Janitri का लक्ष्य है मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना

तकनीक और स्वास्थ्य के जरिए कई परेशानियों को हल किया जा सकता है। चेंजमेकर्स की इस कड़ी में पढ़िए अरुण अग्रवाल की कहानी, जिन्होंने तकनीक व आविष्कार के प्रयोग से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की कोशिश की है..

Last Updated on अप्रैल 13, 2023 by Neelam Singh

मेडिकल क्षेत्र में लगातार हो रही तरक्की के बावजूद भी मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में बहुत सामान्य सुधार हुआ है। साल 2016 से 18 की तुलना में 2017 से 19 के बीच देश के मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) में 8.9% की गिरावट दर्ज की गई है, जिसके बाद भारत विश्व में एमएमआर स्तर की 103 वीं पायदान पर पहुंच गया है।

मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को चुनौती के रुप में स्वीकार करते हुए सरकार ने 12 अप्रैल 2005 में जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत की। इसके तहत प्रसव होने के बाद महिला के बैंक खाते में 6000 रुपये दिए जाते हैं। 1 जनवरी 2017 को शुरू हुई मातृत्व वंदना योजना के तहत मजदूरी करने वाली महिलाओं को गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान उनके उचित आराम और पोषण को सुनिश्चित करना उद्देश्य है।  

शोध के बाद जन्मी Janitri 

साल 2015  में बेंगलुरु के रहने वाले अरुण अग्रवाल ने भी मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए कुछ अलग करने का निर्णय लिया। अरुण मूलतः अलवर, राजस्थान के रहने वाले हैं, जहां उन्होंने बचपन से ही महिला व नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं की चुनौतियों के बारे में सुना और देखा। 12वीं पूरी करने के बाद उनका नामांकन VIT, Vellore में इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांच में हुआ, जहां उन्हें एहसास हुआ कि तकनीक की मदद से स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों को कम किया जा सकता है। 

BTech की पढ़ाई पूरी करने के बाद इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए अरुण ने बायोमेडिकल इंजीनियरिंग से अपना मास्टर्स करने का निर्णय लिया। मास्टर्स करने के बाद उन्होंने इस विषय पर काफी शोध किया, 100 से भी ज़्यादा अस्पतालों में गए और क़रीब से वहां की समस्यों को समझा। उन्होंने साल 2016 में Janitri की नींव रखी और काम करना शुरू कर दिया।  

फंडिंग रही एक अहम चुनौती

Arun

Janitri के फाउंडर एवं सीईओ अरुण अग्रवाल बताते हैं, हालांकि किसी भी नई तकनीक को बनाने के लिए फंड की जरूरत होती है लेकिन मेडिकल डिवाइस को बनाने के लिए और अधिक होती है, इसलिए उन्होंने विभिन्न सरकारी और गैर-सरकार ग्रांट्स के लिए अप्लाई करना शुरू किया। फंडिंग मिलने के बाद एप और डिवाइस को बनाने के लिए अपनी टीम तैयार की लेकिन इसके साथ और भी कई चीजों की जरूरत पड़ती है।

Janitri को शुरू करने के दौरान फंडिंग के अलावा और भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लोगों को किसी नई तकनीक को इस्तेमाल करने और उस पर विश्वास करने के लिए तैयार करना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। Janitri एक मेडिकल डिवाइस बना रहा था, इसलिए उन्होंने कुछ अस्पतालों के साथ बातचीत करके वहां ट्रायल शुरू किए।

अस्पतालों एवं मांओं के लिए उत्पाद 

Janitri अस्पताल एवं मांओं के लिए विभिन्न तरह के उपकरण उपलब्ध कराता है जैसे अस्पतालों के लिए Keyar CM, Keyar DT और Janitri for Hospital  (प्रेगनेंसी मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर)। Keyar CM बेल्ट रहित एक पैच है, जो Janitri for Hospital एप से जुड़ा होता है, जो डिलीवरी के समय माँ व गर्भ में पल रहे बच्चे को मॉनिटर करता है।

केयर मिनी मांओं के लिए घर पर इस्तेमाल करने के लिए एक पॉकेट साइज डिवाइस है, जिसके जरिए बच्चे की हृदय गति को मोबाइल एप के जरिए ना केवल आसानी से मॉनिटर किया जा सकता है बल्कि उसे सुना भी जा सकता है। केयर डिटी लाइट उन मांओं के लिए है जिनकी गर्भावस्था जोखिम भरी है। वहीं मदर्स एप के जरिए बच्चे की हर एक गतिविधि को देखा जा सकता है। 

ग्रामीण हिस्सों तक पहुंचना लक्ष्य

अब Janitri 250 से ज्यादा अस्पतालों तक पहुंच चुकी है, जिसमें ना केवल भारत बल्कि केन्या, ब्राजील भी शामिल हैं। Janitri की डिवाइसेज़ का इस्तेमाल 60,000 महिलाओं के लिए किया जा चुका है । साथ ही 1000 से ज्यादा आशा कार्यकर्ता, स्त्री रोग विशेषज्ञों आदि को Janitri इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इससे ग्रामीण हिस्सों और दूर कस्बों तक सही मॉनिटरिंग और चिकित्सीय परामर्श की पहुंच सुनिश्चित होगी, जो की आज भी एक बड़ी चुनौती है। Janitri  का लक्ष्य एक ऐसी दुनिया तैयार करने का है, जहां गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव के बाद किसी भी मां या बच्चे की मृत्यु नहीं हो। 

चिकित्सक मोबाइल पर LIVE देख सकते हैं रिपोर्ट  

सिलिकॉन और प्लास्टिक से बने केयर पैच को गर्भवती महिला के पेट पर लगाया जा सकता है। यह बच्चे की हृदय गति, मां की हृदय गति, लेबर कॉन्ट्रेक्शन और बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखता है। आप इसे Janitri की वेबसाइट से खरीद सकते हैं। केयर पैच दक्ष एप से जुड़ता है, जो एक मोबाइल एप्लिकेशन है और यह किसी भी एंड्रॉयड सपोर्ट मोबाइल या टैबलेट पर चल सकता है। इसके जरिए दूर बैठे चिकित्सक भी गर्भवती महिला और बच्चे की सेहत को आसानी से मॉनिटर कर सकते हैं और ऑनलाइन रिपोर्ट भी ले सकते हैं। 

अरुण अग्रवाल का कहना है कि केयर पैच और दक्ष एप से अंतिम तिमाही (ट्राइमेस्टर) और लेबर के दौरान समय पर मॉनिटरिंग से 80% महिलाओं और नवजात शिशुओं को बचाने में मदद मिल सकती है। शार्क टैंक इंडिया के दूसरे सीजन में अरुण ने Janitri का प्रतिनिधित्व किया और 2.5% इक्विटी के लिए 1 करोड़ की फंडिंग भी प्राप्त की है।

Janitri सोशल मीडिया पर भी मौजूद है। ट्विटर, इंस्टाग्राम और युट्युब पर आप Janitri से संपर्क कर सकते हैं।

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