ग्रामीण हिस्सों तक ‘सर्वावैक’ को पहुंचाना सरकार के लिए है चुनौती

जहाँ ब्रेस्ट कैंसर को लेकर महिलाएं अभी भी जागरुक नहीं हैं वहीँ सर्वाइकल कैंसर के आंकड़ें भी बेहद चौंकाने वाले हैं। पढ़िए इसी विषय पर यह आलेख...

Last Updated on जनवरी 23, 2023 by Neelam Singh

हाल में ही द लांसेट द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में सामने आया है कि एशिया में सर्वाइकल कैंसर (ग्रीवा कैंसर) के मामलों में भारत शीर्ष स्थान पर है और इसके बाद चीन का स्थान है। वैश्विक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर और उससे होने वाली मौतों के कुल मामलों में से 58 प्रतिशत से अधिक एशिया में होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें से भारत में 21 प्रतिशत मामले सामने आए हैं और 23 प्रतिशत मौतें दर्ज हुईं हैं। 

सर्वाइकल कैंसर की मुख्य वजह मानव पेपिलोमावायरस- Human papillomavirus (एचपीवी) है। साल 2020 में दुनिया भर में 6,00,000 से अधिक महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के साथ-साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कई दिशा-निर्देश निर्धारित किए हैं। इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पष्ट किया है कि सभी देशों को एक वर्ष में प्रति 1,00,000 महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के चार से कम नए मामले होने की दर तक पहुंचना आवश्यक है। साथ ही इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 90 प्रतिशत लड़कियों को 15 वर्ष की आयु तक एचपीवी वैक्सीन का पूर्ण टीकाकरण होना चाहिए। 

भारत सरकार का बेहतरीन कदम 

सर्वाइकल कैंसर के आंकड़ों एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत सरकार ने एक बेहतरीन कदम उठाया है, जो है यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी- Universal Immunisation Programme (UIP) में एचपीवी वैक्सीन को शामिल करना। यूआईपी सालाना दो करोड़ से अधिक नवजात शिशुओं एवं दो करोड़ गर्भवती महिलाओं को लक्षित करने वाले सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। इस कार्यक्रम के तहत कम से कम 12 बीमारियों के लिए मुफ्त टीके प्रदान किए जाते हैं। इस ओर बढ़ते हुए भारत द्वारा साल 2023 के मध्य तक स्वदेशी रूप से विकसित ‘सर्वावैक’ (Cervavac) वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू किए जाने की उम्मीद है। यह वैक्सीन 9 वर्ष से लेकर 14 वर्ष की आयु तक की बच्चियों को दी जाएगी।

चूंकि यह टीकाकरण केवल स्कूल जाने वाली लड़कियों को टारगेट करेगा इसलिए सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि जो लड़कियां स्कूल नहीं पहुंच पाती हैं, उन तक भी टीकाकरण अभियान को पहुंचाया जाए। इसके लिए सामुदायिक संपर्क और मोबाइल टीमों के जरिए पहुंच बनाई जाएगी। साथ ही समय-समय पर अभियान चलाकर सर्वाइकल कैंसर के प्रति लोगों को जागरुक किया जाएगा। सरकार की यह पहल वाकई सराहनीय है क्योंकि इससे सर्वाइकल कैंसर के आंकड़ों में आने की संभावना है। यहां सरकार द्वारा ध्यान देने योग्य बात यह है कि ग्रामीण हिस्सों में मोबाइल की पहुंच और लड़कियों तक संचार की पहुंच का सटीक पता लगाया जाए क्योंकि कोरोना के वक्त ही इंटरनेट की पहुंच लड़कियों तक नहीं हो सकी थी, इसलिए यह आवश्यक है कि इसके लिए एक उचित ढांचा तैयार किया जाए।

महिलाएं नहीं हैं जागरुक 

Oncologist

कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक आनंद बताते हैं, सर्वाइकल कैंसर को लेकर लोगों में बेहद कम जागरुकता है। साथ ही महिलाएं डॉक्टर के पास बिल्कुल अंतिम स्टेज में आती हैं और उनमें भी ग्रामीण हिस्से से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर को लेकर जानकारी नहीं होती, जिस कारण इलाज में परेशानियां होती हैं। इसका एक अहम कारण सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों का ना होना भी है। कुछ संकेतों और लक्षणों में योनि से असामान्य रक्तस्राव, मासिक धर्म के दौरान रक्तस्त्राव का बढ़ना, सेक्स के बाद योनि से रक्तस्राव होना या दर्द होना सम्मिलित होता है। इन लक्षणों को लोग गंभीरता से नहीं लेते और स्थिति खराब होते चली जाती है। इसके अलावा जिन लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, एचआईवी पॉजिटिव होते हैं, धूम्रपान करते हैं या जिन महिलाओं को टीबी हो चुका होता है, उन्हें सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।  

National Institute of Cancer के अनुसार 21-29 उम्र के बीच की महिलाओं को 21 साल की उम्र में पैप स्मीयर (Pap Smear Test) कराना चाहिए। 30-65 आयु वर्ग की महिला को हर पांच साल में HPV test कराना चाहिए। हर पांच साल के अंतराल पर HPV/Pap test और प्रत्येक तीन साल पर Pap test कराना चाहिए। हालांकि एसीएस (ACS-American Cancer Society)  के अपडेटेड सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग दिशानिर्देश के अनुसार 25 साल की उम्र में एचपीवी टेस्ट के साथ स्क्रीनिंग शुरू करने और 65 साल की उम्र तक हर 5 साल में एचपीवी टेस्ट कराने की सलाह दी गई है। 

समझें Pap Smear Test को 

Pap Smear Test एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं को इकट्ठा किया जाता है ताकि कैंसर और पूर्व-कैंसर का पता लगाने के लिए उन्हें प्रयोगशाला में बारीकी से देखा जा सके। यह जानना महत्वपूर्ण है कि अधिकांश इनवेसिव (invasive) सर्वाइकल कैंसर उन महिलाओं में पाए जाते हैं, जिनका नियमित पैप परीक्षण नहीं हुआ है। पैप परीक्षण पैल्विक परीक्षण के दौरान किया जा सकता है लेकिन सभी पैल्विक परीक्षणों में पैप परीक्षण शामिल नहीं होता है। 

gynecologist

दिल्ली स्थित वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में स्त्री रोग विशेषज्ञ और सर्वाइकल कैंसर पर काम कर रही डॉ. सरिता श्यामसुंदर ने बताया, सर्वाइकल कैंसर का एक मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध बनाना है, जिस कारण ह्यूमन पेपिलोमा वायरस द्वारा महिलाएं संक्रमित हो जाती हैं, जो बाद में सर्वाइकल कैंसर का रुप ले लेता है। वहीं 90 प्रतिशत से ज्यादा में संक्रमण स्वयं समाप्त हो जाते हैं। 

अधिकांश महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का नाम तक मालूम नहीं होता। यौन संबंध बनाते वक्त रक्तस्त्राव होने की समस्या को कई महिलाएं सामान्य समझ बैठती हैं फिर स्थिति गंभीर हो जाती है। 

सरकार के टीकाकरण अभियान द्वारा जब लड़कियां किशोर उम्र में ही संक्रमण से बचाव की ओर अग्रसर होंगी, तब कुछ हद तक सर्वाइकल कैंसर के विरोध जंग मजबूत होगी।

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