एलोपेशिया से मिला ऐसा ताज जिसकी चमक कभी नहीं हुई कम

क्या बालों को महिलाओं की सुंदरता का परिचायक बना देना तर्कसंगत है? आइये जानते हैं एक ऐसी बीमारी के बारे में जिसने कुछ स्त्रियों की जिंदगी के मायने बदल दिए...

Last Updated on अप्रैल 11, 2022 by Neelam Singh

ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आंखें… इन्हें देखकर जी रहें हैं सभी…
तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा…
बालों पर बने गानों की लिस्ट और बालों को घना, काला करने वाले सौंदर्य उत्पादों का कारोबार करोड़ों का है लेकिन केवल बालों को सुंदरता का परिचायक बना देना क्या तर्कसंगत है?

महिलाओं को केंद्र में रखकर बालों पर गाने, शेरो-शायरी करना और सौंदर्य उत्पादों संबंधित प्रचार-प्रसार की शोभा बना देना भी तर्क संगत नहीं है क्योंकि लंबे बालों या गोरी त्वचा को सुंदरता का परिचायक नहीं बनाया जा सकता। हालांकि हमेशा से यही धारणा बनी रही है कि महिलाओं के बाल लंबे, घने, काले होते हैं और पुरुषों को अपना बाल छोटे रखने चाहिए। पर जब लड़कियों के सिर पर भी किसी कारणवश बाल न हों या सब झड़ चुके हों तो क्या उसकी सुंदरता की परिभाषा बदल जाएगी?

मार्च २०२२ में ऑस्कर अवार्ड के दौरान अभिनेता विल स्मिथ ने होस्ट और प्रेजेंटर क्रिस रॉक को थप्पड़ जड़ दिया था क्योंकि क्रिस विल स्मिथ की पत्नी के गंजेपन का मजाक उड़ा रहे थे। विल स्मिथ की पत्नी जैडा पिंकेट स्मिथ को एलोपेशिया एरेटा नामक बीमारी है, जिस कारण उनके सिर के सारे बाल झड़ चुके हैं।

आइये जानते हैं एक ऐसी बीमारी के बारे में जिसने कुछ स्त्रियों की जिंदगी के मायने बदल दिए –

अचानक झड़ने शुरू हो गए बाल

गुजरात की रहने वाली बीएड की डिग्री हासिल कर चुकी 50 वर्षीय केतकी जानी भी एलोपेशिया से ग्रसित हैं। वे कहती हैं, “10 साल पहले एक रोज जब मैं अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त थी, तब सिर में खुजली हुई। जब वहां हाथ पहुंचे तब पता चला कि सिर पर बाल ही नहीं हैं। उसके बाद तुरंत डॉक्टर के यहां गई, जहां एलोपेशिया नामक शब्द पहली बार मेरी कानों में गुंजा। पहले तो डॉक्टर ने कहा कि ठीक हो जाएगा। उन्होंने कुछ दवाई और क्रीम लगाने के लिए दिया लेकिन कुछ सुधार नहीं हुआ। कुछ समय बाद सिर से सारे बाल ख़त्म होने लगे। बाल वापस आ जाएँ इस उम्मीद में मैंने स्टेरॉयड लेने शुरू कर दिए मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। उसके विपरीत शरीर कमजोर होता चला गया और 6-8 महीने में सिर से बाल पूरी तरह से खत्म हो गए। सिर से बाल चले जाने के बाद भी 5 सालों तक आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी ट्राई किया लेकिन कुछ असर नहीं हुआ ।”

लोगों को लगा मुझे कैंसर है

“सामाजिक तौर पर भी बालों के नहीं रहने के कारण बहुत अजीब-सा महसूस होता है। ऐसा लगता था कि मैं बाकी महिलाओं से अलग हूं। कुछ लोग पूछने लगे थे कि क्या कैंसर हो गया..? एक रोज इन सब सवालों और परेशानियों से थककर मैंने सोचा कि आत्महत्या कर लेती हूं लेकिन अपने बच्चों का ख्याल आया और मैंने आत्महत्या का ख्याल मन से निकाल दिया। एक तरह से देखें, तो उस दिन के बाद मेरा नया जन्म हुआ क्योंकि एलोपेसिया के कारण मैंने आईना देखना बंद कर दिया था लेकिन धीरे-धीरे आईने के सामने जाकर मैं खड़ी होने लगी ताकि अपने इस नए रूप को स्वीकार कर सकूं। फिर एक रोज ऐसी ही खुद को देखते-देखते मन में ख्याल आया कि मैं भी एक टैटू बनवाऊं लेकिन कहां और उसी वक्त मुझे अहसास हुआ की मेरे पास तो पूरा कैनवास है। बस उसके बाद मैंने सिर पर टैटू बनवा लिया।” टैटू को लेकर हुए दर्द के बारे में वे कहती हैं कि “टैटू की सुइयों के दर्द के साथ मेरे अंदर का दर्द भी आंसुओं में बह गया।”

