नैध्रवं ने दिव्यांगों के लिए बनाया स्पेशल स्कूटर

अगर इंसान के अंदर कुछ कर गुजरने की इच्छा हो, तो कोई भी बाधा उसे नहीं रोक सकती. कुछ ऐसी ही कहानी है, इस चेंजमेकर की जिसने अपनी मेहनत की बदौलत अपनी दिव्यांगता को मात दी...

Last Updated on दिसम्बर 26, 2022 by Neelam Singh

दिव्यांग का अर्थ शारीरिक दुर्बलता नहीं है, यदि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो हर बाधा के दूर किया जा सकता है। कुछ ऐसी ही दृढ़ इच्छाशक्ति नैध्रवं की भी है जिन्होंने अपनी दिव्यांगता को अपने जीवन का अवरोध नहीं बल्कि अपने लिए पहचान का साधन बना डाला। 

चेन्नई के रहने वाले 25 वर्षीय नैध्रवं बचपन से ही Muscular dystrophy से ग्रसित थे, जिस कारण शुरु से ही उन्हें आम जीवन जीने में परेशानी होती थी। यहां तक के उनके घरवाले भी नैध्रवं को लेकर अपना मन बना चुके थे कि उन्हें अपने बेटे का साथ हमेशा देते रहना होगा। एक समय ऐसा भी था, जब नैध्रवं को लगता था कि उनकी दिव्यांगता उनके साथ हमेशा लगी रहेगी और उन्हें अपने रोजमर्रा के काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ेगा। 

बनना चाहते थे ऑटोमोबाइल इंजीनियर 

नैध्रवं के पिता एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर हैं, जिस कारण उन्हें भी अपने पिता की तरह इंजीनियरिंग करने की इच्छा थी लेकिन दिव्यांगता के कारण उन्होंने Commerce लिया क्योंकि उन्हें लगता था कि वे घंटों साइंस लैब में खड़े नहीं हो पाएंगे। नैध्रवं बताते हैं, “मुझे एहसास होने लग गया था कि 30 की उम्र के बाद मैं व्हीलचेयर पर चला जाऊंगा क्योंकि मेरी स्थिति खराब होने लगी थी लेकिन मैं दूसरों पर निर्भर नहीं रहना चाहता था।” 

एमबीए के समय नैध्रवं की हालत और ज्यादा खराब होने लगी थी। उनके हिप डिस्कोलेट हो गए और ankle (टखना) भी बहुत बुरी तरह से प्रभावित हो गए, जिसके बाद उन्हें पहले जैसे चलने में भी दिक्कत होने लगी। उनके पास सर्जरी का भी विकल्प था लेकिन वे जानते थे कि सर्जरी के बाद भी ठीक होने की पूरी संभावना नहीं थी। 

कई कंपनियों ने किया रिजेक्ट 

नैध्रवं को अपनी दिव्यांगता के कारण कई कंपनियों ने उन्हें रोजगार देने से मना कर दिया लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी। वे बताते हैं, “मुझे इन सब चीजों को देखने के बाद इस बात का एहसास हो गया था कि मैं कुछ ऐसा करूँ कि मेरे जैसे लोग दूसरों पर निर्भर न रहें।” 

नैध्रवं ने इसके पहले कई कंपनियों के साथ दो सालों तक Freelancer के तौर पर काम किया था। वे बताते हैं कि उनकी इच्छा German Accelerator Program में शामिल होने की थी मगर किसी कारणवश वे उसमें शामिल नहीं हो पाए। यहां तक की उनके कई प्रपोजल भी रिजेक्ट हो गए, जिसके बाद उन्होंने अपना काम शुरु करने का निश्चय किया। 

फंडिंग के लिए मिला सहयोग 

उन्हें Prime Minister Employment Generation Scheme of the Government of Tamil Nadu द्वारा फंडिंग मिली। साल 2016 में उन्होंने Nappinnai नाम से अपने कंपनी की शुरुआत की, जिसके लिए उन्होंने साल 2014 से मेहनत की थी। Nappinnai को उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया, जो किसी एक्सीडेंट या किसी कारण से चल नहीं सकते थे या दिव्यांग की श्रेणी में आते थे।  

Naindharv

नैध्रवं बताते हैं, “दिव्यांगों के लिए अकसर कहा जाता है कि उन्हें एक सुरक्षित नौकरी करनी चाहिए मगर मैं ऐसा नहीं मानताा इसलिए मैंने सोचा कि मैं वो ही करुंगा जो मैं करना चाहता हूं और कोई दिव्यांगता आपको आपके सपने पूरे करने से नहीं रोक सकती।” 

नैध्रवं की बनाई स्पेशल स्कूटर की कीमत 18,999 रुपये से शुरु है और बिल्कुल इको-फ्रेंडली है। यह 200 किलोग्राम तक का वजन आसानी से उठा सकती है। यहां तक की 3-4 घंटें में पूरी तरह से चार्ज भी हो जाती है। आज वे अपनी लगन और मेहनत से अनेक दिव्यांगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं। नैध्रवं की बनाई स्कूटर उनके वेबसाइट पर मौजूद है, जहां से आप टेस्ट ड्राइव का भी विकल्प चुन सकते हैं। उनका फेसबुक पेज और इंस्टाग्राम पेज भी है, जिसे आप देख सकते हैं। 

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