“सूइया से बच्चा होलइ ह” की सोच से आगे है आईवीएफ की कहानी

आजकल कई शादीशुदा दंपत्ति आईवीएफ (IVF) के जरिए संतान सुख प्राप्त कर रहे हैं। आइए जानते हैं आईवीएफ के बारे में और उन दम्पत्तियों की कहानी भी जिन्होंने आईवीएफ तकनीक को अपनाया है।

Last Updated on अप्रैल 23, 2022 by Team THIP

खुशखबरी कब देने वाली हो? मेरे घर का चिराग कब आने वाला है? ऐसे सवाल हर उस घर का हिस्सा होते हैं, जहां नई-नवेली शादी होती है। आमतौर पर एक दंपत्ति को तब सफल माना जाता है, जब शादी के एक साल बाद ही बच्चे की किलकारी आंगन में गूंजने लगती है। ऐसे भी परिवार नियोजन में महिलाओं की भूमिका ज्यादा नहीं मानी जाती है। बच्चे कब करने हैं या करने हैं भी या नहीं, ऐसे निर्णय घर के बड़े-बुजुर्ग या पति को ही लेने का हक होता है मगर इन सवालों से महिलाओं को होने वाली परेशानी सिर पर रखे पल्लू से ढंक जाती है।

लोग बनाने लगते हैं कई बातें

अगर शादी के एक साल के भीतर बच्चा ना हो, तो लोग बातें बनाने लगते हैं। “लगता है, लड़की में कोई कमी होगी” , “कुछ ना कुछ गड़बड़ जरूर होगी” लेकिन ऐसे बहुत कम सवाल होते हैं, जहां पुरुष से पूछा जाता हो, “क्या तुम्हारे अंदर कोई कमी है?” महिला के अंदर कोई कमी निकल जाए, तो लोग पुरुष की दूसरी शादी कराने से भी नहीं हिचकते हैं जबकि बांझपन की समस्या महिला या पुरुष किसी को भी हो सकती है। एम्स (AIIMS) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 10-15 प्रतिशत दम्पत्तियों में बांझपन की समस्या पाई जाती है। यह एक बीमारी है, जहां दंपत्ति प्राकृतिक तरीकों से माता-पिता बनने में असक्षम होते हैं।

डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बांझपन की समस्या में लगभग 40-50 प्रतिशत मामलों में पुरुष कारण होते हैं।अर्थात बांझपन की समस्या के लिए केवल महिला ही जिम्मेदार नहीं होती है।

14 सालों बाद बच्चे का जन्म

डॉक्टर कल्पना सिंह

वरिष्ठ महिला-रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कल्पना सिंह बताती हैं कि, “बिहार सहरसा के सतौर बेलहा के एक दंपत्ति बीते 14 सालों से बच्चे की आस में थे लेकिन महिला को एंडोमेट्रियोसिस की समस्या थी, जिस कारण महिला गर्भधारण नहीं कर पा रही थी। आईजीआईएमएस (Indira Gandhi Institute of Medical Sciences – IGIMS), पटना में आईवीएफ द्वारा एक साल तक मॉनिटरिंग के बाद उस दंपत्ति के यहां सफल तरीके से टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ।

जुड़वा बच्चों की हो गई मृत्यु

बिहार के वैशाली स्थित एक गांव की रहने वाली कोमल (बदला हुआ नाम) की शादी 10वीं कक्षा के बाद हो गई थी लेकिन शादी के 27 साल तक उन्हें संतान नहीं हुई। हालाँकि उन्होंने कई बार बच्चे के लिए कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। उसके बाद उन्होंने अपनी जेठानी के बच्चों को अपना मानना शुरू कर दिया। उन्होंने बच्चा गोद लेने की भी कोशिश की मगर सफलता नहीं मिली। इसके बाद कोमल ने साल 2021 में जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था लेकिन पहले बच्चे की मृत्यु 10 दिन बाद ही हो गई और कुछ समय बाद दूसरे बच्चे की भी मौत हो गई। कोमल इन सबसे इतनी ज्यादा आहत हो गई थीं कि उन्होंने अपने पति को दूसरी शादी करने के लिए कह दिया था मगर उनके पति ने मना कर दिया। अंततः साल 2022 में आईवीएफ द्वारा उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया और मां बनने का मौका मिला। गांव में लोग अब भी आईवीएफ को कोई तकनीक नहीं मानते हैं क्योंकि उनका कहना होता है, “सूइया से बच्चा होलइ ह” जिस कारण कोई खुलकर नहीं बोलता मगर आईवीएफ के जरिए माता-पिता बनने वालों की संख्या गांव में भी बढ़ रही है।

सही मात्रा में नहीं थे स्पर्म

उसी प्रकार मुजफ्फरपुर बिहार स्थित गौशाला के रहने वाले अमन (बदला हुआ नाम) की शादी साल 2008 में हुई थी लेकिन शादी के 10 साल बीत जाने के बाद भी बच्चे का सुख नहीं मिला। डॉक्टर से दिखाने पर पता चला कि अमन के अंदर ही कमी थी। उनका शरीर सही मात्रा में स्पर्म नहीं बना पा रहा था। इसके बाद साल 2018 में पटना स्थित एक निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद उनके दो जुड़वा (एक बेटा और एक बेटी) बच्चे हुए।

महिला की हो निर्णयों में हिस्सेदारी

बांझपन की समस्या किसी में भी हो सकती है। इसके लिए केवल महिला को जिम्मेदार मानना गलत है मगर जिस समाज की सोच महिला को लेकर केवल बच्चा पैदा करने वाली मशीन तक ही सीमित हो, वहां बदलाव लाने की सख्त आवश्यकता है। साथ ही परिवार नियोजन में महिलाओं को हिस्सा बनाना भी आवश्यक है क्योंकि जब तक महिला मानसिक और शारीरिक रुप से बच्चे के लिए तैयार नहीं होगी, तब तक एक स्वस्थ परिवार का निर्माण असंभव है।

“साथ ही बच्चा कब लाना है”, “कैसे लाना है”, इन सब निर्णयों में पुरुष के साथ साथ महिला की सहभागिता भी होनी चाहिए। परिवार नियोजन से लेकर परिवार बसाने तक के निर्णयों में महिलाओं की सहमति को नकारना एक बेहतर समाज का प्रतिबिम्ब नहीं हो सकता है। साथ ही केवल एक बच्चा पैदा नहीं कर पाने से महिला को दोषी मानकर उसके साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार करना भी सही नहीं है। एक सफल वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है कि दंपत्ति आपसी सूझबूझ और समझदारी से निर्णय लें और एक-दूसरे का सम्मान करें।

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