Last Updated on अप्रैल 13, 2023 by Shabnam Sengupta
आज के युग को डिजिटल युग कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि आज मोबाइल रिचार्ज, बिजली बिल भरना, बच्चों की फीस भरना, खरीदारी करना सबकुछ ऑनलाइन संभव है। यहां तक कि अतीत में जिन चीजों की कल्पना भी इंसान ने नहीं की होगी, वे सारी चीजें आज घर बैठे संभव हो रही है लेकिन इसके साथ ही धोखा-धड़ी, जालसाजी, साइबर अपराध, ट्रॉलिंग आदि भी बिल्कुल सामान्य चीजें हो गई हैं, जिससे बचना बहुत जरुरी है क्योंकि ये सारी घटनाएं कहीं ना कहीं मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
वर्ष 2023 के लिए अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की थीम भी “DigitALL: Innovation and technology for gender equality” है। इसका उद्देश्य महिलाओं को ना केवल डिजिटली सशक्त करना है बल्कि उनके लिए एक सुरक्षित माहौल का विकास भी करना है।
जानें साइबर अपराध के बारे में
ऐसे अपराध साइबर अपराध की श्रेणी में आते हैं, जो कंप्युटर, इंटरनेट या मोबाइल टेक्नोलॉजी का उपयोग करके किसी व्यक्ति, कंपनी या संस्थान के विरुद्ध किए जाते हैं। साइबर अपराधी सोशल नेटवर्किंग साइट्स, ईमेल, चैटरुम, नकली सॉफ्टवेयर, वेबसाइट्स आदि का इस्तेमाल करके ऐसे अपराधों को अंजाम देते हैं।
साइबर अपराध निम्न प्रकार के होते हैं-
- ई-मेल स्पूकिंगः ऐसे ई-मेल भेजना जो वास्तविक लगे लेकिन विश्वसनीय ना हो।
- बैंकिग फ्रॉडः फ्रॉड तरीके से वित्तीय जानकारी लेना और जर्माकर्त्ता के खाते से धोखा-धड़ी करके धन प्राप्त करना।
- साइबर बुलिंगः संचार माध्यमों के जरिए किसी को मानसिक रुप से प्रताड़ित करना।
- फेक आईडीः वित्तीय लाभ के लिए किसी की पहचान चुराकर उसके सहयोगियों को मैसेज करना या पहचान धूमिल करने की कोशिश करना।
- जॉब फ्रॉडः किसी व्यक्ति को नौकरी देने के नाम पर उसकी निजी जानकारी चुरा लेना।
- ऑनलाइन गेमिंगः आजकल लोगों में ऑनलाइन गेमिंग का चलन बढ़ गया है लेकिन इन एप्स और वेबसाइट्स पर ऐसे कई लिंक्स होते हैं, जो सुरक्षित नहीं होते और क्लिक करते ही निजी जानकारियां चोरी हो जाती हैं।
- ऑनलाइन लेनदेन में धोखाधड़ीः किसी भी चीज की ऑनलाइन पेमेंट करते वक्त उस वेबसाइट को जांचना जरुरी होता है क्योंकि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड का पिन या CVV नंबर डालने के बाद बैंक अकाउंट के फ्रीज़ होने का खतरा होता है इसलिए उन वेबसाइट्स के जरिए ही पेमेंट करनी की सलाह दी जाती है, जो सुरक्षित हो।
महिलाओं के साथ साइबर अपराध
‘India Inequality Report 2022: Digital Divide’ के अनुसार केवल एक-तिहाई महिलाएं ही इंटरनेट का इस्तेमाल करती है। इस रिपोर्ट को गैर सरकारी संगठन Oxfam इंडिया द्वारा जारी गया था। आंकड़ों के अनुसार भले ही बेहद कम महिलाओं द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा हो लेकिन तब भी महिलाओं के लिए इंटरनेट सुरक्षित नहीं है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 तक कुल साइबर अपराध की घटनाओं में 18.4% की वृद्धि हुई है, लेकिन महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध के मामलों में 28% की वृद्धि हुई है। साल 2021 में कुल 10,730 साइबर अपराध महिलाओं के खिलाफ दर्ज किए गए, जिसमें 2243 आंकड़े के साथ कर्नाटक पहले स्थान पर, 1697 आंकड़े का साथ महाराष्ट्र दूसरे एवं 958 आंकड़ों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा। हालांकि साइबर अपराध में केवल उन आंकड़ों को ही शामिल किया जाता है, जिसे दर्ज कराया गया हो जबकि वास्तविकता में आधे से ज्यादा मामले दर्ज ही नहीं कराये जाते हैं।
महिलाओं पर ही उठेगी ऊंगली?
