सारांश
एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि एक महिला को प्रसव के दौरान 57 डेल का दर्द होता है, जो 20 हड्डियों के टूटने के बराबर है। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
दावा
एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दावा किया जा रहा है कि एक महिला प्रसव के दौरान 57 डेल का दर्द झेलती है, जो 20 हड्डियों के टूटने के बराबर है।
तथ्य जाँच
क्या महिलाओं को प्रसव के दौरान 57 डेल (युनिट) का दर्द होता है?
नहीं, अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, जो इस बात की पुष्टि करता हो कि प्रसव के दौरान महिला को 57 डेल (युनिट) का दर्द होता है। हालांकि शोध के दौरान हमने पाया कि डेल नाम से दर्द को मापने की कोई युनिट ही नहीं है। वहीं एक शोध पत्र से पता चला कि दर्द को मापने के लिए डोल (Dol) एक युनिट है, जिसे डोलोरीमीटर (Dolorimeter) से मापा जाता है। यह शोध पत्र बताता है कि एक महिला को प्रसव के दौरान 10.5 डोल का दर्द होता है, जो पोस्ट में दिए गए आंकड़े से काफी कम है।
Harvard Medical School ने दर्द को मापने के लिए 10-प्वाइंट स्केल को तैयार किया है। इस स्केल के अनुसार 0 का मतलब है कोई दर्द नहीं और 10 का मतलब बहुत ज्यादा दर्द। इस स्केल का इस्तेमाल अकसर चिकित्सकों के द्वारा दर्द को मापने के लिए किया जाता है। हालांकि यह विधि भी पर्याप्त कुशल नहीं है क्योंकि दर्द की सीमा हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है।
प्रसव कितना दर्दनाक हो सकता है?
Women’s experience of pain during childbirth शोध पत्र बताता है कि प्रसव के दौरान होने वाला दर्द हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकता है। साथ ही कभी-कभी दर्द को सहना भी कठिन हो जाता है क्योंकि लगातार होने वाले संकुचन के कारण दर्द बढ़ता चला जाता है।
हालांकि हर महिला के लिए दर्द को महसूस करना अलग-अलग हो सकता है। शोध बताते हैं कि दर्द केवल एक अलग शारीरिक सनसनी नहीं है बल्कि यह भय, मनोदशा, व्यक्तित्व, अवधि और प्रसव के समग्र अनुभव जैसे अन्य कारकों से प्रभावित होता है।
इस विषय पर स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं Fortis Le Femme, दिल्ली, की Associate Director, डॉ. अनीता गुप्ता बताती हैं कि, “प्रसव के दौरान होने वाले दर्द को कार्डियोटोकोग्राफी के जरिए मापा जा सकता है। साथ ही आमतौर पर लेबर के दौरान 40-66mmHg का दर्द होता है, जो धीरे-धीरे बढ़ते चला जाता है।”
डॉ. गुप्ता बताती हैं, “इस दर्द को एपिड्यूरल एनाल्जेसिया द्वारा कम किया जा सकता है लेकिन लेबर पेन की तीव्रता को कम नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे प्रसव में सहायता मिलती है। साथ ही अगर प्रसव को घर पर किया जाए, तब वहां ऐसा कोई उपकरण नहीं होता जो बच्चे की हृदय गति को माप सके। साथ ही उस वक्त बच्चे की स्थिति की निगरानी करना मुश्किल हो जाता है और कई बार बच्चे की स्थिति सही नहीं होती।”
डॉ. अनीता गुप्ता बताती हैं कि हर महिला को यह दर्द हो ऐसा आवश्यक नहीं है क्योंकि जो महिलाएं सी-सेक्शन के जरिए बच्चे पैदा करती हैं वे सामान्य प्रसव की पीड़ा नहीं महसूस कर पाती है।
अतः उपरोक्त शोध और चिकित्सक के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि अब तक ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जो यह बताता हो कि प्रसव के दौरान महिला को 57 डेल (युनिट) का दर्द होता है। साथ ही दर्द को मापने के लिए ‘डेल’ नहीं बल्कि ‘डोल’ का उपयोग किया जाता है इसलिए कहा जा सकता है कि यह दावा बिल्कुल गलत है।
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