सारांश
फेसबुक पर जारी एक वीडियो के जरिये दावा किया जा रहा है कि लौंग, अजवाइन, नमक, नींबू, सरसों तेल का मिश्रण टूथपेस्ट में मिला कर दांतों पर ब्रश करने से दांत चमक जाते हैं।जब हमने इस पोस्ट का तथ्य जाँच किया तब पाया कि यह दावा ज्यादातर गलत है।

दावा
फेसबुक पर जारी वीडियो के जरिये दावा किया जा रहा है कि लौंग और अजवाइन को मिट्टी के दीया में रखकर आग पर भूनने के बाद उसका पाउडर बनाने के बाद उसमें नमक, नींबू, सरसों तेल और टूथपेस्ट को मिलाकर ब्रश करने से दांत सफेद होते हैं।

तथ्य जाँच
दांत सफेद करने का अर्थ क्या है?
शोध पत्र के मुताबिक दांत सफेद करने की प्रक्रिया का अर्थ है, दांत के बाहरी परत पर मौजूद धब्बों को दूर करना। हालांकि इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि कुछ समय बाद दांत की बाहरी परत अर्थात इनेमल को साफ किया जाना चाहिए क्योंकि धूम्रपान, कैफीन का सेवन और भोजन में मौजूद कृत्रिम रंग दांतों की रंगत को कम कर देते हैं। यही कारण है कि दांतों को साफ करना और उन पर मौजूद धब्बों को कम करना जरुरी हो जाता है। साथ ही इन उपायों को घर पर या किसी दंत विशेषज्ञ की सहायता से भी किया जा सकता है।
क्या घर पर दांतों को सफेद करने के लिए घरेलू उपाय किए जा सकते हैं?
नहीं, हमेशा नहीं। दांतों को सफेद करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनमें से अधिकतर प्रक्रियाएं दांतों की सतह से दागों को हटाती हैं। हालांकि घरेलू विकल्पों की तुलना में अधिकांश दंत चिकित्सक पर्याप्त रूप से प्रभावी वाइटनिंग प्रक्रियाएं प्रदान करते हैं, जो गंभीर रूप से फीके पड़े दांतों के लिए अधिक प्रभावी हो सकते हैं। यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि दांतों को सफेद करने वाले उत्पादों का अत्यधिक उपयोग दांतों को संवेदनशील बना सकता है।
क्या लौंग और अजवाइन दातों को सफेद बनाने में भूमिका निभाते हैं?
लौंग एक प्राकृतिक उपचार है, जिसका उपयोग पारंपरिक रूप से दर्द और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। कुछ लोग लौंग के तेल का उपयोग दांतों के दर्द को कम करने और इसके शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण मुंह के लिए एंटीसेप्टिक के रूप में करते हैं। लौंग दांतों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकती है लेकिन यह कैविटी या मसूड़ों की बीमारी को ठीक नहीं करती है। वहीं लौंग का दांतों की सफेदी से कोई संबंध भी नहीं है।
वहीं अगर अजवाइन की बात करें, तो अजवाइन में एंटीऑक्सीडेंट क्षमता होती है। साथ ही दांतों को सुरक्षा प्रदान करने में भूमिका निभाते हैं लेकिन दांतों को सफेद करने में इनका कोई योगदान नहीं है।
क्या नमक और नींबू दांतो को सफेद करने में भूमिका निभाते हैं?
नमक जिसे सोडियम क्लोराइड भी कहा जाता है। यह एक बहुमुखी चिकित्सीय सामाग्री है, जिसका उपयोग टूथपेस्ट में किया जाता है ताकि प्लाक बनने से रोका जा सके। नमक का उपयोग मुंह के छालों के दर्द को कम करने में किया जाता है। हालांकि नमक की खुरदुरी प्रकृति के कारण घरेलू पेस्ट में इसका नियमित उपयोग हानिकारक हो सकता है।
वहीं नींबू के रस का अत्यधिक उपयोग दांतों के इनेमल को नष्ट कर देता है। साथ ही यह इनेमल के विकास को भी अवरुद्ध करता है इसलिए नियमित रूप से नींबू का रस लगाने से दांतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
क्या टूथपेस्ट और सरसों का तेल दांतों की रंगत को बदल देते हैं?
अधिकांश घरों में टूथपेस्ट का उपयोग होता है। देखा जाए, तो बाज़ार में तरह-तरह के टूथपेस्ट मौजूद हैं। शोध बताते हैं कि टूथपेस्ट में हाइड्रोजन पेरोक्साइड मौजूद होता है, जो ब्लीचिंग की क्रिया को बढ़ात देता है और यही प्रक्रिया दांतों को साफ और सफेद बना सकती है लेकिन इसका असर सीमित होता है। वे केवल दांतों की सतह पर बाहरी दागों को हटा सकते हैं, जिससे यह साफ और सफेद दिख सकता है लेकिन दांतों के प्राकृतिक रंगत को बदलने पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
अब अगर सरसों के तेल की बात करें, तो इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं, जो बताते हो कि सरसों का तेल दांतो को सफेद करता हो। हालांकि इस कड़ी में एक शोध पत्र बताता है कि सरसों का तेल प्लैक और gingivitis में राहत पहुंचाता है इसलिए कहा जा सकता है कि दांतों को सफेद बनाने को लेकर शोध का अभाव है।

दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा भारद्वाज बताती हैं, “लौंग में eugenol नामक एंटीसेप्टिक पदार्थ होता है, जो बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता करता है और दांतों को सड़ने से बचाता है। सरसों के तेल में ऐसे कोई गुण नहीं होते हैं, जो दांतों को सफेद बनाने में सहायक हो और ना ही ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण है। हालांकि ये मसूड़े की सूजन और मुंह की दुर्गंध से लड़ते हैं लेकिन इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। साथ ही इनका स्वाद भी अच्छा नहीं होता है। यह दांतों की सतह को चिपचिपा बना देते हैं, जिससे भोजन मुंह में चिपकने लगता है, जिससे कैविटी को बढ़ावा मिलता है। खट्टे फलों जैसे नींबू में D-limonene होता है, जो एक प्राकृतिक तौर पर दाग हटाने में मदद करता है लेकिन दांतों के दाग या दांतों के पीलेपन को खत्म नहीं कर सकता। नमक भी दांतों को सफेद नहीं बना सकता लेकिन मुंह के छालों के कारण हुए दर्द को कम कर सकता है। वहीं सरसों तेल या अजवाइन को लेकर भी ऐसा कोई प्रमाण नहीं है, जो इस बात की पुष्टि करने में सहायक हो कि इनके उपयोग से दांत सफेद हो जाएंगे।”
दांतों को सेहतमंद कैसे बनाए रखा जा सकता है?
दांतों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि दांतों की साफ-सफाई पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसके अंतर्गत नियमित तौर पर ब्रश करना, शर्करा एवं अम्लीय खाद्य पदार्थों और पेय का सीमित मात्रा में सेवन करना और नियमित जाँच के लिए दंत चिकित्सक के पास जाना शामिल है। यदि आपके दांतों में सड़न के लक्षण हैं, जैसे कि कैविटी या दांत में दर्द, तो आपके दांतों को और अधिक नुकसान से बचाने के लिए जल्द से जल्द दंत चिकित्सक को दिखाना आवश्यक है। साथ ही किसी भी ऐसी भ्रामक खबरों पर बिल्कुल भरोसा ना करें, जो दांतों को तुरंत सफेद बनाने का दावा करते हो। भले ही वीडियो में दिखाई गई चीज़ें दांतों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हो लेकिन ये दांतों को सफेद नहीं बनाते। अतः यह दावा ज्यादातर गलत है।
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