सारांश
एक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित स्टोरी के जरिए दावा किया जा रहा है कि केला और दही का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए। जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है।

दावा
फेसबुक पर जारी एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि केला और दही का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कफ की समस्या बढ़ जाती है।

तथ्य जाँच
दही में कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
दही एक डेयरी उत्पाद है। यह एक किण्वित (fermentation) डेयरी उत्पाद है, जिसका सेवन सदियों से किया जा रहा है। यह आमतौर पर Lactobacillus delbrueckii उप-प्रजाति bulgaricus और Streptococcus thermophilus बैक्टेरिया से पानी और दूध को मिलाकर बनाया जाता है।
दही में मौजूद बैक्टीरिया प्रोबायोटिक गुण प्रदान करते हैं, जो शरीर को आंत में अच्छे बैक्टीरिया का स्वस्थ संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकता है। दही में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन व कैल्शियम पाए जाते हैं। साथ ही दही वजन कम करने, रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, पेट के स्वास्थ्य को बनाए रखने में और हृदय को सेहतमंद बनाए रखने में सहायक है।
केले में कौन से पोषक तत्व पाए जाते हैं?
केला कई प्रकार के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। केले में पोटैशियम प्रचुर मात्रा में होता है। पोटेशियम शरीर में तरल पदार्थ के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। यह कोशिकाओं के अंदर और बाहर पोषक तत्वों और अपशिष्ट उत्पादों की गति को नियंत्रित करता है। साथ ही यह किडनी को स्वस्थ बनाए रखने में भी सहायक होता है। केला BRAT आहार नामक एक दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसे कुछ डॉक्टर डायरिया के इलाज के लिए अनुशंसा करते हैं। BRAT का मतलब केले, चावल, सेब की चटनी और टोस्ट से है। वहीं 2017 की समीक्षा में पाया गया कि जो लोग उच्च फाइबर आहार का सेवन करते हैं, उनमें कम फाइबर आहार का सेवन करने वालों की तुलना में हृदय रोग का खतरा कम होता है।
क्या केले और दही का सेवन एक साथ करने से कफ होता है?
अधिकांशतः नहीं। दूध से बने उत्पाद कफ बढ़ाते हैं या नहीं, अभी इस पर कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हालांकि यह लोगों के स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है कि उनकी शारीरिक संरचना कैसी है। वहीं केले की बात करें, तो केले को ‘ठंडा’ भोजन माना जाता है, जो शरीर में श्लेष्मा (mucus) के निर्माण को बढ़ाता है इसलिए ऐसा माना जाता है कि यदि किसी को पहले से ही सर्दी, खांसी और बुखार हैं, तो केला खाने के बाद स्थिति और भी खराब होने की संभावना है लेकिन इस विषय पर भी मतभेद की स्थिति है इसलिए किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता।
शोध के अनुसार देखा जाए, तो दोनों में ही Bio-Active कंपाउंड मौजूद होते हैं, जिसे फलों के पकने, भंडारण और प्रसंस्करण (storage and processing) के दौरान बढ़ाया या कम किया जा सकता है। यह अंतर एक ही श्रेणी के सभी खाद्य पदार्थों के साथ एक प्रकार के भोजन की तुलना करते समय परिणामों को सामान्य बनाना बहुत मुश्किल बना देते हैं। इसके अलावा कई खाद्य पदार्थों की जटिल प्रकृति के कारण भी उन्हें अलग-अलग नहीं खाया जाता है। यह पता लगाना बेहद मुश्किल है कि संभावित स्वास्थ्य लाभ किसी विशिष्ट खाद्य पदार्थों या यौगिकों का परिणाम है या नहीं। मतलब यह पता लगाना मुश्किल है कि सेहत में हो रहा बदलाव किसी एक खाद्य पदार्थ के कारण है या दोनों खाद्य पदार्थ के एक साथ सेवन का परिणाम है। हालांकि इस शोध में केला और दही के एक साथ सेवन को लेकर कोई बात नहीं कही गई है।

