मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा एक स्मार्ट बेड

आइए चेंजमेकर्स की इस कड़ी में जानते हैं, एक स्मार्ट बेड की कहानी, जिसे बनाया है हैदराबाद के रहने वाले प्रभाकर अल्लादी ने...

Last Updated on नवम्बर 25, 2022 by Shabnam Sengupta

आज भी डॉक्टरों द्वारा बेड रेस्ट का नाम सुनकर मरीज के साथ-साथ घरवालों के चेहरे पर भी मायूसी छा जाती है क्योंकि जहां एक ओर मरीजों को 24 घंटे सहारे की जरुरत है, तो वहीं उनकी देखभाल करने वालों की दिनचर्या भी बिगड़ जाती है। लेकिन हैदराबाद के रहने वाले 59 वर्षीय प्रभाकर अल्लादी ने एक ऐसे बेड का निर्माण किया है, जो मरीजों की दैनिक जरुरतों का प्रबंधन करने में बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। 

Smart Bed

पिता को देखकर मिली सीख 

प्रभाकर बताते हैं कि उनके पिता एक इलेक्ट्रीशियन थे। अपने पिता को काम करते देख उनके मन में इच्छा होती थी कि वे भी इलेक्ट्रोनिक उपकरणों से कुछ नया विकसित करें इसलिए उन्होंने 10वीं कक्षा के बाद इसी क्षेत्र को चुना। बचपन से ही नई चीजें बनाने की ललक और चाहत को देखते हुए साल १९८० से एक अविष्कारक के तौर पर अपनी यात्रा शुरु की थी।1984 में प्रभाकर ने अपना स्वयं का सेवा केंद्र भी स्थापित किया।

वे बताते हैं, “मुझे फिल्मों का शौक रहा है इसलिए मैं बहुत सारी फिल्में देखता था। यहां तक ​​कि मरम्मत करने के लिए थिएटर भी जाता था। बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली बंद हो जाना और शो का अचानक समाप्त होना एक सामान्य घटना थी। इसने मुझे एक स्वचालित जनरेटर स्टार्टर का बनाने की प्रेरणा दी।”

कर चुके हैं कई आविष्कार 

उन्होंने अब तक एक स्वचालित जनरेटर स्टार्टर (1986), फ़र्टी ऐप्लिकेटर (1993), कृषि मोटर टाइमर स्टार्टर (1999), हल्दी उबलते इकाई (2011), विद्युत पोल क्लिप (2014) सहित 20 पेटेंट उपकरणों का आविष्कार किया है। , सोलर टाइमर ट्रैकर (2014), रिडिजाइन सोक पिट्स (2015), बोर वेल-पुलिंग मशीन (2015), जंबो एयर कूलर (2016), कमोड व्हीलचेयर (2017), वीडर (2017), ऑटोमैटिक व्हीकल हेडलाइट डिपर (2017), सेल्फ चार्जिंग इलेक्ट्रिक व्हीकल (2018) और कोकोनट श्रेडिंग मशीन (2022) का आविष्कार किया है। 

अब उन्होंने एक स्मार्ट बेड का आविष्कार किया है, जो बेड रेस्ट वाले मरीजों की जीवनचर्या को आसान बनाएगा। उनके द्वारा बनाए गए स्मार्ट बेड में मरीज स्वयं स्नान कर सकेंगे, मिनी शौचालय द्वारा उन्हें किसी के मदद की जरुरत नहीं पड़ेगी। साथ ही इसमें एक आसान पुशबैक प्रणाली का भी प्रयोग किया गया है, जो रोगियों को आसानी से उठने और बैठने में मदद करती है। 

मरीजों की तकलीफों ने किया प्रेरित

प्रभाकर बताते हैं, “मैंने अस्पताल में अपने रिश्तेदारों को देखा है कि कैसे उन्हें उठने और अपनी दैनिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए एक से अधिक व्यक्तियों की सहायता की आवश्यकता थी। उनमें से अधिकांश इसके बारे में दुखी महसूस करते थे लेकिन अब ‘प्रभात वर्सेटाइल बेड’ का उपयोग करके वे बाहरी मदद को काफी कम कर सकते हैं।” 

अस्पताल के बेड की तरह इसमें रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों तरफ ग्रिल हैं। पुश-बैक सीट को लीवर के माध्यम से आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें पानी का कनेक्शन दिया गया है, जिससे हैंड शॉवर और वॉश बेसिन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। 

Smart Bed

उन्होंने आगे कहा, “बेड में पानी का कनेक्शन दिया जा सकता है। मिनी शौचालय सुविधा का उपयोग करने के बाद फ्लश करना भी संभव है। आवश्यक वस्तुओं को संग्रहीत करने के लिए बेड से एक मध्यम आकार की अलमारी भी जुड़ी हुई है।”

यहां से कर सकते हैं खरीददारी 

प्रभाकर ने पहला बेड बनाने में करीब 50,000 रुपये खर्च किए थे। इस बेड को बनाने में फाइबर और आयरन का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी कीमत 26,000 रुपये है। इस बेड को प्रभात इंडस्ट्रीज के फेसबुक पेज और वेबसाइट के माध्यम से बेचा जाता है। साल 2022 में उन्हें बौद्धिक संपदा भारत (IPI), मद्रास क्षेत्र से बेड के लिए एक पेटेंट प्राप्त हुआ है।

अपने आविषकारों के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं। उनके उद्योग को रूरल इनोवेटर्स स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2019 में सर्वश्रेष्ठ स्टार्टअप पुरस्कार मिला था। उन्होंने तेलंगाना स्थापना दिवस 2018 में सर्वश्रेष्ठ उद्योग पुरस्कार भी जीता था।

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