. रविकांत गुंठे

जोधपुर स्थित जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (Jayanarayan Vyas University)  के मनो विज्ञान विभाग के सेवानिवृत विभागाध्यक्ष एवं वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. रविकांत गुंठे बताते हैं, ”अनेक तरह के फोबिया होते हैं, इनमें कलर फोबिया भी एक है। यह एंक्जाइटी डिस्ऑर्डर का एक पार्ट है। इसमें व्यक्ति को किसी रंग विशेष से डर लगने लगता है। उस व्यक्ति को यह तो पता होता है कि उसे किस रंग से डर लगता है लेकिन यह नहीं पता रहता कि रंग से डर क्यों लगता है।”

गुंठे कहते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को लाल रंग से डर लगता है तो वह बात करते समय लाल रंग को देखते ही असहज हो जाएगा। किसी व्यक्ति द्वारा पहनी लाल शर्ट को देखते ही उसका व्यवहार बदल जाएगा। वह बात ही नहीं कर पाएगा। उसे पता है कि लाल शर्ट से उसे कोई खतरा नहीं है। वह उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगी, लेकिन कलर फोबिया के कारण लाल शर्ट को देखते ही वह असहज हो जाएगा। हालाँकि इस डर का कोई तार्किक आधार नहीं होता है।

कैसे पता चले डर का कारण

डॉ. रविकांत गुंठे के मुताबिक व्यक्ति को किसी रंग से डर क्यों है, इसका पता धीरे-धीरे उसके मन की थाह लेकर लगाया जा सकता है। इसके लिए हिप्नो थेरेपी (Hypno Therapy) का उपयोग किया जाता है। इस थेरेपी की मदद से लोगों के अवचेतन मन में दबे विचारों, स्मृतियों और दर्दनाक यादों का न केवल पता लगाया जाता है बल्कि उन्हें समझा भी जाता है। जब डर के पीछे छुपे तथ्यों का पता चल जाता है तो क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट (Clinical Psychologist) साइको थेरेपी की मदद से इस डर को दूर करने की कोशिश करते हैं। साइकेट्रिस्ट जो दवाएं देते हैं, वह भी डर को भगाने में कारगर साबित होती हैं।

कैसे समझें समस्या की गंभीरता को

डॉ. रूप सिडाना

श्रीगंगानगर के टेकचंद सिडाना मैमोरियल साइकेट्रिक हॉस्पीटल के सीनियर सीनियर कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट डॉ. रूप सिडाना कहते हैं, ”हमारे पास कलर फोबिया से पीडि़त दो-तीन तरह के पेशेंट आते हैं जिन्हें ज्यादातर काले, सफेद या लाल रंग से डर लगता होता है। उन्हें डर के साथ वहम भी होता है। इस कारण वह उस रंग विशेष के कपड़े नहीं पहनते। उन्हें पता होता है कि उनका डर बेवजह है और वे इससे उबरने की कोशिश करते हैं लेकिन इस डर को हटा नहीं पाते। जैसे-जैसे समय बीतता है, वैसे-वैसे समस्या बढ़ती चली जाती है।”

डॉ. सिडाना बताते हैं कि कलर फोबिया केवल मनोदशा का नाम है। इसके लिए किसी तरह के उपचार की जरूरत नहीं होती लेकिन जब कुछ और लक्षण आने लग जाएं तो समझ लीजिए समस्या गंभीर हो रही है। ऐसे में घबराहट, नींद में दिक्कत, चिड़चिड़ापन, दैनिक गतिविधियों में बाधा, किसी से बातचीत मेंं हिचक आदि लक्षण आने लगते हैं तो वह व्यक्ति एंक्जाइटी डिस्ऑर्डर (Anxiety Disorder) से पीडि़त माना जाता है।

डॉ. सिडाना कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति लाल रंग के कपड़े पहनना पसंद न करे, कपड़े की दुकान में जा कर कहे कि वह लाल शर्ट नहीं लेगा, यहां तक तो ठीक है लेकिन वह व्यक्ति लाल शर्ट को देखकर भागने लगे, किसी को इस रंग के कपड़े पहने देख घर में घुस जाए तो उसे डॉक्टर के पास ले जाने की जरूरत है।

कैसे होगा इलाज

डॉ. रूप सिडाना बताते हैं कि ऐसे लोगों का इलाज साइको और बिहेवियर थेरेपी (Behavior Therapy) के जरिए किया जाता है। ज्यादातर मामलों मेंं दवा की जरूरत नहीं पड़ती और मरीज काउंसलिंग के जरिए ही ठीक हो जाते हैं। अगर देवा देना जरूरी लगे तो कम मात्रा से ही काम चल जाता है। और यदि मरीज सहयोग देता है तो एक से छह महीने में वह ठीक हो जाता है।

डॉ. एनपी सिंह

श्रीगंगानगर के क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट (होम्योपैथी) डॉ. एनपी सिंह कहते हैं कि कलर फोबिया एक ऐसी मनोदशा है, जिससे व्यक्ति का सामान्य जीवन डिस्टर्ब होने लगता है। इसके लिए व्यक्ति का अतीत, कटु अनुभव और डरावने पल जिम्मेदार होते हैं। मसलन, किसी व्यक्ति ने किसी हिंसक घटना में खून को प्रत्यक्ष बहते देखा हो तो संभव है वह लाल रंग से डरने लगे। किसी प्रियजन की मौत पर कफन को देखने के बाद सफेद रंग से डर की स्थिति बन सकती है लेकिन दुविधा यह होती है मरीज आपको इस बारे में बताने की स्थिति में नहीं रहता। उसके अन्तर्मन में छुपे डर को साइको थेरेपी (Psychotherapy) से भांप कर ही उसका इलाज किया जाता है।

डॉ. सिंह कहते हैं कि होम्योपैथी (Homeopathy) चिकित्सा विभिन्न प्रकार के मनोरोगों के इलाज में कारगर साबित होती है। कई तरह के फोबिया को होम्योपैथिक दवाइयों की मदद से बड़े आराम से भगाया जा सकता है। साथ ही मरीज का खोया हुआ आत्मविश्वास लौटाने की जरूरत होती है। उसे शांत और प्रसन्नचित्त रहने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। उसे गुस्सा न आए, उदासी न घेरे, किसी तरह की चिंता न हो, यह ध्यान रखें तो बहुत सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं।

Disclaimer: Medical Science is an ever evolving field. We strive to keep this page updated. In case you notice any discrepancy in the content, please inform us at [email protected]. You can futher read our Correction Policy here. Never disregard professional medical advice or delay seeking medical treatment because of something you have read on or accessed through this website or it's social media channels. Read our Full Disclaimer Here for further information.

Subscribe to our newsletter

Stay updated about fake news trending on social media, health tips, diet tips, Q&A and videos - all about health