बिहार के ग्रामीण इलाके में रहने वाली 13 वर्षीय अंजलि स्कूल में अच्छे से पढ़ाई नहीं कर पा रही थी। उसके शिक्षक बताते हैं कि वह पढ़ाई जल्दी नहीं समझ पाती और उसकी गर्दन पर सूजन है। अंजलि का परिवार हर रोज़ नमक खाता है, फिर भी उसमें आयोडीन की कमी है। आयोडीन की कमी से बच्चों में सीखने की परेशानी, घेंघा और गर्भवती महिलाओं में जटिलताएं हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इससे मानसिक विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है।
नमक का सेवन करना ही पर्याप्त क्यों नहीं है?
भारत में आयोडीन की कमी दूर करने के लिए आयोडीन वाले नमक का प्रयोग किया जाता है। लेकिन ऐसा करना ही पर्याप्त नहीं होता है। कई जगहों की मिट्टी में आयोडीन कम होता है और लोगों का खाना भी सीमित है। चावल और गेहूं जैसे आम खाने में आयोडीन लगभग न के बराबर होता है। आयोडीन से भरपूर आहार, जैसे समुद्री भोजन (See foods) या डेयरी पदार्थ, हर जगह नहीं मिलती और महंगी होती हैं।
अधिकांश लोग पर्याप्त मात्रा में आयोडीन वाले नमक का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। इसके विभिन्न कारण हैं। उदाहरण के लिए, ग्रामीण इलाकों में यह आसानी से नहीं मिलता, कुछ परिवार इसे खरीद नहीं सकते हैं, अधिकांश लोग आयोडीन की कमी और इससे होने वाली बीमारियों की जानकारी न होना और कई बार नमक सही तरीके से नहीं रखा जाता, जिससे इसमें आयोडीन की कमी हो जाती है।
ओडीन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
आयोडीन की कमी से सिर्फ घेंघा ही नहीं होता, बल्कि मस्तिष्क और नसों पर भी असर पड़ता है। बच्चों में समझने और सीखने की क्षमता कम हो सकती है। बच्चों का मानसिक विकास धीमा हो सकता है। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, मृत शिशु जन्म या बच्चे के विकास में समस्या हो सकती है।

उत्तरी कर्नाटक में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 15% से अधिक बच्चों को गॉइटर (गर्दन में थाइरॉइड ग्रंथि का बढ़ना, जो आयोडीन की कमी से होता है) की समस्या थी। इसका अर्थ है कि राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी बच्चों में आयोडीन की कमी एक गंभीर समस्या बनी हुई है। गरिमा देव वर्मा, आहार विशेषज्ञ (Dietitian) और प्रमाणित डायबिटिक एजुकेटर (Certified Diabetic Educator), MSc फूड एंड न्यूट्रिशन, बताती हैं कि “आयोडीन की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।”
- बच्चों में सीखने की समस्या: बच्चों का मानसिक विकास सही से नहीं हो पाता है जिससे पढ़ाई, लिखाई और रोज़मर्रा के काम मुश्किल हो जाते हैं।
- गर्भावस्था में खतरा: गर्भवती महिलाओं को गर्भपात या कमजोर शिशु होने का खतरा रहता है।
- क्रेटिनिज़्म: बच्चों का शरीर और मस्तिष्क सही से नहीं बढ़ पाता है।
- थायराइड की समस्या: हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है।
- मस्तिष्क और नसों की कमजोरी: याददाश्त कमजोर हो सकती है और चलने-फिरने में दिक्कत आती है।
- फर्टिलिटी में कमी: हार्मोनल गड़बड़ी की वजह से गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
आयोडीन की कमी क्यों होती है?
ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ कई शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों में भी आयोडीन की कमी देखने को मिल सकती है, जिसका कारण थोड़ा अलग हो सकता है। जैसे – प्रसंस्कृत पदार्थों का सेवन, फास्ड फूड का सेवन इत्यादि। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित कारण हो सकते हैं-
- नमक दूर-दराज के गांवों तक नहीं पहुंच पाता है। कभी-कभी नमक के खराब या पुराने होने की वजह से उसमें आयोडीन कम हो जाता है।
- आयोडीन से भरपूर नमक थोड़ा महंगा होता है इसलिए गरीब परिवार इसे खरीद नहीं पाते हैं।
- ग्रामीण खाने में चावल, गेहूं और दालें ज्यादा होती हैं, जिसमें आयोडीन कम होता है। दूध, अंडा और मछली जैसी चीज़ें कम मिलती हैं या महंगी होती हैं।
- कुछ परिवार पारंपरिक या स्थानीय नमक पसंद करते हैं, जिसमें आयोडीन की मात्रा कम होती है।
- स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हैं इसलिए सही जानकारी और निगरानी नहीं मिल पाती है।
- कुछ जगहों की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से आयोडीन कम होता है इसलिए खेती से आयोडीन नहीं मिल पाता है।
बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक
आयोडीन की कमी दूर करने के तरीके:
- नमक की गुणवत्ता: हर पैकेट आयोडीन वाला होना चाहिए और सही तरीके से स्टोर किया जाना चाहिए।
- आहार में विविधता: दूध, अंडा और फोर्टिफाइड आटे जैसी चीज़ें शामिल करें।
- पूरक आहार (Dietary Supplements): गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चों को डॉक्टर की सलाह अनुसार आयोडीन सप्लीमेंट लिया जा सकता है।
- शिक्षा और जागरूकता: परिवारों को आयोडीन के महत्व और सही तरीके से सेवन करने के बारे में बताना आवश्यक है।
केवल नमक खाना पर्याप्त नहीं है; यह आवश्यक है कि नमक में आयोडीन हो और आहार में विविधता भी हो।
नमक सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं होता है। इसका मुख्य काम शरीर में आयोडीन की कमी पूरी करना और रक्तचाप को संतुलित रखना है। इसलिए सिर्फ नमक खाना ही काफी नहीं है, यह भी देखना आवश्यक है कि नमक में पर्याप्त आयोडीन है या नहीं। साथ ही, आप क्या और कैसे खाते हैं, यह भी समग्र स्वास्थ्य पर असर डालता है।
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