असुरक्षित गर्भपात व उससे जुड़ी कुछ समस्याएं

मां बनना अधिकांश महिलाओं का सपना होता है लेकिन बिना सही जानकारी के उठाया गया कदम महिलाओं के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर देता है। पढ़िए इसी विषय में यह आलेख..

Last Updated on अगस्त 3, 2022 by Neelam Singh

अधिकांश महिला मां बनने के बाद खुद के अस्तित्व को पूर्ण मानती है लेकिन ऐसा जरुरी नहीं होता कि हर महिला के लिए गर्भधारण के बाद नौ महीने का सफर आसान हो। कई ऐसे मामले भी देखे जाते हैं जहाँ स्वस्थ बच्चे का जन्म नहीं अपितु गर्भपात ही एकमात्र उपाय होता है।

अगर गर्भधारण करने के बाद भी महिला मां नहीं बन पाती है, उस परिस्थिति में दो बातें संभंव होती हैं। पहला – गर्भपात करा दिया गया है या किसी कारणवश गर्भपात हो गया है लेकिन इन दोनों ही प्रक्रिया में एक बात समान है, जिसे मेडिकल की भाषा में D&C कहा जाता है अर्थात Dilation और curettage. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें गर्भाशय (Uterus) के अंदरुनी भाग मतलब एंडोमेट्रियम की परत की सफाई की जाती है।  

इसमें डॉक्टर मेडिकल औजारों की मदद से D&C की प्रक्रिया को करते हैं लेकिन यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे बिना डॉक्टरी परामर्श या बिना किसी अच्छे विशेषज्ञ से करवाना जान को जोखिम में डालने के बराबर होता है क्योंकि ये औजार काफी नुकीले होते हैं व गर्भाशय की आंतरिक परत बेहद कोमल होती है जिससे गर्भाशय के अंदर जख्म होने की अधिक संभावना होती है। लेकिन आज भी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में व शहरों में लोक लाज के भय से महिलाएं अस्पताल में न जाकर छोटे क्लिनिक्स पर जाती हैं जहाँ कई जगहों पर बिना अच्छे और जानकार एक्सपर्ट के D&C की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है, जिस कारण महिलाएं ताउम्र दर्द से परेशान रहती हैं। 

कब पड़ती है D&C की जरुरत 

गर्भपात के बाद गर्भाशय के अंदरुनी भाग में बचे अवशेषों को हटाने के लिए, गर्भाशय में विकसित होने वाले ट्युमर को हटाने के लिए, डिलीवरी के बाद प्सासेंटा के अवशेष गर्भाशय में रह जाने पर उस बचे हुए अवशेष को हटाने के लिए, गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय में पनप रहे कैंसर रहित पोलिप को हटाने के लिए D&C की जरुरत होती है । वहीं कभी-कभी D&C के साथ ही hysteroscopy की प्रक्रिया भी की जाती है।

जानें कब D&C होती है खतरनाक 

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डॉ. कुलदीप कौर बताती हैं कि बिना एक्सपर्ट के D&C कराने पर गर्भाशय में छेद हो जाता है। हालांकि कभी-कभी ये घाव आसानी से भर जाते हैं लेकिन अधिकांश केसों में ऐसा देखने को नहीं मिलता और महिला को दोबारा D&C से गुजरना पड़ता है। इसमें भी उन महिलाओं को खतरा ज्यादा होता है जो हाल ही में गर्भवती हुई हो या जिनका मेनोपॉज हुआ हो। 

गर्भाशय ग्रीवा (cervix) को नुकसान पहुंचना भी एक बेहद गंभीर स्थिति है, जिसमें चोट लगने पर रक्तस्त्राव बढ़ जाता है। जिसे ठीक करने के लिए दवाई या स्टिचिंग की प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है। इसके अलावा असुरक्षित D&C करवाने के बाद Asherman’s syndrome का खतरा भी बढ़ जाताहै। अधिकांशतः ये डिलीवरी या मिसकैरेज के बाद D&C करवाने के बाद होता है। ऐसी स्थिति में मरीज को माहवारी के समय अत्याधिक दर्द होता है या माहवारी होती ही नहीं है। इसके अलावा मरीज को भविष्य में गर्भपात या इनफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है। 

जागरुकता के अभाव में पीसती महिलाएं

United Nations Population Fund (UNFPA)’s State of the World Population 2022 द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में होने वाले 67 प्रतिशत अबोर्शन असुरक्षित हैं, जिस कारण प्रतिदिन 8 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। साथ ही रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि 15-19 वर्ष की लड़कियों में असुरक्षित अबोर्शन का खतरा सबसे ज्यादा है। एनएफएचएस के पांचवें सर्वेक्षण की रिपोर्ट से सामने आया है कि 15-19 आयु की लड़कियों में से कुल 1000 में से 43 लड़कियां कम आयु में मां बन जाती है, जिससे उनकी जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा अधिकांश लड़कियां जो कम आयु में मां बन जाती हैं, वे समाज के डर या लोकलाज के कारण D&C गलत जगह या बिना किसी विशेषज्ञ के करवा लेती हैं, जिस कारण बाद में उन्हें बहुत तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। 

