छत्तीसगढ़ के मोबाइल वाले डॉक्टर ने महिलाओं तक पहुंचाई सुविधाएं

मोबाइल का उपयोग हर क्षेत्र में बढ़ गया है लेकिन मोबाइल के इस्तेमाल का तरीका ही उसे सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम की ओर ले जाता है। छत्तीसगढ़ के एक डॉक्टर ने कैसे मोबाइल के जरिए बदलाव की नींव रखी है.. पढ़ें चेंजमेकर्स की इस कड़ी में...

Last Updated on जनवरी 5, 2023 by Neelam Singh

सुरक्षित प्रसव हर महिला का अधिकार है लेकिन आज भी देश के कई हिस्सों में सुरक्षित प्रसव एक चुनौती का विषय है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 5 के अनुसार मातृत्व मृत्यु दर में कमी दर्ज हुई है लेकिन अब भी परिस्थितियों को महिलाओं के अनूकुल होने में वक्त लगेगा। साथ ही आंकड़े बताते हैं कि प्रसवपूर्व देखभाल (Antenatal Care) के आंकड़ों में भी सुधार है। सर्वेक्षण के अनुसार 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है परन्तु 30 प्रतिशत महिलाओं को भी सुविधाएं पहुंचाना अभी बाकी है। हालांकि इस ओर सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जैसे- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, इसके तहत हर महीने की 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं (दूसरी और तीसरी तिमाही में) को गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल प्रदान की जाती है। 

इसके अलावा विभिन्न स्तरों पर देश के नागरिक भी मातृत्व सुरक्षा की ओर कार्य कर रहे हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य में चलाए जा रहे एक कदम का उल्लेख बेहद जरुरी है। छत्तीसगढ़ के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र PHC में चिकित्सा अधिकारी डॉ. गणेश बाबू गर्भवती ग्रामीण महिलाओं को समय पर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहन के रूप में मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे हैं। 

घर पर होती थी डिलिवरी 

doctor ganesh

जब डॉ. गणेश बाबू ने पांच साल पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बारसूर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदभार संभाला, तो वे केंद्र में बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं की कम संख्या से हैरान थे। महिलाओं से पूछताछ के बाद उन्हें पता चला कि बुनियादी सुविधाएं न होना जैसे – खराब सड़क, नदी को पार करने के लिए पुल नहीं होना आदि कारण है कि महिलाएं अस्पताल नहीं पहुंच पाती और नतीजतन उन्हें घर पर डिलीवरी करनी पड़ती है। 

डॉ. गणेश बताते हैं,  “हमारा पीएचसी 20 से अधिक गांवों के मरीजों की सेवा करता है। बारसूर दंतेवाड़ा जिले में स्थित है, जो एक आदिवासी क्षेत्र है। अधिकांश क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन बहुत कम है और शाम 6 बजे के बाद तो उपलब्ध ही नहीं है, जिस कारण लोगों को पैदल आना पड़ता है। जिला अस्पताल लगभग 35 किमी दूर है, जिससे लोगों को वहां जाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि वे हमारे केंद्र पर निर्भर हैं। कुछ गांव ऐसे हैं, जो हमारे केंद्र से लगभग 20 किमी दूर हैं और कुछ ऐसे हैं, जो इंद्रावती नदी की दूसरी तरफ हैं। लोगों के लिए दूसरी तरफ से यहां आना वास्तव में कठिन है।”

स्वयं के खर्चे पर मोबाइल फोन 

एक चिकित्सक के लिए बेहद जरुरी होता है कि वे अपने मरीज की मूलभुत सुविधाओं पर ध्यान दे और यही लगन डॉ. गणेश के अंदर भी थी क्योंकि वे चाहते थे कि महिलाओं को सुरक्षित मातृत्व मिले। यही वजह थी कि उन्होंने इस अंतर को पाटने के लिए उपाय किया। डॉ गणेश ने इसके लिए एक असामान्य समाधान मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया। आपात स्थिति में दूर-दराज के गांवों में महिलाओं के साथ संचार की एक सतत धारा बनाए रखने के लिए चिकित्सा अधिकारियों ने महिलाओं को स्वयं के खर्चे पर मोबाइल फोन देना शुरू किया। 

इस कदम के बाद बेहद सकारात्मक नतीजे सामने आने शुरू हुए। वे कहते हैं, “तीन साल पहले तक प्रति माह केवल सात या आठ प्रसव होते थे। आज पीएचसी में प्रति माह औसतन 25-30 प्रसवों को पूरा किया जाता है। अप्रैल 2022 में 40 प्रसव दर्ज हुए।” 

