स्वास्थ्य सुविधाओं में हो रही ड्रोन की धमक

अब स्वास्थ्य क्षेत्र भी तकनीकी ऊंचाइयों से अछूता नहीं है । पढ़िए स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे एक सकारात्मक और व्यापक बदलाव की पहली आहट को समर्पित यह चेंजमेकर्स स्टोरी...

Last Updated on अक्टूबर 24, 2022 by Neelam Singh

आजकल ड्रोन हर क्षेत्र में अपनी प्रायोगिकता प्रदर्शित कर रहे हैं। अब ड्रोन ने स्वास्थ्य सुविधाओं के क्षेत्र में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाना शुरु कर दिया है। 

सरकार द्वारा नये प्रयोगों का ही नतीजा है कि अब ड्रोन की मदद से दवाइयों की होम डिलीवरी का सिलसिला शुरु होने की पहली सीढ़ी चढ़ी जा चुकी है। कोरोना काल हर एक व्यक्ति के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा क्योंकि उस वक्त घरों से बाहर निकलना ही मुश्किल था। इसी वक्त लोगों को एहसास हुआ कि टेक्नोलॉजी का प्रयोग विपत्ति में भी किया जा सकता है और इसके बेहद सकारात्मक परिणाम भी सामने आए। 

अरुणाचल प्रदेश में पायलट परीक्षण 

हाल ही में Samridh Healthcare Blended Financing Facility एवं United States Agency for International Development (USAID) द्वारा समर्थित ड्रोन डिलीवरी और सेवा नेटवर्क का इस्तेमाल दवाइयों की होम डिलीवरी में किया गया है। इसे World Economic Forum (WEF)’s की ‘Medicines From The Sky’ नाम दिया गया है। इसमें अरुणाचल प्रदेश की सरकार भी शामिल है ताकि लोगों तक स्वास्थ्य संबंधी जरुरतों को पहुंचाना सुगम बनाया जा सके। हालांकि यह अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से में पड़ने वाले Kameng जिले को शामिल किया गया है। 

समृद्धि के प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर हिमांशु सिक्का ने बताया, “भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र में आपूर्ति की कमियों को सुधारने के लिए पहल जारी है।” वहीं Head of aerospace and drones at WEF विग्नेश संथानम ने कहा, “भारत में ड्रोन नीति को लेकर लाई गई उदारता ने ही स्टार्टअप्स को आगे आने का मौका दिया है, जिससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर परिणाम आने की उम्मीद है।”   

ड्रोन स्टार्टअप्स में बढ़ रही रुचि 

भारतीय स्टार्टअप्स भी अब ड्रोन में अपनी रुचि दिखाने लगे हैं, जिसका एक और उदाहरण उत्तराखंड की दुर्गम पहाड़ी वाले क्षेत्र हैं। जून 2022 में Redcliffe Labs ने पहला कदम उठाया था, जिसमें उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से मेडिकल सैंपल देहरादून तक पहुंचाया गया था। इन दोनों के बीच की दूरी 140 किलोमीटर (6 घंटे) है, जिसे ड्रोन की मदद से 1 घंटे 20 मिनट कम कर दिया गया है, तकरीबन एक चौथाई। 

Skye Air Mobility के फाउंडर और सीईओ अंकित कुमार ने कहा, “देश में करीब 85 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाओं को सुलभ बनाने की ओर ड्रोन द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं, जो 30 प्रतिशत सस्ते हैं और 80 प्रतिशत कम समय ले रहे हैं।”  

drone

ड्रोन द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना वाकई एक बेहतर विकल्प है क्योंकि ड्रोन का इस्तेमाल अब कई क्षेत्रों में व्यापक तौर पर हो रहा है लेकिन खराब मौसम, तकनीकी समस्याओं और उसकी जटिलताओं को देखते हुए अब भी कुछ प्रयास की जरुरत महसूस होती है। 

Lexology द्वारा प्रकाशित Drone Regulation in India रिपोर्ट के आधार पर भारत में ड्रोन संचालित करने के लिए DGCA के साथ पंजीकृत होना चाहिए और इसे उड़ाने का लाइसेंस भी होना जरुरी है। व्यक्ति की आयु 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए, 10 वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की हो और DGCA द्वारा अनुमोदित संस्थान से प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा किया हो। साथ ही एक लिखित परीक्षा भी पास करनी होती है। 

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