हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी का पता लगाने के लिए विकसित हुई नयी तकनीक

आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी (Hypertensive Retinopathy) का पता लगाने के लिए एक नई कंप्यूटर-सहायता आधारित मशीन को विकसित किया है। IIT जोधपुर और एम्स (AIIMS) के द्वारा किया गया यह एक संयुक्त अनुसंधान है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के शोधकर्ताओं ने हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी (HR – Hypertensive Retinopathy) का पता लगाने के लिए कंप्यूटर-एडेड डायग्नोसिस (डीप लर्निंग) आधारित एक नयी तकनीक विकसित की है। कंप्यूटर-सहायक मूल्यांकन (CAD – Computer-aided diagnosis) पहले से कहीं ज्यादा सटीकता के साथ हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी को शुरूआती स्तर पर ही पहचानने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। यह सस्ता, सुविधाजनक, Non-invasive (चिकित्सकीय एवं सर्जिकल विनियम रहित) है और इसमें कम संसाधनों की आवश्यकता होती है।

यह अनुसंधान कार्य ‘बायोमेडिकल सिग्नल प्रोसेसिंग एंड कंट्रोल जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है। साथ ही इसे हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी डायग्नोसिस के लिए एक विस्तृत समीक्षा अध्ययन ‘कंप्यूटर मेथड्स एंड प्रोग्राम्स इन बायोमेडिसिन’ में भी प्रकाशित किया गया है। इस अनुसंधान अथवा शोध कार्य का सह-लेखन IIT जोधपुर की सुप्रिया सुमन, पीएचडी रिसर्च स्कॉलर, अनुसंधान प्रभाग- स्मार्ट हेल्थ केयर; डॉ. अनिल कुमार तिवारी, प्रोफेसर, विद्युत अभियांत्रिकी विभाग; श्री तेजस इंगले, चतुर्थ वर्ष बीटेक छात्र, यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग और डॉ. कुलदीप सिंह, प्रोफेसर, बाल रोग विभाग, एम्स जोधपुर द्वारा किया गया है।

उच्च रक्तचाप एक गंभीर समस्या है

उच्च रक्तचाप एक ऐसी बीमारी है, जो बुजुर्गों और युवाओं दोनों को प्रभावित करती है, जिससे मृत्यु होने की आशंका भी बढ़ जाती है। हाल के विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सर्वेक्षण के अनुसार विकासशील राष्ट्रों में लगभग 11.3 अरब लोग उच्च हाई ब्लड प्रेसर से पीड़ित हैं। लंबे समय तक बढ़े रहने वाले उच्च रक्तचाप के कारण होने वाली रेटिनोपैथी (Hypertensive Retinopathy, HR) एक रेटिनल बीमारी है। 

हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी विभिन्न बीमारियों का बायो-मार्कर होता है, जिसमें कार्डियोवास्कुलर जोखिम और लक्ष्य-अंग नुकसान शामिल हैं। रेटिनल बीमारी के प्रारंभिक चरण में कोई लक्षण नहीं मिलते हैं इसलिए मरीज़ की नियमित जांच के माध्यम से ही इसे रोका जा सकता है।

नुकसान से बच सकेंगे कई अंग

यह विधि सही जांच की सटीकता के साथ हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी की शीघ्र पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। प्रारंभिक चरण में हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी रोगियों की पहचान करने से किडनी, हृदय, मस्तिष्क और आंखों सहित शरीर के कई अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाने से पहले ही उचित उपचार करने में मदद करेगा। इस विधि द्वारा क्रमशः 98.44%, 98.44%, 98.44%, 98.44%, और 98.48% की औसत सटीकता, सेंसिटिविटी, विशिष्टता, और प्रेसिजन प्राप्त की है ।

शोध के महत्व के बारे में बात करते हुए IIT जोधपुर के विद्युत अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार तिवारी ने कहा, “यह प्रणाली न केवल डॉक्टरों को वैकल्पिक राय प्रदान करेगी बल्कि रोग उपचार में बेहतर सटीकता भी प्रदान कर सकती है। इस प्रणाली का उपयोग विशेष रूप से जनरल फिजिशियन, न्युरोलॉजिस्ट  और नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा आपातकालीन उपचार में किया जा सकता है।

शिक्षा मंत्रालय से मिली वित्तीय सहायता

शोधकर्ताओं के अनुसार इस शोध के कई दूरगामी पॉजिटिव परिणाम चिकित्सा के क्षेत्र में देखने को मिल सकते हैं। इस शोध के भविष्य के दायरे में हाइपरटेंसिव रेटिनोपैथी की गंभीरता ग्रेडिंग और पैपिल्डेमा (Papilledema), ग्लूकोमा (Glaucoma), उम्र से संबंधित मैक्यूलर डीजेनरेशन (AMD- Age related Macular Degeneration), और अन्य गैर-नेत्र संबंधी बीमारियों सहित कई अन्य रेटिनल रोगों का उपचार शामिल हैं। यह शोध अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), जोधपुर के सहयोग से किया गया है। इसे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित किया गया था। IIT जोधपुर एवं एम्स जोधपुर द्वारा स्मार्ट हेल्थ केयर कार्यक्रम में इस अंतःविषय कार्यक्रम ने सहयोगात्मक अनुसंधान की सुविधा प्रदान की है, जिससे चिकित्सकों और इंजीनियर्स की टीमों को स्वास्थ्य देखभाल में तकनीकी प्रगति की खोज में एकजुट होने में सक्षम बनाया गया। इस तालमेल का उद्देश्य व्यापक पैमाने पर सकारात्मक प्रभाव लाना है। विशेष रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं तक सीमित पहुंच वाले दूरदराज के क्षेत्रों के मरीजों को लाभ पहुंचाना है।

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