परिवार नियोजन व्यक्तियों को परिवार के आकार, दो बच्चों में अंतर और परिवार के स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने के लिए गर्भनिरोधक तरीकों के प्रयोग को बढ़ावा देता है। सरकार की तरफ से समय समय पर अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जो परिवार नियोजन के तरीकों को प्रचलित करने व जनमानस को जागरूक बनाने के लिए होते हैं।
फूड एंड ड्रग एडमिस्ट्रेशन की तरफ से ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स यानी की यानी बर्थ कंट्रोल पिल्स या गर्भनिरोधक गोलियों को पहली बार मंजूरी दिए जाने के बाद से महिलाएं इस गर्भनिरोधक के प्रति जागरुक हुई हैं। वर्तमान में आधुनिक गर्भनिरोधकों का उपयोग 2015-16 (एनएफएचएस 4) में 47.8% से बढ़कर 2019-21 (एनएफएचएस 5) में 56.5% हो गया है। इन गोलियों में हार्मोन्स मौजूद होते हैं, जो मासिक धर्म को नियंत्रित करते हैं। यहां ‘ओरल’ शब्द का अर्थ मौखित तौर पर सेवन करने से है इसलिए इन्हें ‘ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स’ कहा जाता है। ये पिल्स गोली के रूप में होते हैं, जिन्हें लेना काफी आसान होता है। इन गोलियों का सेवन चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करना सही होता है।
कंडोम जैसे गर्भनिरोधक के विपरीत, ये ओरल पिल्स STDs यानी की यौन संचारित रोगों से सुरक्षा नहीं करते हैं। गर्भनिरोधक गोलियां मुख्य रूप से दो तरह की होती हैं।
- कॉम्बिनेशन पिल्स – इन गोलियों में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन हार्मोन होते हैं। यह ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स का सबसे सामान्य प्रकार है।
- प्रोजेस्टिन ओनली पिल्स – इसे ‘मिनीपिल’ भी कहा जाता है। अगर कोई महिला स्तनपान करा रही हैं या उनके पैरों में थक्के बन रहे हैं, तो ये गोलियां बढ़िया विकल्प साबित होती हैं।
99% तक प्रभावी लेकिन सावधानी जरुरी
गर्भनिरोधक गोलियां हर महीने होने वाले ओव्यूलेशन को रोकते हैं। यह दो तरह से हो सकता है-
- यह युटरस के आंतरिक भाग के हिस्से से निकलने वाले म्युकस को गाढ़ा कर देता हैं, जिससे स्पर्म गर्भ तक नहीं पहुंच पाता है और फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया नहीं होती है।
- ये गर्भ की परत को बहुत पतला कर देता है, जिससे अगर अंडा फर्टिलाइज हुआ भी हो, तो भी वह गर्भ में नहीं ठहर पाता है।
आमतौर पर अगर इन गोलियों का इस्तेमाल सही तरीके से किया जाए, तो ये 99% तक प्रभावी होते हैं लेकिन इन गोलियों के अपने कुछ फायदे और नुकसान हैं।

डॉ. एकता सिंह, स्त्री रोग व आईवीएफ विशेषज्ञ, Cloud9 अस्पताल, नोएडा, बताती हैं, “हाल के वर्षों में अनचाहे गर्भधारण की संख्या में बहुत वृद्धि हुई है। ऐसे में यदि गर्भनिरोधक गोलियों का सही उपयोग किया जाए, तो ये अनचाहे गर्भ को रोकने में काफी कारगर होते हैं, जिससे ये किशोर और प्रजनन आयु वर्ग की युवा महिलाओं के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव डाल सकता है लेकिन गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही करना चाहिए। दरअसल कई गर्भनिरोधक गोलियां होती हैं, जिनमें अलग-अलग तरह के हार्मोन होते हैं इसलिए किसी महिला के लिए कौन सी गोली सही है, इसके बारे में चिकित्सक ही बता सकते हैं।”
यदि किसी महिला का वजन ज्यादा है, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग या मधुमेह जैसी कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो इन गोलियों का सेवन स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही करना चाहिए क्योंकि वे ही इन दवाईयों का सेवन करने के बारे में सही जानकारी दे सकते हैं। ऐसा होना आम बात है कि कई बार महिलाएं किसी कारणवश इन दवाओं का सेवन करना भूल जाती हैं या दवाईयों के सेवन का चक्र गड़बड़ा जाता है, ऐसे में वे तुरंत दूसरी गोली लें या फिर नया चक्र शुरू करें इस बारे में चिकित्सक ही बता सकते हैं।
मेडिकल हिस्ट्री जानना है अहम
डॉ. एकता सिंह आगे बताती हैं, “आजकल कई किशोर लड़कियां अनचाहे गर्भ की समस्या का सामना करती हैं। ऐसी स्थिति में गर्भनिरोधक गोलियां प्रभावी साबित हो सकती हैं लेकिन बिना किसी जानकारी के किसी भी गोली का सेवन करना स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आजकल ये गोलियां मेडिकल स्टोर पर आसानी से उपलब्ध हो गई हैं, जिससे इनकी बिक्री बढ़ी है मगर बिना चिकित्सक से परामर्श लिए इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है क्योंकि इन गोलियों का सेवन करने से पहले चिकित्सक को मेडिकल हिस्ट्री जानने की जरुरत होती है। इसके बाद ही वे सही गोली की सलाह देते हैं।”
सबसे अहम बात यह भी है कि अगर किसी महिला या किशोर उम्र की लड़की के शरीर में कुछ हार्मोनल गड़बड़ी है, तो भी जाहिर तौर पर जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है लेकिन हार्मोन को संतुलित करने के लिए ये गर्भनिरोधक गोलियां भी महत्वपूर्ण साबित होती हैं। इसके अलावा यदि किसी महिला को मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्त स्त्राव होता है, तो ये गर्भनिरोधक गोलियां फायदेमंद साबित होती हैं क्योंकि इससे मासिक धर्म के दौरान रक्त स्राव की मात्रा कम हो जाती है, जो एनीमिया के रोकथाम में प्रभावी है।
लैंगिक समानता भी है जरुरी
गर्भनिरोधक के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए हर साल 26 सितंबर को विश्व गर्भनिरोधक दिवस मनाया जाता है। साल 2023 की थीम ‘Power of Option यानि विकल्पों की शक्ति’ है। साथ ही विश्व गर्भनिरोधक दिवस का उद्देश्य ना केवल महिलाओं बल्कि पुरुषों को भी जवाबदेह बनाने का है, जो गर्भनिरोध के उपयोग को केवल महिलाओं तक ही सीमित रखना चाहते हैं। जागरुकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण है कि समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जाए, गर्भ निरोधकों के संकेतों के बारे में वैश्विक आबादी में खुली चर्चा को बढ़ावा दिया जाए, महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा मिले और दुनिया भर में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिल सके।
साथ ही केवल महिला को ही गर्भनिरोध के तरीके अपनाने के लिए बाध्य करना अनैतिक है क्योंकि बात चाहे परिवार नियोजन की हो या केवल शारीरिक संबंध बनाने की, पुरुषों को भी तत्परता से अपनी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए। इसके लिए महिलाएं भी पहल कर सकती हैं और आम स्तर पर जारुकता कार्यक्रमों के जरिए भी बदलाव को लाया जा सकता है। कंडोम या गर्भनिरोध के तरीके अपनाने से पुरुषों को कमजोरी आती है या उनके पौरुष में कमी होती है, इस भ्रांति से बाहर निकल कर लैंगिक समानता पर जोर देना आज की जरुरत है।
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