‘हनुमान’ द्वारा बचायी जा रही है आपातकालीन स्थिति में लोगों की जान

आपातकालीन व्यवस्था का दुरुस्त होना बेहद जरुरी होता है क्योंकि इससे ही वक्त रहते किसी की जान बचाई जा सकती है। चेंजमेकर्स की कड़ी में जानिए ऐसी ही एक आपातकालीन सेवा के बारे में...

Last Updated on अगस्त 3, 2022 by Neelam Singh

बिहार की राजधानी पटना के युवा डॉ. नीरज झा ने अपने दोस्त संतोष के साथ मिलकर दो लाख की पूंजी के साथ जुलाई 2020 में एक स्टार्टअप ‘हनुमान’ (Medicvisor Pvt Ltd) की नींव रखी थी, जिसके तहत एंबुलेंस बुक करने के लिए टोल-फ्री नंबर जारी किया गया था। हनुमान शुरू करने से पहले डॉ. नीरज अस्पताल प्रबंधन सलाहकार (hospital management consultant) के रूप में काम कर रहे थे जबकि संतोष client relations and marketing communications के क्षेत्र में कार्य करते थे। वहां काम करने के दौरान ही उन्हें पता चला कि कैसे घटना-दुर्घटना में देर से एंबुलेंस सेवा पहुंचने पर डॉक्टरों के लिए भी मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता था। ‘अगर समय पर ले आते तो जान बच जाती’ ऐसे वाक्य कई बार उनके कानों से टकराते थे। यही से उन्हें एंबुलेंस सेवा को बेहतर करने का आइडिया आया।

कैसे साकार हुआ सपना

डॉ. नीरज बताते हैं, “साल 2020 में ही हमें एहसास हो गया कि केवल टोल-फ्री नंबर द्वारा लोगों की जरुरतों को पूरा करना थोड़ा मुश्किल है फिर अगस्त में ही ‘हनुमान केयर‘ एप को लांच किया गया। इसे गुगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। साथ ही वेबसाइट के जरिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। फिलहाल ये एप एंड्रायड फोन्स के लिए ही उपलब्ध है। हनुमान एप पर लोग एंबुलेंस को बुक कर सकते हैं, जो 15-30 मिनट में घरों तक पहुंच जाती है।” फिलहाल 350 से ज्यादा एंबुलेंस को एप में शामिल किया गया है, जो बिहार के 22 जिलों में सेवा प्रदान कर रही हैं। ‘हनुमान एप’ से शहरी क्षेत्र में 15 मिनट तथा ग्रामीण इलाकों में आधे घंटे के अंदर एंबुलेंस सेवा मुहैया करा दी जाती है।” 

डॉ. नीरज झा और संतोष ने अपनी इस यात्रा की शुरुआत लगभग एक दर्जन युवा कर्मियों के साथ की थी और वर्तमान में वे 50 स्थायी तथा 200 अस्थायी युवाओं को रोज़गार दे रहे हैं। वे सभी चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न केंद्र बिंदुओं से जुड़े हुए हैं। चंद्रगुप्त प्रबंधन संस्थान, पटना (सीआइएमपी) इंक्यूबेशन सेंटर की मदद से महज दो वर्षों में ही इस एप सेवा ने लगभग चार करोड़ का टर्नओवर हासिल कर लिया है।

लोगों के फोन में आया हनुमान

कोरोना काल के समय हनुमान एंबुलेंस सेवा काफी चर्चा में थी। डॉ. नीरज बताते हैं कि, “उस वक्त मैंने और संतोष ने एंबुलेंस की मदद से लोगों तक पीपीई किट तक पहुंचाने का काम किया था। उसके बाद जरुरतों को देखते हुए ई-रिक्शा एंबुलेंस कॉम्बो की शुरुआत की, जिसमें ऑक्सीजन की सुविधा भी मौजूद थी। इसके तहत हमने 3000 लोगों तक सुविधाएं पहुंचाई जिनमें से 700 केवल कोविड से संबंधित थे। उस दौरान पटना में केवल 10 किलोमीटर की दूरी के लिए अन्य एंबुलेंस सेवाओं द्वारा 20,000 रुपये चार्ज किए जा रहे थे, जिसने ‘हनुमान’ एप को शुरु करने का एक सबसे बड़ा कारण दे दिया।”  

नीरज आगे बताते हैं, “अपातकालीन सेवा के तहत 24 घंटे सुविधा उपलब्ध रहती है, जिसके तहत एबुलेंस, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ पहुंचते हैं। वहीं घर में बीमार व्यक्ति के लिए सुई या दवाएं भी अपातकालीन स्थिति में पहुंचाई जाती हैं। घर पर ही नर्सिंग सेवा एवं आईसीयू की सेवा भी दी जाती है, जिसके लिए प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ उपलब्ध रहते हैं, जबकि डॉक्टर्स ऑनलाइन माध्यम से मरीजों को नियमित अंतराल पर देखते रहते हैं।” 

मंजिलें और भी हैं

‘हनुमान’ एप को अप्रैल 2021 में करेकेबा वेंचर्स से अनुदान मिला है, जिसके तहत वे दिल्ली, मुंबई, झारखंड और बिहार के अन्य हिस्सों में भी हनुमान को पहुंचाना चाहते हैं। हनुमान नाम रखने के पीछे के कारण के बारे में नीरज कहते हैं कि, “पौराणिक कथाओं में राम के लिए हनुमान ने संजीवनी बूटी लाकर रक्षा की थी। यहां भी हनुमान का मतलब help (H), accessibility (A), need (N), utility (U), and mankind (Man) है। साथ ही हम चार सिद्धांतों पर काम करते हैं, Available, Accessible, Reliable और Transparent. हमारा आगे का प्लान ‘हनुमान’ को घरेलू स्वास्थ्य क्षेत्र में विकसित करना है। जैसे – आंखों की जांच, इंसुलिन चेकअप, आदि।”

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