कॉलेज में पढ़ रही एक छात्रा ने अपने साथ हुए साइबर अपराध का किस्सा साझा किया। उन्होंने कहा, फेसबुक पर किसी लड़की को स्टॉक करना, उसे अचानक वीडियो कॉल कर देना, दिन-रात गुड-नाईट या गुड-मार्निंग के मैसेज भेजना आम बात है। अगर इन सबको नजरअंदाज कर भी दिया जाए, तब कमेंट के जरिए भी ऐसे लोग तंग करने से बाज नहीं आते। ब्लॉक कर देने पर भी कई बार फेक आईडी से मैसेज और तंग करते हैं। इसके अलावा लड़की के नाम से आईडी बना कर उस पर अश्लील तस्वीरे लगाकर नाम खराब करने की कोशिश करते हैं। यही वजह है कि कई लड़कियां सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना छोड़ देती हैं और मानसिक दबाव झेलती हैं।
सभी लड़कियों के लिए अपने साथ हुई घटना को दर्ज कराना संभव नहीं होता क्योंकि आज भी समाज उतना परिपक्व नहीं हुआ है, जो महिलाओं को बिना कठघरे में खड़ा किए निष्पक्ष होकर निर्णय सुना सके। कई बार लड़कियों पर ही कई सवाल खड़े हो जाते हैं, जैसे- उसे जवाब नहीं देना चाहिए था, अपनी तस्वीर नहीं लगानी चाहिए थी, इंटरनेट का इस्तेमाल ही नहीं करना चाहिए था, स्मार्टफोन नहीं देना चाहिए था, इत्यादि जबकि इसके लिए जिसने अपराध को अंजाम दिया है, कार्यवाही उसके खिलाफ होनी चाहिए।
अपना सकती हैं ये तरीके
चुंकि हर महिला के लिए शिकायत दर्ज कराना मुश्किल होता है इसलिए अब फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप्प, टेलीग्राम या अन्य सोशल मीडिया एप्स पर रिपोर्ट करने का ऑप्शन दिया जाता है। जैसे-
- फेसबुक, इंस्टाग्राम , टेलीग्राम और व्हाट्सएप्प पर हेल्प सेंटर के जरिए किसी प्रोफाइल, कमेंट, मैसेज आदि को रिपोर्ट किया जा सकता है।
- ऑनलाइन किसी वेबसाइट के जरिए खरीददारी करते वक्त वेबसाइट के एड्रेस को जांचना जरुरी है। जैसे- https, secure, इत्यादि लिखा होना चाहिए।
- अपने बैंक अकाउंट के पासवर्ड को अपडेट करते रहे।
- भारतीय दंड संहिता में भी साइबर अपराध के खिलाफ जानकारियां दी गई हैं।
- मैट्रिमोनियल साइट्सः ऑनलाइन रिश्ता ढूंढने की कई वेबसाइट्स हो गई हैं लेकिन इन जगहों पर सावधानी बरतना जरुरी होता है। जैसे – प्रोफाइल की जांच करें, तुरंत किसी भी तरह की जानकारी साझा ना करें, केवल उन्हीं एप्स या वेबसाइट्स का इस्तेमाल करें, जो जांच के लिए अनेक फिल्टर लगाती हो।
- मुफ्त या बहुत सस्ती चीजें बेचने वाली वेबसाइट्स, जो कई बार युट्युब प्रचार में आती हैं, उन पर क्लिक ना करें क्योंकि ये जानकारी चुराने का जरिया होती हैं।
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
इंटरनेट नहीं बल्कि इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले महिलाओं के लिए हानिकारक हो सकते हैं इसलिए इंटरनेट वरदान या विनाश है, इसका निर्णय करना हमारी सुझबुझ पर निर्भर करता है।
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