डेटिंग एप्सः जहां प्यार के साथ धोखा फ्री मिलता है

श्रद्धा वालकर हत्याकांड के बाद से डेटिंग एप्स को लेकर बहुत चर्चा हो रही है इसलिए इससे जुड़े कई पहलूओं से रुबरु होना बेहद जरुरी है...

Last Updated on नवम्बर 25, 2022 by Neelam Singh

श्रद्धा वालकर केस के बाद से डेटिंग एप्स का बाजार काफी गर्म हो गया है। Mondovo के अनुसार Google पर बेस्ट डेटिंग किवर्ड में सबसे पहला नाम Bumble है। उसके बाद dating sites, dating apps, dating, date in asia, relationship आदि शामिल हैं। Bumble, Hinge, Badoo, Tinder,  Dinder, TrulyMadly, Aisle, QuackQuack, जैसे शब्द सुनने में बिल्कुल बकवास या non-sensical लगते हैं क्योंकि इनका कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलता है मगर इन सब में एक बात समान है कि ये लोगों को जोड़ने का काम करते हैं।

जोड़ने का काम तो अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स भी करते हैं, जैसे – फेसबुक, इंस्टाग्राम, लाइन या व्हाट्सएप्प लेकिन इन्हे डेटिंग ऍप्स की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। फिर डेटिंग एप्स में ऐसी क्या खासियत है कि इन्हें रिश्तों की परिभाषा मानकर लोग धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं? 

अंतर बस इतना सा!

जहाँ सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम को इस्तेमाल करने के लिए कोई सब्सक्रिप्शन चार्ज नहीं लिया जाता वहीँ डेटिंग एप्स के इस्तेमाल के लिए बाकायदा सब्सक्रिप्शन फीस ली जाती है, तरह-तरह के plans भी होते हैं, और साइन-इन करने के लिए कई वेरिफिकेशन कराने होते हैं। 

हालांकि ऐसे कई वेरिफिकेशन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर भी होते हैं लेकिन इन दोनों के बीच बहुत अंतर है। इसके अलावा एक सबसे अहम अंतर यह भी है कि फेसबुक फ्रॉड को लेकर आई खबरों के कारण लोग सोशल मीडिया से ज्यादा डेटिंग एप्स या Matrimonial sites पर जाना पसंद करते हैं। साथ ही डेटिंग एप्स को केंद्र में रखकर बनाई गई वेबसीरीज जैसे- The Tinder Swindler, Love Hard नेटफिल्कस पर, Eurotrip, LOL अमेजन प्राइम वीडियो या फिल्म जैसे इंदू की जवानी के कारण भी युवा वर्ग में डेटिंग एप्स काफी लोकप्रिय बनते गए। 

अचानक नहीं हुआ परिवर्तन 

हालाँकि डेटिंग एप्स अचानक लोगों के बीच नहीं आए बल्कि साल 2014 में Tinder एप ने भारत में कदम रखा था। अब तो Tinder, Bumble और Hinge टॉप तीन डेटिंग एप्स की श्रेणी में शामिल हो गए हैं। लोगों के लिए ऑनलाइन कपड़े तक मंगवाना मुश्किल होता है क्योंकि लोग उसकी क्वालिटी और टिकाऊ होने को लेकर शंकित रहते हैं लेकिन कोरोना के समय आए लॉकडाउन ने डेटिंग एप्स को लोगों के बीच मशहुर बना दिया। इसका अदांजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्च 2020 में टिंडर ने एक दिन में 3 बिलियन स्वाइप दर्ज किए। 

वहीं मार्च से मई 2020 तक OkCupid पर डेटिंग के आंकड़ों में 700% की वृद्धि दर्ज हुई। Bumble पर वीडियो कॉल में 70% की वृद्धि हुई। डेटिंग एप्स के युजर इंटरफेस को बिल्कुल ऐसा डिजाइन किया जाता है, जिसे लोग आसानी से इस्तेमाल कर सके। इसे Persuasive Design कहा जाता है मतलब उपभोक्ता को किसी चीज की लत लगा देना। अगर किसी व्यक्ति को कहीं पर भी प्राइवेसी के साथ pleasure मिले तो उसकी लत लगना सामान्य बात है इसलिए डेटिंग एप्स अचानक आ गए ऐसा कहना सार्थक नहीं लगता क्योंकि कुछ भी अचानक नहीं होता बल्कि लंबे समय बाद उसके परिणामों पर लोगों का ध्यान जाता है।

