किसी भी वयस्क के लिए यह जानना काफी उलझन और डरावन लग सकता है कि उसे टाइप 1 मधुमेह है। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि यह मधुमेह केवल बच्चों को होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। चूंकि, यह समस्या बच्चों के साथ-साथ व्यस्कों को भी हो सकती है इसलिए इसकी संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है।
वयस्कों में टाइप 1 मधुमेह को अक्सर टाइप 2 क्यों समझ लिया जाता है?
अगर किसी व्यक्ति की आयु 30 साल से अधिक है और उसे हाल ही में मधुमेह से ग्रस्त होने का पता चलता है, तो डॉक्टर अक्सर मान लेते हैं कि यह टाइप 2 मधुमेह है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वयस्कों में टाइप 1 मधुमेह कम होता है और कई बार डॉक्टरों को भी इसकी उम्मीद नहीं होती है। इसकी वजह से सही इलाज में देरी हो सकती है।
टाइप 2 मधुमेह आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होता है, जिसे सही खान-पान और दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। वहीं, टाइप 1 मधुमेह में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) गलती से पैंक्रियास की उन कोशिकाओं पर हमला कर देती है जो इंसुलिन बनाती हैं। इससे शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है और इंसुलिन का प्रयोग तुरंत शुरू करने की आवश्यकता होती है।
डॉक्टर टाइप 1 मधुमेह की पुष्टि कुछ खास ब्लड टेस्ट से कर सकते हैं, जैसे ऑटोएंटीबॉडी टेस्ट (Autoantibody test) से पता चलता है कि क्या इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर रहा है। सी-पेप्टाइड टेस्ट (C-peptide test) से पता चलता है कि शरीर अभी कितना इंसुलिन बना पा रहा है। दुर्भाग्य से, हर डॉक्टर ये टेस्ट तुरंत नहीं करवाता।
सही पहचान करना आवश्यक है क्योंकि अगर मधुमेह के प्रकार को गलत समझ लिया गया, तो ब्लड शुगर खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है और जटिलताएँ हो सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति वयस्क है और उसकी शुगर दवाओं व स्वस्थ जीवनशैली के बावजूद नियंत्रित नहीं हो रही है, तो डॉक्टर से ‘लेट-ऑनसेट टाइप 1 मधुमेह’ की जांच कराने के बारे में बात करनी चाहिए।
वयस्कों में टाइप 1 मधुमेह का रोज़मर्रा की ज़िंदगी और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
किसी वयस्क को टाइप 1 मधुमेह से ग्रस्ति होने का पता चलता है, तो यह भावनात्मक रूप से बहुत कठिन हो सकता है। इस स्थिति में वह हैरान, नाराज़ या खुद को दोषी महसूस कर सकता है। कुछ लोगों को लगता है कि इंसुलिन लेने का अर्थ उन्होंने अपनी सेहत का ठीक से ध्यान नहीं रखा — लेकिन यह सच नहीं है। टाइप 1 मधुमेह इसलिए होता है क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) गलती से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है। यह जीवनशैली की वजह से नहीं होती और इसमें व्यक्ति की कोई गलती नहीं है।

डॉ. आयुष चंद्रा, डायबेटोलॉजिस्ट और योग ट्रेनर बताते हैं, “वरिष्ठ नागरिकों में कई बार डॉक्टर टाइप 1 मधुमेह को टाइप 2 समझ लेते हैं। यह गलती गंभीर हो सकती है — इससे ब्लड शुगर बहुत बढ़ सकता है, शुगर नियंत्रण बिगड़ सकता है और मधुमेह संबंधी अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। वयस्कों में टाइप 1 मधुमेह अक्सर धीरे-धीरे विकसित होता है, जबकि बच्चों में यह अचानक शुरू होती है। इसके शुरुआती लक्षण तुरंत नज़र नहीं आते हैं, जिसकी वजह से इसकी सही पहचान नहीं हो पाती है। टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह में अंतर समझने के लिए डॉक्टर कुछ खास टेस्ट कर सकते हैं: एंटी-GAD एंटीबॉडी टेस्ट: इससे पता चलता है कि क्या इम्यून सिस्टम इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर रहा है। सी-पेप्टाइड टेस्ट: इससे पता चलता है कि शरीर अभी कितना इंसुलिन बना पा रहा है। अगर ये टेस्ट नहीं किए जाते और इलाज गलत हो जाता है, तो ब्लड शुगर बहुत बढ़ सकता है और डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (DKA) जैसी गंभीर, जानलेवा स्थिति दोबारा हो सकती है।”
टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित व्यस्कों को इंसुलिन और आधुनिक उपकरणों के बारे में क्या जानना चाहिए?
टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित व्यस्कों के लिए इंसुलिन लेना आवश्यक है। लेकिन इंसुलिन का प्रयोग डरावना या भारी महसूस नहीं होना चाहिए। आज कई ऐसे उपकरण हैं जो मधुमेह को प्रबंधित में लाभदायक होते हैं:
- इंसुलिन पेन: इसका प्रयोग आसानी से किया जा सकता है।
- कंटिन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर (CGM): यह ब्लड शुगर को रियल टाइम में दर्शाता है।
- इंसुलिन पंप: यह खुद इंसुलिन देता है इसलिए रोज़ाना इंजेक्शन लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
हालांकि, ये उपकरण महंगे लग सकते हैं, लेकिन अब कई उपकरण भारत में किफायती कीमत पर उपलब्ध हैं। कुछ अस्पताल और बीमा प्रोग्राम भी इन्हें पाने में मदद करते हैं।
वयस्कों को इंसुलिन बच्चों की तरह नहीं लेना होता है। तनाव, मासिक धर्म, बीमारी या नींद में बदलाव जैसी चीज़ें ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकती हैं। अपने डॉक्टर से यह पूछने में संकोच न करें कि इंसुलिन की खुराक कैसे ठीक करें — इससे स्थिति को प्रबंधित किया जा सकता है।
वयस्कों में टाइप 1 मधुमेह पर अक्सर बात नहीं होती, लेकिन यह सच है और वे अकेले नहीं हैं। अगर किसी व्यस्क को हाल ही में मधुमेह से ग्रस्त होने का पता चला है, तो याद रखें: सही सपोर्ट, उपकरण और देखभाल के साथ इसे प्रबंधित किया जा सकता है।
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