आहार विशेषज्ञ नबरुणा गांगुली बताती हैं, “केले और दही का एक साथ सेवन करना बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है बल्कि पौष्टिक है। इनमें मौजूद पोषक तत्व यानी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फाइबर स्वस्थ जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्कृष्ट स्रोत हैं। दही एक प्रोबायोटिक भोजन है और केले के फाइबर के साथ दही में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया बेहतर पाचन के साथ-साथ मल त्याग को आसान बनाते हैं, यानी कब्ज की स्थिति को कम करते हैं। वहीं आहार में मौजूद कैल्शियम बेहतर अवशोषण में मददगार साबित होते हैं, जो हड्डियों को स्वास्थ्य बनाए रख सकते हैं। इनमें मौजूद अन्य कारक यानी सोडियम और पोटेशियम सामान्य स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। साथ ही इस बात का कोई व्यावहारिक प्रमाण नहीं है कि केला और दही का एक साथ सेवन करने से कोई स्वास्थ्य समस्या होती है।”
उन्होंने आगे बताया, “दही और केला दोनों की तासीर ठंडी होती है इसलिए कभी-कभी ठंड के मौसम में पाचन प्रक्रिया में बाधा डाल सकते हैं, लेकिन जिन लोगों का पाचन तंत्र अच्छा होता है, उन्हें इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है। केला का सेवन रात के समय में किया जा सकता है क्योंकि इसमें पोटेशियम, मैग्नीशियम, tryptophan के अलावा अन्य पोषक तत्व नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करते हैं, लेकिन चूंकि इसमें फाइबर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है इसलिए इसे सोने से ठीक पहले से परहेज करना चाहिए और इस बीच करीब 4 घंटे का अंतराल रखना चाहिए ताकि शरीर को इसे पचाने के लिए समय मिल सके। रात के समय दही अपच का कारण बन सकता है लेकिन यह हर किसी के लिए सच नहीं है। वहीं अस्थमा, सर्दी से एलर्जी और सीओपीडी के रोगियों को ठंड के मौसम और रात के समय दही से परहेज करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे शरीर का तापमान कम हो जाता है और उनमें बलगम का निर्माण बढ़ सकता है।”
क्या कुछ खाद्य पदार्थों को एक साथ खाने से स्वास्थ्य को नुकसान होता है?
पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इस बात की पुष्टि करने के लिए सीमित वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि खाद्य पदार्थों का एक विशिष्ट संयोजन शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। साल 2010 में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि भोजन संयोजन आहार 100 साल पहले पाचन और पोषण की सीमित समझ के साथ बनाया गया था और उनके कई सिद्धांत अब असमर्थित हैं। यह शोध पत्र आगे बताता है कि आनुवांशिकी, स्वास्थ्य स्थितियां और दवाएं इस बात को प्रभावित कर सकती हैं कि शरीर कुछ खाद्य पदार्थों पर कैसे प्रतिक्रिया करता है, लेकिन एलर्जी (जैसे- lactose intolerant) को छोड़कर खाद्य पदार्थों के संयोजन से विषाक्त या घातक प्रभाव की संभावना नहीं है।
साथ ही उपलब्ध साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि पाचन तंत्र जैव रासायनिक सिद्धांतों पर काम करता है और भोजन संयोजन का विचार प्राचीन वैकल्पिक चिकित्सा ग्रंथों पर आधारित है, जिसमें वैज्ञानिक प्रमाण का अभाव है। साल 2015 में प्रकाशित एक शोध पत्र बताता है कि पेट का अत्यधिक अम्लीय वातावरण भोजन को आंत में सड़ने की संभावना को कम करता है। पाचन पेट में समाप्त नहीं होता बल्कि छोटी आंत पाचन और अवशोषण का महत्वपूर्ण कार्य करती है। पाचन तंत्र एक साथ कई पोषक तत्वों को संभाल सकता है, क्योंकि प्रत्येक मैक्रोन्यूट्रिएंट (macronutrient) के लिए विशिष्ट एंजाइम एक साथ स्रावित होते हैं, जिससे किसी भी खाद्य संयोजन के कुशल पाचन की अनुमति मिलती है, जब तक कि आंत क्षतिग्रस्त न हो।
अतः उपरोक्त शोध पत्रों एवं चिकित्सकों के बयान के आधार पर कहा जा सकता है कि यह दावा ज्यादातर गलत है क्योंकि यह संयोजन जरूरी नहीं है कि प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्रभावित करे या कफ का कारण बने इसलिए अपने शरीर की संरचना को समझते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल करें।
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