जंक फ़ूड अत्यधिक कैलोरी वाले वो खाद्य पदार्थ हैं जिनमें चीनी, नमक, वसा आदि की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ये पैकेटों में मिलने वाले वो भोज्य पदार्थ हैं जिन्हे कई दिनों तक रखा जा सकता है।
बॉलीवुड की कई नामी हस्तियां जंक फूड का प्रचार करती हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा विज्ञापन बिंगो टेढ़े मेढे का आता है और दूसरा पेप्सी का, जिसे सलमान खान द्वारा किया जाता है। इसके पहले Mountain Deo का विज्ञापन ऋतिक रौश्न द्वारा किया जाता था। खेल जगत में हेलीकॉप्टर शॉट लगाने वाले माही, महेंद्र सिंह धोनी भी yippie नूडल्स का एडवरटाइजमेंट करते हैं और बताते हैं कि कैसे इसमें बच्चे हर रोज नए इनाम जीत सकते हैं।
सॉफ्ट ड्रिंक्स को लेकर जानकारी

डॉ. सम्राट शाह, एमडी मेडिसिन एवं मेटाबॉलिक स्पेशियलिस्ट, कहते हैं, “इन सॉफ्ट ड्रिंक्स में आमतौर पर कृत्रिम मिठास जैसे एस्पार्टेम और सैकरीन डाला जाता है ताकि इनके स्वाद को मीठा बनाया जा सके। साथ ही इन ड्रिंक्स में कैफीन की मात्रा भी अधिक पाई जाती है। आगे चलकर हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा होने का खतरा रहता है। इसके अलावा मस्तिष्क से जुड़े विकारों में मनोभ्रंश (Dementia) और स्ट्रोक होने का खतरा रहता है। यकृत से जुड़ी समस्याएं जैसे Non-alcoholic Steatohepatitis (NASH) आदि। वे रक्त वाहिकाओं में सूजन का कारण भी बनते हैं। इन ड्रिंक्स में मौजूद कैफीन और कृत्रिम शुगर की उच्च मात्रा के कारण डोपामाइन का स्त्राव होता है। डोपामाइन को हैप्पी हार्मोन कहा जाता है इसलिए कुछ पल के लिए सॉफ्ट ड्रिंक्स पीने के कारण खुशी और स्फूर्ति महसूस होती है, जिस कारण बार-बार पीने की इच्छा होती है।”
दो मिनट और मैगी
मैगी में लेड और मोनोसोडियम ग्लूटामेट मिलने के कारण उसे जून 2015 को बैन कर दिया गया था। उस समय मैगी बनाने वाली कंपनी Nestle को 320 करोड़ का नुकसान हुआ था। वहीं उस पर 640 करोड़ का जुर्माना भी दर्ज हुआ था। हालांकि उस समय अधिकांश बच्चों समेत माता-पिता को भी मायूसी हुई थी कि दो मिनट में बनने वाली मैगी अब हमारे बीच नहीं रही लेकिन मैगी दोबारा मार्केट में वापस आई और उसने फिर लोगों को भावनात्मक तरीके से लुभाने का काम किया। बहरहाल मैगी का प्रचार करने के कारण फूड एंड ड्रग एसोसिएशन (एफडीए) ने माधुरी दीक्षित को मैगी के पौष्टिक गुण बताने के लिए नोटिस भी भेजा था।
मैगी के अविष्कार की कहानी
मैगी का अविष्कार मजबूरी में हुआ था। वह भी तब स्विट्जरलैंड में रहने वाले जूलियस माइकल जोहानस मैगी ने साल 1872 में महिलाओं के काम के बोझ को कम करने के लिए छट-पट बनने वाली मैगी का अविष्कार किया था, ताकि महिलाओं को फैक्ट्री में काम करने के बाद घर जाकर खाना न बनाना पड़े। इसके बाद मैगी की प्रसिद्धि बढ़ती गई और लोगों ने इसे हाथों हाथ लेना शुरू किया। साल 1947 में मैगी को नेस्ले ने खरीदा और मैगी भारत में साल 1984 में आ गई। मैगी स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले का सहयोगी ब्रांड है।
मैगी लोगों के ब्रेकफास्ट का हिस्सा बनने लगी तो कंपनी ने उसमें लेड की मात्रा को बढ़ाकर बच्चों समेत सबकी सेहत के साथ खेलना शुरू कर दिया। बहरहाल मैगी अब भी लोगों द्वारा खूब इस्तेमाल की जा रही है।
साल 2015 में ही yippie नूडल्स को भी Food Safety and Security Authority of Uttarakhand द्वारा नोटिस भेजा गया था, जिसमें आईटीसी ने हवाला दिया था कि yippie नूडल्स सेफ हैं।
झूठ का खेल, इंसान फेल
हालांकि इन सबके सच झूठ में आम आदमी ही फंसता है। क्या माधुरी दीक्षित और एमएस धोनी अपने बच्चों को मैगी या yippie खाने देंगे? वहीं रणवीर सिंह, जो खुद फिटनेस फ्रीक हैं, वह खुद अपने खाने में बिंगो टेढ़े मेढे को शामिल करेंगे? सलमान खान अपने प्रोटीन शेक या अपने खाने में पेप्सी को शामिल करेंगे?
हमें कभी भी किसी भी सेलिब्रिटी या मशहूर हस्ती को देखकर तुरंत निर्णय कभी नहीं लेना चाहिए। उन्हें ब्रांडिंग करने के पैसे मिलते हैं। उनका कॉन्ट्रैक्ट होता है, जिसके दौरान उनके लिए वह ब्रांड सबसे अच्छा होता है। कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद वे खुद उस ब्रांड को भूल जाते होंगे। ऐसे में आम आदमी अपनी सेहत से खिलवाड़ करे, क्या ये सही है?