जब D&C ने बढ़ाई इनकी दिक्कत 

19 वर्षीय अंवतिका (बदला हुआ नाम) ने कहा, मेरी शादी 18 साल की उम्र में हो गई थी लेकिन कमजोरी के कारण गर्भपात हो गया, जिसके बाद  D&C कराना पड़ा लेकिन उसके बाद तो तकलीफ और बढ़ गई। उसके बाद माहवारी के समय भी असहनीय दर्द होने लगा, जिस कारण इंजेक्शन या दवाई लेनी पड़ती थी। इसके साथ दोबारा गर्भधारण करने में भी दिक्कत आ रही थी। इन सब परेशानियों के बाद फिर डॉक्टर को दिखाया तब पता चला कि गलत तरीके से D&C होने के कारण अंदरुनी हिस्से में घाव हो गए हैं। उसके बाद इलाज चला और दोबारा D&C से गुजरना पड़ा। हालांकि अभी स्थिति सामान्य है मगर D&C अगर पहले ही सही तरीके से हो जाती, तो शायद इतना दर्द और परेशानी नहीं उठानी पड़ती। 

इसके अलावा ग्रामीण इलाके की रहने वाली ललिता देवी (बदला हुआ नाम) ने बताया कि मेरी बहू जब पहली बार मां बनी तब पैसों के अभाव में अस्पताल न जाकर गांव की दाई से ही डिलीवरी करवा दी। बाद में बहू को अक्सर बहुत दर्द उठता था जिससे शहर जाकर डॉक्टर को दिखवाना पड़ा और तब पता चला गर्भाशय में गन्दगी है। वो यह नहीं जानती थी कि विशेषज्ञ के अभाव में इतनी समस्या हो सकती है।

भारतीय परिवार नियोजन संघ की महासचिव डॉ. कल्पना आप्टे कहती हैं कि सही समय पर शादी का शाब्दिक अर्थ है जब लड़की शारीरिक एवं मानसिक तौर पर तैयार हो क्योंकि स्वास्थ्य के प्रति सही जानकारी होने पर मातृ मृत्यु दर को कम किया जा सकता है। साथ ही बढ़ती जनसंख्या को भी नियंत्रित किया जा सकता है। करीब 10 प्रतिशत महिलाएं गर्भवती नहीं होना चाहती लेकिन वे कंडोम या अन्य गर्भनिरोधक के बारे में या तो जानती नहीं हैं या इस्तेमाल करने में असक्षम होती हैं। करीब 21 प्रतिशत गर्भ बिना किसी नियोजन के होते हैं। 

प्रतिज्ञा कैंपन करेगा आपकी मदद 

हर महिला को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार है। इसके लिए प्रतिज्ञा कैंपन नामक एक संगठन कार्यरत है, जिसका उद्देश्य हर एक महिला को सुरक्षित गर्भपात के विषय में जागरूक करना है। प्रतिज्ञा कैंपन की वेबसाइट पर केवल अपना पिनकोड डालकर और अपना वेरिफिकेशन करवाकर आप अपने आसपास के सुरक्षित गर्भपात प्रदाताओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। खुशी की बात यह है कि यह सुविधा बिल्कुल गोपनीय और फ्री है। इस कैंपेन से वे ही डॉक्टर्स जुड़े होते हैं जिन्हें Medical Termination of Pregnancy (MTP) Act, 1971 द्वारा मान्यता प्राप्त है।

एक बेहतर समाज के लिए विद्यालयों में आवश्यक सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा देना व बच्चों को जागरुक करना भी जरुरी है। D&C भले ही एक सामान्य प्रक्रिया लग सकती है लेकिन गलत तरीके से D&C कराने पर परेशानियां गंभीर रुप ले सकती हैं। कम उम्र में या बिना शादी के गर्भवती हो जाना फिर समाज के डर से गर्भपात करा लेना भी भविष्य में कई तरह की शारीरिक परेशानियों को निमंत्रण दे सकता है। इतना ही नहीं कम उम्र में शादी और बच्चों के हो जाने से भी महिलाएं कमजोर हो जाती हैं, जिससे शरीर भी दर्द बर्दाशत नहीं कर पाता। 

महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होना होगा। इसके लिए बेहतर है कि हर एक परिवार अपनी बेटियों को शिक्षित करे ताकि वे अपने स्वास्थ्य के बारे में सोचें और बिना किसी हिचकिचाहट या डर के अपने निर्णय ले सकें।  

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