हर साल, स्वास्थ्य संगठन हमें याद दिलाते हैं कि पोलियो के खिलाफ लड़ाई अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। भारत ने इस बीमारी से छुटकारा पा लिया है, लेकिन कुछ देश अब भी इससे जूझ रहे हैं। जब तक दुनिया के किसी भी हिस्से में पोलियो मौजूद है, तब तक यह एक खतरा बना रहता है। इसे खत्म करने के लिए, हमें समझना होगा कि यह कुछ जगहों पर मौजूद क्यों है और भारत अपने अनुभवों से दुनिया को क्या सीख दे सकता है।
कौन-से देश अब भी पोलियो से प्रभावित हैं?
हालाँकि, दुनिया के अधिकांश हिस्सों ने पोलियो को खत्म कर दिया है, लेकिन अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अब भी इसके कुछ मामले पाए जाते हैं। इन देशों के कुछ छोटे इलाकों में यह बीमारी अब भी उन बच्चों के बीच फैल रही है जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है।
मुख्य समस्या यह है कि यह वायरस आसानी से एक जगह से दूसरी जगह पहुँच सकता है। अगर पोलियो इन देशों में फैलता है, तो यह जल्दी ही दूसरे देशों में भी फैल सकता है और लाखों लोगों को फिर से खतरे में डाल सकता है। इसलिए विशेषज्ञ बताते हैं कि जब तक हर देश पोलियो-मुक्त नहीं हो जाता, तब तक हमें अपनी कोशिशें जारी रखनी चाहिए। हालांकि, भारत की सफलता उम्मीद देती है, लेकिन यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
इन क्षेत्रों में पोलियो को खत्म करना मुश्किल क्यों है?
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में पोलियो को खत्म करना सिर्फ़ दवाओं की बात नहीं है — इसके अन्य कारण हैं। संघर्ष और असुरक्षा की वजह से स्वास्थ्यकर्मियों के लिए दूर-दराज़ के गाँवों तक पहुँचना बहुत कठिन होता है।
कई जगहों पर साफ़ पानी और स्वच्छता की कमी है, जिससे वायरस आसानी से फैल सकता है। गरीबी और शिक्षा की कमी भी इस समस्या को बढ़ाती है क्योंकि रोज़मर्रा की आवश्यकताओं से जूझ रहे परिवार अक्सर टीकाकरण को प्राथमिकता नहीं देते हैं।
राजनीतिक अस्थिरता और सरकार पर कम भरोसा भी प्रगति को धीमा कर देता है। इससे पता चलता है कि पोलियो को खत्म करना सिर्फ़ वैक्सीन देने तक सीमित नहीं है — इसके लिए शांति, बेहतर जीवन-परिस्थितियाँ और लोगों के बीच भरोसा भी आवश्यक है।
अफवाहें और डर पोलियो को खत्म करने में कैसी भूमिका निभाते हैं?
कुछ देशों में, जहाँ अब भी पोलियो मौजूद है, गलत जानकारी बहुत जल्दी फैल जाती है। कुछ लोग गलत बातें मान लेते हैं — जैसे कि पोलियो का टीका बीमारी या इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है। इन अफवाहों की वजह से कई माता-पिता अपने बच्चों को टीका लगवाने से डरते हैं।

यह डर और झिझक लोगों को खतरे में डाल देता है। सच तो यह है कि पोलियो का टीका पूरी तरह से सुरक्षित है और इसने लाखों बच्चों की रक्षा की है। स्वास्थ्यकर्मी अक्सर घर-घर जाकर लोगों को समझाते हैं और सोशल मीडिया या स्थानीय चर्चाओं में गलत धारणाओं को दूर किया जाता है। भारतीय माता-पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि सही जानकारी रखना और विज्ञान पर भरोसा करना हमारे बच्चों को सुरक्षित रखने और वायरस के फैलाव को रोकने में मदद करता है। डॉ. उन्मेश उपाध्याय, अध्यक्ष, अहमदाबाद के पीडियाट्रिक एसोसिएशन (2023-24), संस्थापक और वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ, विस्मय चाइल्डकेयर अस्पताल, अहमदाबाद, गुजरात बताते हैं कि “पोलियो वायरस (WPV-1) अब भी हमारे पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद है। इसलिए हर बच्चे को टीका लगवाना आवश्यक है ताकि वे सुरक्षित रहें और जोखिम कम हो।”
वैक्सीन जनित पोलियो (vaccine-derived poliovirus) का खतरा क्या है?
पोलियो को खत्म करने में एक दुर्लभ समस्या वैक्सीन-जनित पोलियो वायरस है। ऐसा तब हो सकता है जब ओरल वैक्सीन में कमजोर वायरस में बदल जाए और उन जगहों में फैल जाए जहाँ पर्याप्त बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वैक्सीन सुरक्षित नहीं है — यह सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि बहुत कम लोग अपने बच्चों को टीका लगवाते हैं।
जब अधिकांश बच्चों का टीकाकरण हो जाता है, तब यह समस्या खत्म हो जाती है। नवीनतम टीके और बेहतर निगरानी प्रणाली इसकी रोकथाम में मदद कर रही हैं। टीकाकरण जल्दी बंद करना पोलियो के फिर से होने का मुख्य कारण बन सकता है।
भारत की पोलियो-मुक्त सफलता से अन्य देशों को क्या सीख मिलती है?
भारत कभी दुनिया के उन देशों में से एक था जहाँ पोलियो के सबसे ज्यादा मामले थे। लेकिन बड़े “पल्स पोलियो” अभियान, मशहूर हस्तियों के सहयोग और सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत के कारण भारत 2014 में पोलियो-मुक्त घोषित हुआ।
भारत की सफलता से पता चलता है कि जब सभी साथ मिलकर काम करें — डॉक्टर, माता-पिता, शिक्षक और समुदाय — तब पोलियो को रोका जा सकता है। इससे यह भी पता चलता है कि सही जानकारी फैलाकर अफवाहों को रोका जा सकता है और टीकों में भरोसा बनाया जा सकता है।
आज, भारत की यह कहानी उन देशों के लिए उम्मीद की किरण है जो अभी भी पोलियो से जूझ रहे हैं और यह सीख देती है कि इस बीमारी को हराया जा सकता है।
क्या पोलियो वायरस को पूरी तरह से खत्म किया जा सकता है?
दुनिया पोलियो को हराने के बहुत करीब है। विज्ञान से पता चलता है कि ऐसा करना संभव है — जैसे चेचक (smallpox) को खत्म किया गया था। लेकिन सिर्फ़ विज्ञान ही काफी नहीं है; लोगों को साथ मिलकर काम करना होगा।
जब तक पोलियो वाले देशों में संघर्ष, कम भरोसा या कम टीकाकरण रहता है, तब वायरस बच सकता है। भारत के लिए यह ज़रूरी है कि हम सतर्क रहें, बच्चों का टीकाकरण पूरा करें और इन बीमारियों के बारे में जागरूकता फैलाएँ।
पोलियो अब शायद भारतीय बच्चों को शिकार नहीं बनाता है, लेकिन हमारी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हर बच्चे की सुरक्षा करना, वैश्विक टीकाकरण में मदद करना और एक-दूसरे से सीखना ही पोलियो को पूरी तरह से खत्म करने के लिए महत्वपूर्ण है।
Disclaimer: Medical Science is an ever evolving field. We strive to keep this page updated. In case you notice any discrepancy in the content, please inform us at [email protected]. You can futher read our Correction Policy here. Never disregard professional medical advice or delay seeking medical treatment because of something you have read on or accessed through this website or it's social media channels. Read our Full Disclaimer Here for further information.