डायटिशियन दिव्या शर्मा कहती हैं, “सॉफ्ट ड्रिंक्स में कार्ब्स की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए इन्हें कार्बोनेटेड ड्रिंक्स की श्रेणी में रखा जाता है। इनमें कृत्रिम (आर्टिफिशियल) शुगर और रंग डाला जाता है और ये बिल्कुल भी पौष्टिक नहीं होते।”
क्या खाना है, क्या नहीं खाना है, यह एक व्यक्तिगत निर्णय है मगर हेल्थी फूड खाने में समझदारी है या अन हेल्थी फूड में ये सबको समझना जरूरी है? साथ ही बच्चों को लुभावने प्राइज और इंस्टेंट एनर्जी ड्रिंक्स से दूर रखना बहुत जरूरी है क्योंकि आजकल चलन हो गया है कि पार्टी होगी तो उसमें मैगी, कोल्ड ड्रिंक्स और पिज़्ज़ा तो होना ही चाहिए। इन सबके ज्यादा इस्तेमाल से पेट और मुंह की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।
समझें एक्सपर्ट्स से खानपान की पद्धति

चीफ डायटिशियन एवं डायबिटीज प्रशिक्षक डॉ. प्रियंवदा दीक्षित कहती हैं, “लोगों को ध्यान रखना होगा कि उनकी थाली पौष्टिकता से भरपूर हो। राष्ट्रीय पोषण संस्थान द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट मेरी आज की थाली शीषर्क में दर्शाया गया है कि बृहद पोषक तत्व एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करना बेहद जरुरी है। हर व्यक्ति को एक दिन में 350 ग्राम सब्जियां, 150 ग्राम फल, दाल, अंडा या मांसाहार 90 ग्राम, सुखे मेवे एवं बीज 30 ग्राम, वसा एवं तेल 27 ग्राम, अनाज एवं न्यूट्री सीरियल्स 240 ग्राम खाने चाहिए। कोशिश करनी चाहिए कि मैदा का सेवन कम से कम किया जाए क्योंकि मैदा गेहूं का परिष्कृत उत्पाद है, जिसमें पोषक तत्व नहीं होते।”
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