सावधान! अखबार पर खाना परोसना हो सकता है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

आज के समय में बात घर की करें या चौक चौराहों पर खाना या फ़ास्टफ़ूड बेचने वाली दुकानों की, सभी अखबार या किताबों के पुराने पन्नों में खाने की चीजों को लपेट कर देना सबसे आसान काम समझते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, इसके पीछे की कड़वी सच्चाई..?

food in paper

हल्की-हल्की बारिश की फुहार पड़ रही थी और सामने एक भुजिया बेचने वाला अपनी स्टॉल लगाए भुजिया बेच रहा था। इस सुहाने मौसम में कार्तिक और निधि का मन भी भुजिया खाने का हुआ। दोनों ही दौड़ कर स्टॉल पर पहुंचे और भुजिया लेकर वापस आ गए। लेकिन ये क्या! उनकी उंगलियों में तो रंग लगा हुआ था। कुछ देर ध्यान देने के बाद दोनों को सब कुछ समझ आ गया। यह रंग कहीं बाहर से नहीं बल्कि जिस अखबार के टुकड़े में वह भुजिया खा रहे थे उसमें छपी हुई स्याही अब उनकी उंगलियों में लग रही थी।

दोस्तों यह तो एक काल्पनिक घटना है, लेकिन दिनभर में न जानें ये घटना हमारे साथ कितने बार घटित होती है। आज के समय में किसी भी गली, चौक-चौराहे पर ऐसे ठेले आसानी से दिख जाएंगे, जो अखबार पर समोसा, लिट्टी, बड़ा पाव, भुजिया या कोई अन्य आसानी से खाया जाने वाला स्नैक्स बेचते हैं। अखबार ना केवल सस्ता पड़ता है बल्कि आसानी से उपलब्ध भी हो जाता है। सबसे आम किस्सा हमारे बचपन से भी जुड़ा हो सकता है, जब लंच बॉक्स में रखे पराठा या रोटी को मां अखबार में लपेट देती थी। अधिकांश बार उस अखबार में तेल या रोटी में अखबार की इंक तक छप जाती थी। 

अखबार पर खाना, मतलब सेहत से खिलवाड़   

Food Safety and Standards (Packaging) Regulations, 2018 (खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) विनियम, 2018) के अनुसार भोजन को संग्रहीत करने और लपेटने के लिए समाचार पत्रों या इसी तरह की सामग्री का उपयोग करना सख्त मना है। विभाग की रिपोर्ट के अनुसार समाचार पत्रों का उपयोग भोजन को लपेटने, ढकने या परोसने या तले हुए भोजन से अतिरिक्त तेल को सुखाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। 

अखबारों में इस्तेमाल होने वाली स्याही में विभिन्न जैव सक्रिय पदार्थ होते हैं, जिनका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये पदार्थ भोजन को दूषित करते हैं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न करते हैं। इसके अलावा, प्रिंटिंग स्याही में लेड और भारी धातुओं सहित अन्य रसायन हो सकते हैं, जो आपके उस अखबार के टुकड़े में रखे हुए खाने की सामग्री में मिल जाते हैं, जिससे समय के साथ गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो सकता है।

FSSAI के CEO जी कमला वर्धना राव ने एक बयान में कहा कि समाचार पत्रों का उपयोग भोजन को लपेटने या पैकेजिंग के लिए करने से गंभीर स्वास्थ्य जोखिम होते हैं। उन्होंने सभी खाद्य विक्रेताओं से जिम्मेदार तरीकों को अपनाने का आग्रह किया जो ग्राहकों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर ना डालते हों, बल्कि ग्राहकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हों।

छोटी सी असावधानी बन सकती है बड़ी समस्या

अखबार (News Paper) पर खाना परोसना या अखबार पर स्नैक्स खाना आदि सेहत के लिए कई कारणों से हानिकारक हो सकते हैं, जिनमें से कुछ कारण निम्न हैं: 

  • रासायनिक तौर पर दूषित: अखबारों में इस्तेमाल होने वाली स्याही में हानिकारक रसायन होते हैं जैसे- सीसा, कैडमियम और पारा आदि। यह स्याही अखबार में रखे हुए खाद्य पदार्थों चिपक कर शरीर में पहुंच जाती है। ये रसायन विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं, जिनमें पाचन संबंधी समस्याएं, तंत्रिका संबंधी क्षति और कैंसर शामिल हैं।
  • बैक्टीरियल तौर पर दूषित: अखबारों में हानिकारक बैक्टीरिया भी हो सकते हैं, जैसे कि साल्मोनेला और ई कोलाई, जो खाद्य विषाक्तता का कारण बनते हैं। यह विशेष रूप से इस्तेमाल किए गए अखबारों के मामले में एक बड़ा सच है, जो गंदगी और अन्य मलबे से भी दूषित हो सकते हैं। 
  • संक्रमण की समस्या: कुछ लोगों को अखबारों में इस्तेमाल होने वाली स्याही या अन्य रसायनों से संक्रमण की समस्या हो सकती है। जैसे- सूजन, सांस लेने में तकलीफ इत्यादि।