महिलाएं बढ़ी सशक्तिकरण की ओर

देखा जाए तो इस कदम से महिलाएं इलेक्ट्रॉनिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ी हैं। वे टेक्नो-फ्रेंडली हुई हैं। मोबाइल फोन और एसएमएस सुविधा के जरिए उन्हें विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को लेकर जागरूकता में वृद्धि हुई है। मोबाइल फोन का उपयोग करके ग्रामीण भारत में रहने वाली महिलाएं मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं जैसे आशा स्वास्थ्य कर्मियों के संपर्क में रहने में सक्षम हुई हैं। इससे उन्हें महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है और उचित प्रसव देखभाल प्राप्त करने में मदद मिलती है। 

अब अपने इस कदम के कारण डॉ. गणेश “मोबाइल वाले डॉक्टर” के नाम से पहचाने जाने लगे हैं। डॉ. गणेश बताते हैं, “फोन के जरिए महिलाएं Mitanins (स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों) के संपर्क में रहती हैं। अगर महिलाएं अस्वस्थ महसूस करती हैं, तो उन्हें सूचित करती हैं। वहीं बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को टीकाकरण के बारे में भी जागरुक किया जाता है। मैं उन्हें बेसिक फोन देता हूं, जिसकी कीमत 1,000 रुपये होती है और गर्भवती महिला के साथ जाने वाली महिलाओं को 500 रुपये देता हूं ताकि गर्भवती महिला की देखभाल में कमी ना हो। इसके जरिए महिलाएं 24×7 Mitanins के संपर्क में रहती हैं और अगर स्थिति गंभीर होती है, तो तुरंत हमें सूचना मिल जाती है और आपातकालीन स्थिति में हम एम्बुलेंस भेजते हैं।” 

उन्होंने आगे कहा, “सरकार द्वारा पीएचसी में एक pre-birth room स्थापित किया गया था, जिसमें हम दूरस्थ स्थानों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव से तीन-चार दिन पहले केंद्र में आने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को छुट्टी मिलने तक भोजन और देखभाल प्रदान की जाती है। यह घर में बच्चों के जन्म लेने के आंकड़ों को कम करने में काफी मददगार है। घर पर बच्चे को जन्म देने के कारण कुछ माताएं अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मर जाती हैं। वहीं कई को रक्तस्राव के कारण एनीमिया जैसी बीमारी जीवन भर के लिए जकड़ लेती है।” 

डॉक्टर के लगन की मिसाल

बारसूर पीएचसी के एक कर्मचारी अजय सरकार कहते हैं, ”पहले आपातकालीन मामलों को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में भेजा जाता था, जो यहां से बहुत दूर है। डॉ. गणेश के यहां आने के बाद से ओपीडी और आईपीडी में मरीजों की संख्या में जबरदस्त सुधार हुआ है। हम रोजाना लगभग 80-90 आउट पेशेंट देखते हैं। डॉ. गणेश 24 घंटे अस्पताल में मौजूद रहते हैं और यहीं सोते भी हैं। उन्होंने डॉक्टरों को मिलने वाला क्वार्टर भी नहीं लिया है। वे केंद्र के एक कमरे में सोते हैं और रात में भी मरीजों को देखते हैं।” 

डॉ गणेश बाबू का कार्य वाकई प्रशंसनीय है क्योंकि उन्होंने मूलभुत सुविधाओं के ना रहने का दोष ना देकर अपनी ओर से कदम उठाए और बदलाव लाने का प्रयास किया, जिससे ना केवल महिला बल्कि एक पूरे परिवार की सुरक्षा का जिम्मा अपने हिस्से लिया। डॉ. गणेश समाज के लिए एक उदाहरण हैं, जो संसाधनों का अभाव होने के बावजूद भी परिस्थितियों को अपने रंग में ढ़ालना जानते हैं। 

Disclaimer: Medical Science is an ever evolving field. We strive to keep this page updated. In case you notice any discrepancy in the content, please inform us at [email protected]. You can futher read our Correction Policy here. Never disregard professional medical advice or delay seeking medical treatment because of something you have read on or accessed through this website or it's social media channels. Read our Full Disclaimer Here for further information.

Subscribe to our newsletter

Stay updated about fake news trending on social media, health tips, diet tips, Q&A and videos - all about health