पहाड़ी इलाकों को जकड़ रहा है कैंसर का दर्द

कैंसर को ठीक करने के लिए जितनी जागरुकता जरुरी है, उससे कहीं ज्यादा संसाधनों की उपल्बधता भी जरुरी है मगर पहाड़ी इलाके आज भी मूलभूत चिकित्सीय सुविधाओं से वंचित हैं।

Last Updated on अगस्त 30, 2022 by Neelam Singh

पहाड़ी इलाकों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना हमेशा से एक चुनौती रही है क्योंकि दुर्गम क्षेत्र होने के कारण अधिकतर सुविधायें यहाँ पहुँच ही नहीं पाती हैं। उत्तराखंड में तकरीबन विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी 57% है। हालांकि मेडिकल काॅलेजों में बांड आधारित शिक्षा व्यवस्था शुरू की गई थी मगर इसका बहुत अधिक फायदा देखने को नहीं मिला है। साथ ही राज्य में कैंसर के केस निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में कैंसर का आंकड़ा दूसरे स्थान पर है।  

लोगों में कैंसर का भय इस कदर व्यापत है कि लोग कैंसर के नाम से ही डर जा रहे हैं। वहीं लोगों को कैंसर के बारे में तब पता लग रहा है, जब वे अन्य रोगों की जांच करवा रहे हैं। इंडियन काउसिंल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार उत्तराखंड में कैंसर रोगियों की संख्या पूरे देश के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। पूरे देश में जहां कैंसर रोगी सालाना 9.2% की दर से बढ़ रहे हैं, वहीँ उत्तराखंड में यह आंकड़ा 10.15% है। एक रिपोर्ट के अनुसार राज्य में कुल कैंसर रोगियों में से 28.97% मरीज मुंह और फेफड़ों के कैंसर से ग्रसित हैं।

लत ने छीन ली खुशियां  

ग्राम गुना, जिला अल्मोड़ा के रमेश जोशी को छोटी उम्र में ही गुटखा की लत पड़ गई थी, जिस कारण वे एक दिन में 10 से 15 पैकेट तक खा लेते थे। पैसे न होने पर दोस्तों या किसी भी माध्यम से इन पैकेटों की व्यवस्था कर लेते थे। कुछ समय बाद गुटखा की लत के साथ साथ शराब की लत ने भी उन्हें जकड़ लिया, जिसका दुष्प्रभाव उनके जीवन में मात्र 33 वर्ष की आयु में देखने को मिला और वे कैंसर रोग से ग्रसित हो गए। परिवार की आर्थिक व्यवस्था कमजोर होने के कारण प्राईवेट अस्पताल में इलाज कराना सम्भव नहीं था, इसलिए सरकारी अस्पताल में इलाज करवाया जा रहा है, जहां धनराशि तो कम है मगर रोगियों व डॉक्टर्स का अनुपात बहुत ज्यादा है। 

स्वामी राम कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी में वर्ष 2010 में जब कैंसर डिपार्टमेंट शुरू किया गया, तब कैंसर मरीजों की संख्या 2800-3000 प्रतिवर्ष होती थी जो वर्तमान में 9500-10000 तक हो गई है। यह राज्य के लिए अत्यन्त ही ज्वलन्त मुद्दा है, जिस पर तुरन्त कार्य किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही वर्तमान में चल रहे कार्यों की समीक्षा भी की जानी चाहिए। 

राशन से ज्यादा गुटखा की बिक्री 

ग्राम सेलालेख के स्थानीय दुकानदार हरीश सिंह के अनुसार उनकी दुकान में आटा-चावल की उतनी बिक्री नहीं होती जितनी गुटखा या पुड़िया की होती है। उनके अनुसार प्रतिमाह आटा चावल रु.20000/ तक का बिकता है जबकि गुटखा रु.45000/ तक का बिक जाता है। यह ग्राम की एक छोटी दुकान का हाल है, जहां लोग ज्यादा नहीं हैं। 

आज के शिक्षित समाज में लोगों को इसके नुकसान की जानकारी होने के बावजूद भी इसको खाने की ललक बुरे हालात की ओर संकेत कर रहे हैं। इसके प्रति सभी को जागरूक होने की जरूरत है, जब हम जागरूक होंगे तो अन्य को जागरूक कर पाने में सक्षम होंगे व भविष्य में इससे होने वाली मौतों की संख्या को कम कर सकने में सहायक हो सकेंगे। 

रोकथाम है बेहतर उपाय 

डाॅ. महेश गुप्ता (काल्पनिक नाम) टी बी सेनटोरियम, भवाली, नैनीताल के अनुसार राज्य में कैंसर के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण सिगरेट, बीड़ी व गुटखा उत्पादों का सेवन है। गुटखा सेवन से मुंह के कैंसर में तेजी देखने को मिल रही है, जिसमें युवा वर्ग के मरीज अधिक है जो चिन्ता का विषय है। उनके अनुसार मिलावटी खान-पान व फास्ट फूड का सेवन भी कैंसर का मुख्य कारण बन रहा है। मिलावट रहित खान-पान, धुम्रपान से दूरी एवं जीवनशैली में व्यायाम को शामिल करने से कैंसर से बचाव सम्भव है। 

साथ ही सही समय पर जागरुक होने के साथ-साथ वक्त रहते चिकित्सीय परामर्श भी बीमारी को ठीक करने में अहम भूमिका निभाता है, जिसे सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व होना चाहिए ताकि पहाड़ी इलाके के लोग भी कैंसर से लड़ सकें और खुशहाल जीवन जी सकें।

Disclaimer: Medical Science is an ever evolving field. We strive to keep this page updated. In case you notice any discrepancy in the content, please inform us at [email protected]. You can futher read our Correction Policy here. Never disregard professional medical advice or delay seeking medical treatment because of something you have read on or accessed through this website or it's social media channels. Read our Full Disclaimer Here for further information.

Subscribe to our newsletter

Stay updated about fake news trending on social media, health tips, diet tips, Q&A and videos - all about health