जानिए अवसाद के कारण, लक्षण व उपचार डॉ बिंदा सिंह के साथ

Last Updated on जनवरी 5, 2023 by Neelam Singh

अवसाद या डिप्रेशन आज एक गंभीर मानसिक विकार बन चुका है। विश्व भर मे करीब 5 प्रतिशत लोग इससे  ग्रसित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में अवसाद के सबसे ज़्यादा मामले सामने आये हैं जहाँ प्रत्येक तीन में से एक व्यक्ति अवसाद से ग्रसित है। 

अवसाद और उसके कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को जानने के लिए  THIP Media ने पटना की जानी मानी मनोविश्लेषक डॉ बिंदा सिंह से बातचीत की।

प्रश्न: अवसाद क्या है?

डॉ बिंदा सिंह: अवसाद एक मानसिक अवस्था है  जिससे अधिकतर लोग अक्सर  गुज़रते हैं। किसी परीक्षा में हुई असफलता, परिवार में हुई कोई घटना या किसी की मृत्यु की वजह से अवसाद हो सकता है। हालांकि अवसाद के लक्षण मानसिक अवस्था के होते हैं, पर वह शारीरिक तौर पर भी  दिखायी देते  हैं। जैसे, अवसाद से ग्रसित लोगों में उदासीनता, नींद की कमी, घबराहट, लोगों से बात करने से बचना, कटे-कटे से रहने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

अवसाद (Depression)  तीन तरह के होते हैं – Mild, Moderate और Severe। आम तौर पर सभी लोग किसी न किसी तरह के दुख से गुज़रते रहते हैं। लेकिन अगर यह लंबे समय तक चलता रहे तो वह clinical depression में बदल जाता है जिसके बाद लोगों में शारीरिक समस्याओं के अलावा delusion, hallucination और कई ऐसी समस्याएं देखने को मिलती हैं जिन्हें असामान्य व्यवहार माना जाता है।

प्रश्न: किसी व्यक्ति में अवसाद की पहचान कैसे की जाती है?

डॉ बिंदा सिंह: अगर आप अपने आसपास किसी ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जिनके व्यवहार में अचानक कुछ बदलाव आए हैं जैसे कि लोगों से बात बंद कर देना, भूख नहीं लगना, कमरे में खुद को बंद कर लेना और बेचैनी की वजह से सो न पाना, तो फिर आपको सतर्क हो जाना चाहिए क्योंकि इन लक्षणों से ये समझ लेना चाहिये कि वह व्यक्ति उदासीनता की तरफ बढ़ रहा है। 

प्रश्न: आज की  युवा पीढ़ी को आधुनिक जीवनशैली किस तरह से प्रभावित कर रही है?

डॉ बिंदा सिंह: आधुनिक जीवनशैली निश्चित रूप से लोगों को प्रभावित कर रही है। हर वक़्त मोबाईल फोन पर लगे रहना आज कल सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। इसके अलावा आज के समय में हर कोई हर चीज तुरंत पाना चाहता  हैं और ऐसे में जब थोड़ी सी भी असफलता मिलती है तो लोग तुरंत ही निराश होकर अवसाद की तरफ बढ़ने लगते हैं। आधुनिकता के साथ परिवारों में अकेलापन भी आने लगा है क्योंकि अभिभावकों के पास बच्चों से बात करने का समय ज़्यादा नहीं होता है और ऐसे में बच्चे अकेला महसूस करने लगते हैं। इसका भी व्यक्ति के मानसिक अवस्था पर प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न: क्या अवसाद को किसी घरेलू उपचार से ठीक किया जा सकता है?

डॉ बिंदा सिंह: धूप का सेवन करना, मौसमी फल खाना और अच्छा पौष्टिक खाना एक व्यक्ति के मानसिक अवस्था पर असर ज़रूर डालता है पर इससे अवसाद का उपचार नहीं हो सकता है ।

प्रश्न: अवसाद को कैसे ठीक कर सकते हैं?

डॉ बिंदा सिंह: अवसाद को अपने जीवन पर हावी होने से बचाने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना आवश्यक है। सकारात्मक सोच और एक व्यवस्थित दिनचर्या इसके लिए बहुत ही ज़रूरी है। रोज़ाना 6-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। अपनी दिनचर्या पर ध्यान नहीं देना और रात भर मोबाईल फोन का इस्तेमाल करने से मानसिक स्थिति पर विपरीत  प्रभाव पड़ने लगता है। इसके अलावा फास्ट फूड का सेवन जितना हो सके कम करें और घर का खाना खायें। यह इसलिए क्योंकि मानसिक बीमारियों का संबंध कई बार शारीरिक बीमारियों से भी होता है। अपने आसपास की प्रकृति से भी जुड़ा रहना बहुत ज़रूरी है। अपने परिवार के सदस्यों से एवं मित्रों से बातचीत भी करते रहना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आपको यह लगता है कि आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति अवसाद से ग्रसित है, तो आपको किसी डॉक्टर या साइकोलजिस्ट से बात करनी चाहिए। जिस तरह आपको बुखार या किसी और तरह की बीमारी होती है, अवसाद बिल्कुल उसी तरह से एक बीमारी है। इसलिए बिना हिचकिचाहट के डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक होता है।

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