डॉ. समीर कलानी, एमबीबीएस, एमडी (मनोचिकित्सा) सुकून हेल्थ, गुरुग्राम में सलाहकार मनोचिकित्सक हैं।
रोगियों का इलाज करने में आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?
मुझे यह अच्छा लगता है कि मैं अपने मरीज़ों के साथ एक मानवीय संबंध बनाने में सफल हो पता हूँ। इसके अलावा मेरे लिए यह भी खुशी की बात है कि मैं अपनी क्षमताओं से उनकी समस्याओं को दूर कर पाता हूँ।
किसी भी रोगी का इलाज करना आसान कब होता है?
डॉक्टर को सुनने के इच्छुक रोगी का निश्चित रूप से इलाज करना आसान है क्योंकि बाकी हम पर निर्भर है कि हम एक तालमेल विकसित करें और उन्हें उनकी बीमारी और समाधान की समझ दें।
किसी रोगी का इलाज करना मुश्किल कब होता है?
यह मुश्किल हो जाता है जब देखभाल करने वाले या परिवार के सदस्य चिकित्सकों की सलाह मानने से इनकार करते हैं। इससे अनुचित उपचार हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप बीमारी बिगड़ सकती है।
यदि रोगी उपचार प्रक्रिया, लाभ, जोखिम आदि के बारे में जानकार है, तो यह उपचार के पाठ्यक्रम में कितना सहायक है?
यह काफी लाभप्रद हो सकता है। अगर रोगी के पास अपनी बीमारी के बारे में कुछ मूल जानकारियाँ हों तो वे अपनी समस्याओं के बारे में अपने डॉक्टर से बेहतर ढंग से चर्चा कर पाएंगे।
एक उपचार प्रक्रिया के बारे में अपने ज्ञान को कैसे सुधार सकता है?
अधिकतर रोगी इंटरनेट पर अपनी स्थिति के बारे में खोज करते हैं। लेकिन उन्हें आवश्यक रूप से अपने डॉक्टर के साथ उन जानकारियों पर चर्चा करनी चाहिए ताकि वे गलत जानकारी के शिकार न हों।
गलत चिकित्सकीय सूचना समग्र उपचार प्रक्रिया में एक समस्या के रूप में कैसे काम करती है?
गलत चिकित्सकीय सूचना एक बहुत बड़ी समस्या है। कई मनोवैज्ञानिक समस्याएँ ऐसी हैं जिनकी पहचान करने के लिए कोई सुई-आधारित परीक्षण या रेडियोलॉजिकल स्कैन नहीं हैं। इस वजह से इन समस्याओं को लेकर लोगों में कई प्रकार के मिथक और भ्रांतियाँ देखने को मिलती हैं। यह उपचार प्रक्रिया को प्रभावित करता है जिससे बीमारी के अनियंत्रित होने की संभावना बढ़ जाती हैं और उसके गंभीर परिणाम सामने आते हैं। गलत चिकित्सकीय सूचना की समस्या को समाज में स्वास्थ्य साक्षरता फैलाकर ही निपटा जा सकता है।
कुछ सलाह जो आप हमेशा अपने मरीजों को देते हैं…
मैं अपने मरीजों हमेशा सलाह देता हूं कि इंटरनेट पर मिली किसी जानकारी को सिर्फ पढ़कर तुरंत उस पर विश्वास करने के बजाय हमेशा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ अपने इलाज या बीमारी के बारे में अपनी चिंताओं पर चर्चा करें। इसके अलावा यदि आप अपना इलाज करवा रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से चर्चा किए बिना कभी भी अपनी दवाओं को बंद न करें और न ही उनमें कोई बदलाव करें।
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