अब जीवन का है एक मकसद

केतकी बताती हैं कि अब उनकी जिंदगी का केवल एक ही मकसद है, वो है एलोपेशिया से जुझ रहे लोगों को मनोबल प्रदान करना। केतकी की यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक है। एक वाकया याद करते हुए वे कहती हैं, एक बार जब दिल्ली में आयोजित मिस इंडिया प्रतियोगिता में बस यूं ही भाग ले लिया था क्योंकि इतना पता था कि मैं शायद ना जीत पाऊं लेकिन उस समय वहां मौजूद जज जीनत अमान ने मुझसे कहा था कि आज ताज कोई भी पहने लेकिन मेरे लिए तुम विजेता हो। तुमने एक ऐसा ताज पहना है, जो ताउम्र तुम्हारे माथे पर सजा रहेगा। उसके बाद साल 2018 में फिलिपिंस में आयोजित मिस यूनिवर्स में जाने का मौका मिला और वहां भी मिस यूनिवर्स कांफिडेंट का ताज मेरे सिर पर सजा। उसके बाद तो जैसे ताजों की झड़ी लग गई हो। साल 2017 में भारत प्रेरणा अवार्ड, साल 2021 में Women of Worthiness अवार्ड, साल 2021 में ही Queen’s Golden League Award, Wonder Women Awards हासिल किया। साथ ही Pride of Pune 2022 अवार्ड भी हासिल कर चुकी हैं। केतकी के संघर्ष पर प्रसिद्ध लेखक प्रफुल शाह ने ‘अग्निजा’ (आग की बेटी) नाम से उपन्यास लिखा है।‌ केतकी जानी एलोपेशिया पर ‘बाल हो न हो’ नामक पॉडकास्ट शो भी कर रही हैं।

बाल होना महिला की पहचान है?

बाल होना या ना होना कभी किसी इंसान की पहचान नहीं हो सकती है लेकिन समाज में महिलाओं की पहचान उनके बालों से जोड़कर ही देखी जाती है। किसी भी प्रचार-प्रसार में कंघी में बाल अगर दिखाए जाते हैं, तब वे बाल महिला के ही होते हैं। लोगों को ये समझना होगा कि बाल होने से महिलाओं की पहचान नहीं है बल्कि महिलाओं की बुलंदियों से उनकी पहचान है। एलोपेशिया की बीमारी महिला या पुरुष किसी को भी हो सकती है, जब बीमारी समान रुप से किसी भी इंसान को प्रभावित कर रही है, तब समाज को भी लोगों को समान रूप से अपनाना चाहिए। जब पुरुषों के गंजेपन को लोग सामान्य रूप से ले सकते हैं, तब महिलाओं के गंजेपन को क्यों नहीं?

जानिए
एलोपेशिया एरेटा को

त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर क्रांति चंदन जयकर बताते हैं, एलोपेशिया एरेटा (Alopecia areata) autoimmune बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही शरीर पर हमला करने लगती है। मतलब शरीर अपने ही खिलाफ ऑटो-एंटीबॉडी बनाने लगता है और जब ये हमला हेयर फॉलिकल्स पर होता है, तब इसे एलोपेशिया एरेटा कहा जाता है। जिसमें सिर के बाल झड़ने लगते हैं और गंजेपन की समस्या हो जाती है। एलोपेशिया एरेटा में दाढ़ी के आसपास, अंडर आर्म्स, भौंह आदि के बाल भी झड़ने लगते हैं। वहीं एलोपेशिया टोटालिस (Alopecia totalis) में मरीज के सिर के सारे बाल उड़ जाते है। एलोपेशिया यूनिवर्सलिस (Alopecia universalis) में हर जगह के बाल उड़ जाते हैं।  

जिन्हें auto-immune बीमारी होती है, उनके शरीर में अन्य परेशानियां भी होती ही है, जिसकी जांच करना आवश्यक होता है। लोगों को सही पोषण लेना चाहिए और जीवनशैली में रोज सुबह-शाम आधा-एक घंटा टहलना शामिल कर लेना चाहिए। बीमारी का इलाज है लेकिन इसके लिए लोगों को अपनी जीवनशैली में बहुत बदलाव करने की जरूरत पड़ती है। 

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