जैव चिकित्सा अपशिष्ट (Bio-Medical Waste) के प्रति लापरवाही हो सकती है खतरनाक

बॉयो-मेडिकल कचरा आज एक ऐसा मुद्दा बन चुका है, जिस पर लोगों को जागरुक होना बहुत आवश्यक है। आइए इस लेख द्वारा जानते हैं, क्या है जमीनी हकीकत…

Last Updated on अगस्त 29, 2022 by Neelam Singh

क्या आप जानते हैं कि एचआईवी का वायरस 28 दिनों तक सक्रिय रहता है? ऐसे में यदि किसी भी एचआईवी मरीज द्वारा इस्तेमाल की गई सुई अगर किसी व्यक्ति के चप्पल को छेद करके पैर में चुभ जाए, तो एक पल को सोचिए ऐसी स्थिति में क्या हो सकता है? एचआईवी, हेपिटाइटिस के मरीज का खून लगा रुई (cotton) भी संक्रमण फैला सकता है। मेडिकल वेस्ट से संक्रमण का खतरा आम है लेकिन इस मुद्दे पर बहुत कम लोग सजग नजर आते हैं। 

कोविड के दौरान नदियों में तैरते शवों की तस्वीरे, सड़कों पर कोविड के उपकरण, PPE किट व मास्क देखना लोगों की दिनचर्या में शामिल हो गया था लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि ये कचरा कैसे बदबू और संक्रमण को हवा में फैला रहा है जिससे किसी भी व्यक्ति को संकम्रण हो सकता है। ऐसे में अस्पतालों के बाहर सर्जिकल मास्क, सर्जिकल दस्ताने, सुई, एक्सपायर हो गई दवाइयां व अस्पताल में इस्तेमाल की जाने वाली रुई जब सड़क के कचरे दानों का हिस्सा बनती हैं तब यह सवाल और भी प्रासंगिक हो जाता है कि क्या इस अपशिष्ट का उचित प्रबंधन हम सभी के लिए आवश्यक नहीं है?

हालांकि मार्च 2020 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB- Central Pollution Control Board) ने बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन नियम 2016 के तहत समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं ताकि इनका निस्तारण सुनिश्चित किया जा सके। मई 2020 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एक एंड्राएड एप भी विकसित किया गया था ताकि कोरोना के दौरान अस्पतालों से निकले कचरे को ट्रैक किया जा सकें और तुरंत उसका निस्तारण किया जा सके। लेकिन क्या सब इन नियमों का पालन कर रहे हैं …आईये जानते हैं

लापरवाही है मुख्य कारण

मुजफ्फरपुर जिले के करीब 25% नर्सिंग होम, जांच घर और अस्पताल संचालक इंजेक्शन, सिरिंज, दवाओं की खाली बोतलें, पट्टियां आदि सड़क पर खुले में फेंक रहे हैं। इस बात को संज्ञान में लेते हुए मेडिकेयर एजेंसी ने प्रदषण कंट्रोल बोर्ड को 51 क्लीनिक, जांच घर एवं अस्पतालों की सूची भेजी है, जिन्होंने एक महीने में एक किलो भी मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल के लिए नहीं भेजा गया है। जाहिर है कि मेडिकल कचरे को सड़क पर फेंका जा रहा है और निगम के सफाईकर्मी भी इसे छूने से कतराते हैं। मुजफ्फरपुर शहर की चिकित्सा मंडी जूरन छपरा की सड़कें मेडिकल कचरे से पटी रहती हैं, जिन पर भिनभिनाती मक्खियां कभी कचरे पर बैठती हैं, तो कभी खुले में रखे किसी खाद्य पदार्थ पर। 

मेडिकेयर इन्वायरमेंटल मैनेजमेंट प्रा. लि. के सीनियर मैनेजर राजीव कुमार ने मेडिकल वेस्ट मुद्दे पर THIP Media से बात करते हुए कहा, “एजेंसी में करीब 350 अस्पताल एवं जांच घर पंजीकृत हैं। वहीं 300 से ज्यादा छोटे-छोटे हेल्थ सेंटर अब भी खुलेआम मेडिकल वेस्ट फेंकते हैं, जिन पर कार्यवाही होनी जरुरी है।” 

केंद्रीय पर्यावरण वन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना काल में जून 2020 से जून 2021 तक 56,898 टन बॉयो-मेडिकल कचरा उतपन्न किया गया है, जिनमें 8317 टन के आंकड़े के साथ महाराष्ट्र सबसे पहले नंबर पर है। इसके बाद केरल (6442), गुजरात (5004), तमिलनाडु (4835), दिल्ली (3995), उत्तर प्रदेश (3881) और कर्नाटक (3133) है।  

केवल परेशानी नहीं बल्कि सुझाव है जरुरी

कचरे के अंबार के पास से गुजरने वाले हर नागरिक की एक ही शिकायत होती है कि सांस लेने में परेशानी है, मक्खी एवं मच्छर भिनभिनाते रहते हैं, सड़क पर जाम लग जाने पर सड़क सिकुड़ जाती है, क्योंकिि कचरे के ऊपर से कोई भी नहीं जाना चाहता क्योंकि मेडिकल वेस्ट आदि होने के कारण भय लगा रहता है कि कहीं कोई संक्रमण ना हो जाए या कोई खुली हुई सिरिंज या शीशे की बोतले पैर में ना चुभ जाएं। एक अन्य नागरिक ने बताया कि आसपास अस्पताल होने पर एक परेशानी और भी होती है कि लोग कई दफा जीवित व मृत नवजात बच्चों को यहां फेंक जाते हैं। यह एक अत्यंत गंभीर विचारणीय मुद्दा है जिसका शीघ्र नियोजन आवश्यक है। गत दो वर्षों में कोरोना महामारी के दौरान जो देखने को मिला वह आगे न हो इसके लिए उचित कदम उठाने होंगे और अपशिष्ट प्रबंधन करना होगा।

साथ ही नागरिक अगर जागरुक हो जाएं और अस्पताल, जांच घर या दवा-खाना आदि को कचरा फेंकने से रोकें और उनकी रिपोर्ट दर्ज कराएं तब कुछ हद तक इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आम नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए खुले में कचरा फेंकने से बचना चाहिए। साथ ही चौक-चौराहों पर हवा को स्वच्छ बनाने वाले पेड़ जैसे – नीम आदि लगाए जा सकते हैं। सभी संस्थाओं व नागरिकों द्वारा की गई एक छोटी सी पहल से आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखा जा सकता है।

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