जागरूकता की कमी से बढ़ा प्रयोग  

इन्हीं सब बिंदूओं को देखकर यह समझना जरूरी है कि अखबारों पर भोजन करने या परोसने से बचना चाहिए। बेहतर है कि भोजन के लिए घर के बरतनों का इस्तेमाल किया जाए, जो स्वच्छ और सुरक्षित होते हैं। चौक-चौराहों या गली में मिलने वाले खाद्य पदार्थों से बचने के लिए भी जागरुकता जरूरी है, जो केवल एक तरफा ना होकर दोनों तरफ से हो। इसमें बेचने वाला और खरीदने वाला दोनों ही शामिल हैं। 

समोसा का ठेला लगाने वाले पवन ने बताया, “अखबार का जुगाड़ करना आसान होता है। हम कुछ घरों से बातचीत कर लेते हैं, जिनके यहां से हर महीने अखबार खरीदते हैं। यह काफी आसान और सस्ता तरीका है लेकिन अखबार के कारण होने वाली परेशानियों के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।”

साफ और स्वच्छ हो भोजन

इन स्वास्थ्य जोखिमों के अलावा अखबार पर खाना परोसना भी गलत होता है, क्योंकि इससे भोजन का स्वाद तो खराब होता ही है साथ ही कई तरह के हानिकारक तत्व शरीर में इनकी सहायता से पहुंच जाते हैं, जो कई तरह की बीमारियों का कारण भी बनते हैं। भोजन को सुरक्षित रूप से परोसने के लिए निम्नलिखित सुझाव हैं:

  • चौक-चौराहों पर स्नैक्स आदि का सेवन करने से बचें। यदि भोजन करना भी पड़े तो कोशिश करें कि अखबार पर ना करें
  • उन सतहों पर भोजन परोसने से बचें जो खाद्य-सुरक्षित नहीं हैं। जैसे – अखबार, पत्रिकाएं, इत्यादि
  • ठेला लगाकर स्नैक्स आदि बेचने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को जागरुक किया जाए। इस कार्य में सरकार की तरफ से भी जागरूकता कार्यक्रमों को चलाने के साथ प्रोत्साहन राशि भी वितरित की जा सकती है।
  • आप अपने साथ छोटी कटोरी या प्लेट भी रख सकते हैं, जिसे आसानी से कहीं ले जाया जा सके। ये ना केवल एक अच्छी आदत बन सकता है बल्कि प्रदूषण को भी कम कर सकता है।
  • खाने योग्य प्लेट का इस्तेमाल करने की आदत डालना भी स्वाथ्य के लिए बेहतर होता है। यह एक प्रकार की डिस्पोजेबल प्लेट होती है, जो खाद्य सामग्री से बनाई जाती है। इसका मतलब है कि उपयोग के बाद प्लेट को खाया जा सकता है, जिससे अपशिष्ट कम होता है और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी सहायक होती है। 

जानिये क्या कहते हैं डॉक्टर?

General Physician Dr Kahsyap Dakshini

जनरल फिजिशियन डॉ. कश्यप दक्षिणी बताते हैं, भारतीय खाद्य एवं सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने भी खाद्य पदार्थों को रखने के लिए अखबारों के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी जारी की है। अखबारों में भोजन रखने से कई जटिलताएं हो सकती हैं क्योंकि इससे स्याही का रंग, रंगद्रव्य, संरक्षक, सीसा, भारी धातुएं और बायोएक्टिव सामग्री युक्त रसायन शामिल हो सकते हैं, जिनका सेवन करने से पाचन संबंधित समस्याएं और कैंसर भी हो सकता है, साथ ही अखबार बैक्टीरिया, वायरस या अन्य रोगजनकों से दूषित भी हो सकते हैं, जो संक्रमण को बढ़ा सकते हैं।” 

Dietician Priyamwada Dixit

चीफ डायटिशियन एवं डायबिटीज प्रशिक्षक डॉ. प्रियंवदा दीक्षित (Food for Heal, Agra) बताती हैं, “ना केवल स्ट्रीट फूड्स के लिए बल्कि घरों में भी हल्के-फुल्के स्नैक्स परोसने के लिए अखबार सबसे आम साधन होता है। ये लोगों के घरों में टेबल, शेल्फ, बेड कहीं पर भी आसानी से मिल जाते हैं और तो और इन्हें धोना भी नहीं पड़ता है। बस इस्तेमाल किया और फेंक दिया लेकिन गर्मा-गर्म, तला-भूना भोजन अखबार पर रखना हानिकारक होता है क्योंकि तेल इंक को सोख लेता है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।” 

वे आगे बताती हैं कि वहीं कई बार लोग सूखी चीजें भी अखबारों पर रख कर खा लेते हैं, लेकिन इससे भी हमको बचना चाहिए। बच्चों का टिफिन पैक करते वक्त ये बातें ध्यान रखनी चाहिए कि उसे अखबार में ना लपेटा जाए क्योंकि टिफिन में पैक खाना लंबे वक्त तक बंद रहता है, जिससे अखबार का इंक भोजन के अंदर तक प्रवेश कर जाता है। ये कई बीमारियों का कारण भी बन सकता है, जैसे- रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना, पाचन संबंधित समस्याएं, फूड पॉइजनिंग, आदि। 

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