Last Updated on दिसम्बर 14, 2022 by Neelam Singh
सारांश
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट द्वारा दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सात बड़ी ब्रेन डैमेजिंग हैबिट्स के बारे में बताया है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
दावा
एक सोशल मीडिया वीडियो द्वारा दावा किया जा रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सात बड़ी ब्रेन डैमेजिंग हैबिट्स (मस्तिष्क विकारों) के बारे में बताया है।
तथ्य जाँच
किन बातों का दावा कर रहा वीडियो?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के logo के साथ जारी इस पोस्ट में बताया गया है कि कुछ आदतें मस्तिष्क को नष्ट कर देती हैं। जैसे – ‘नाश्ता न करना, देर से सोना, ज्यादा मीठा खाना, सुबह के समय ज्यादा सोना, टीवी या कंप्यूटर देखते हुए खाना खाना, सोते समय कैप/स्कार्फ या मोजा पहन कर सोना व यूरिन रोकना आदि।’
क्या इन सात दावों में सच्चाई है?
हमने इस पोस्ट में मौजूद हर एक सवाल का तथ्य जाँच किया और उससे संबंधित तथ्य निम्नलिखित हैं-
नाश्ता ना करना
National Library of Medicine द्वारा प्रकाशित Symposium overview: Do we all eat breakfast and is it important? एवं Skipping breakfast and prevalence of overweight and obesity in Asian and Pacific regions: a meta-analysis रिसर्च के अनुसार नाश्ता ना करना स्वास्थ्य संबंधित परेशानी उत्पन्न करता है। जैसे – obesity या appetite का बिगड़ जाना। हालांकि ऐसी कोई रिसर्च नहीं है कि जो सीधे तौर पर कहती हो कि नाश्ता ना करना मस्तिष्क विकार उत्पन्न करता है।
देर से सोना
National Library of Medicine द्वारा प्रकाशित Neural Consequences of Chronic Short Sleep: Reversible or Lasting? रिसर्च के अनुसार कम नींद लेने से Alzheimer होने की संभावना होती है लेकिन मस्तिष्क विकार को लेकर कोई शोध नहीं है।
अत्याधिक चीनी का सेवन करना
शरीर में अगर चीनी की कमी हो, तब मस्तिष्क की कार्य प्रणाली प्रभावित होती है और अत्याधिक चीनी का होना याद रखने की क्षमता को प्रभावित करती है मगर ऐसा जानवरों पर हुए अधय्यन में सामने आया है। Vera Novak, MD, PhD, an HMS associate professor of medicine at Beth Israel Deaconess Medical Center रिसर्च Sugar and the Brain में लिखते हैं, “The brain is dependent on sugar as its main fuel. It cannot be without it.” साथ ही इसी रिसर्च में लिखा है कि मस्तिष्क को ग्लुकोज की जरुरत पड़ती है लेकिन अत्याधिक मात्रा में सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है।
सुबह के समय ज्यादा सोना
पर्याप्त नींद लेना हर किसी के लिए जरुरी होता है। Sleep Duration in Midlife and Later Life in Relation to Cognition रिसर्च के अनुसार बहुत ज्यादा नींद लेना या बहुत कम नींद लेना दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। हालांकि विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि आठ घंटे से ज्यादा की नींद लेना मस्तिष्क की कार्य प्रणाली को प्रभावित कर सकती है।
टीवी या कंप्यूटर देखते हुए खाना खाना
टीवी या कंप्यूटर देखते वक्त प्रायः लोग थोड़ा ज्यादा भोजन कर लेते हैं। Eating attentively: a systematic review and meta-analysis of the effect of food intake memory and awareness on eating रिसर्च बताती है कि इससे obesity होने की संभावना होती है।
सोते समय कैप/स्कार्फ या मोजा पहना
साल 2007 में जारी हुई Skin temperature and sleep-onset latency: Changes with age and insomnia रिसर्च बताती है कि एक उम्र के बाद मोजे पहनकर (मोजा गर्म या नोर्मल भी हो सकता है, जैसे- सूती कपड़े का मोजा) सोने से अच्छी नींद आती है। इसी बात का समर्थन करती हुई एक अन्य शोध Warm feet promote the rapid onset of sleep भी है।
यूरिन/पेशाब रोकना
पेशाब रोकने से किडनी संबंधित या अन्य स्वास्थ्य संबंधित परेशानी हो सकती है लेकिन मस्तिष्क विकार को लेकर कोई प्रमाण मौजूद नहीं है। इस बात का दावा Kauvery Hospital द्वारा प्रकाशित Holding in your urine for long is hazardous to health लेख करता है।
क्या वाकई जारी हुई है ऐसी गाइडलाइन?
जब हमने इस वीडियो की जाँच की तब पाया कि इस तरह के कई भ्रामक पोस्ट सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन के नाम पर इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे – साल 2017 और साल 2020 में इस तरह के पोस्ट काफी वायरल हुए हैं।
पोस्ट में लिखी भाषा को देखकर (You के स्थान पर u) प्रतीत होता है कि यह आधिकारिक पोस्ट न होकर सोशल मीडिया का प्रयोग करने वाले एक सामान्य user की है। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के सोशल मीडिया हैंडल्स पर भी कोई पोस्ट प्राप्त नहीं हुई है।
वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन की आधिकारिक वेबसाइट पर मस्तिष्क के स्वास्थ्य को लेकर एक विस्तृत लेख मौजूद है, जिसमें ऐसी पोस्ट की कोई भी बात नहीं लिखी है। इस तथ्य के बारे में और जानने के लिए हमने विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि से संपर्क करने का प्रयास भी किया है। कोई भी अपडेट मिलते ही हम पेज को दोबारा अपडेट करेंगे।
प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट बिल्कुल फर्जी है इसका WHO से कोई सम्बन्ध नहीं है। इसे लोगों को भ्रमित करने के लिए फैलाया जा रहा है।
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