QuackQuack के सीईओ रवि मित्तल ने अनुसार, “लॉकडाउन की घोषणा के बाद से हमने उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि देखी है, जिससे एक बात तो स्पष्ट है कि लोग अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए साथी की तलाश कर रहे हैं।”

लॉकडाउन के दौरान लोगों को एकाकीपन सताने लगा और उन्हें साथी की कमी महसूस हुई और यही कारण बना कि डेटिंग एप्स पर लोगों का जमावड़ा बढ़ता गया। डेटिंग एप्स की बढ़ती संख्या ने जहाँ एक ओर गुणवत्ता में कमी कर दी है वहीँ अब लोगों में कैजुअल रिलेशनशिप की धारणा बढ़ रही है, जिस कारण डेटिंग एप्स लोकप्रिय होते जा रहे हैं। मगर डेटिंग एप्स को इस्तेमाल करने से पहले कई तरह की जांच करना जरुरी है। 

ध्यान रखें ये बातें

  • अगर किसी प्रोफाइल की जांच करनी हो, तो गुगल रिवर्स इमेज सर्च, Tin Eye के द्वारा किया जा सकता है। इससे इंटरनेट पर मौजूद वो इमेज आपको दिख जाएगी, जिसके जरिए आप किसी अकाउंट के असली या नकली होने की जांच कर सकते हैं। 
  • प्रोफाइल में अन्य सोशल मीडिया लिंक्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम का ना होना। 
  • प्रोफाइल पर मौजूद बॉयो को भी गुगल सर्च किया जा सकता है। 
  • सामान्य बातचीत में कुछ ज्यादा अच्छा बनने या दिखावा लगने पर भी सर्तक होने की जरुरत होती है। 
  • किसी एक धर्म या जाति के प्रचार की पोस्ट, बॉयो या तस्वीर। 
  • डेटिंग एप्स पर इंस्टैंट मैसेज के ऑप्शन भी होते हैं। अगर कोई बार-बार इंस्टैंट मैसेज कर रहा है, तब भी आपको सर्तकता बरतने की जरुरत है।
  • केवल एक तस्वीर का होना, प्रोफाइल का अधूरा होना, अगर सेल्फी अपलोड की गई है; तब सेल्फी का भी अधूरा होना, कनेक्शन का कम होना या फोलोवर्स का कम होना, लोकेशन की गलत जानकारी देना, वीडियो चैट के लिए बार-बार मना करना या मिलने की बात पर एतराज जताना भी प्रोफाइल को संशय के घेरे में ला सकता है। 

व्यावहारिक बुद्धि का करें इस्तेमाल

हालांकि ये केवल कुछ बिंदू हैं, जिनके जरिए असली या नकली की जांच की जा सकती है। बदलते वक्त के साथ लोगों की सोच में भी बदलाव हुआ है। पहले जहां लोगों की मुलाकातें मंदिर, पार्क या किसी खास पारिवारिक मौके पर होती थी, उसकी जगह अब इन एप्स ने ले ली है लेकिन बदलाव के साथ लोगों की मानसिकता भी बदली है और अपराध के तरीकों में भी बदलाव हुए हैं। ऐसे समय पर नसीहतों से ज्यादा व्यावहारिक बुद्धि का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 

डेटिंग एप्स के बढ़ते चलन को देखते हुए साल 1954 में आई फिल्म आर-पार का एक गाना ऐसी स्थिति पर सटीक बैठता है:
“बाबूजी धीरे चलना
प्यार में जरा संभालना,
बड़े धोखें हैं
बड़े धोखें हैं इस राह में”

इसलिए जरा संभलकर।

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