सारांश
सोशल मीडिया पर बहुत्ते पोस्ट में दावा करल गइल बा कि १० सेकंड तक सांस रोके से कोविद १९ के स्वयं जांच होसकेला, जबकि औरो दावा बा कि १ मिनट तक सांस रोके से कोविद ना हो सके ला। हमनी के जांच कइनी और पाइल गइल की कोविद १९ के जांच करे वाला ‘सांस रोकके रखल जाईल’ वाला बात गलत बा।
दावा
सोशल मीडिया पे बहुत तरह के दावा करल जा रहल बा जेमे लोगो के सुझाव देवल जाता की सांस रोके से कुछ देर COVID-19 के पता लगावल जा सकेला। अइसने एक जगह और पोस्ट में कहल गई रहे की नावेल कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों में 50% फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस होवेला। इ तरह के एक पोस्ट का एक संग्रहीत संस्करण इंहा बा और स्नैपशॉट नीचे देखल जा सकेला।

सुप्रसिद्ध योग गुरु रामदेव भी इ साफ साफ दावा करले बारन की, जेमे लोगन के इ कहल गइल बा की 1 मिनट ले सांस रोके से इ पता चल जाई की रउवा कोविद-19 के रोगी बानी की ना।
साँच के पड़ताल
का COVID-19 के कउनो स्व परीक्षण बा?
दुनिया भर में बहुते संगठन द्वारा लक्षण के जांच करे वाला बहुते ऑनलाइन साधन शुरू करल गइल बा। आरोग्य सेतु जौना की भारत सरकार के एगो आधिकारिक एप्लिकेशन बा, जेकरा में कोविद-19 के दिखाई देवे वाला लक्षण जइसन की बुखार, गला में खराश, थकान, सुखल खांसी आदि के स्वयं मूल्यांकन के सुविधा देवेला। अगर लक्षण सकारात्मक दिखी, तो रोगि लोगन के आगे रक्त जांच ला सलाह देवल जायेला जो इ सुनिश्चित करेला कि उनकरा कोविद-19 बा या ना। USFDA हाले में कोविद-19 के घरे पे आत्म परीक्षण ला एगो रक्त परीक्षण किट के मंजूरी देले बा। इ परीक्षण डॉक्टरों के परामर्श और निर्देशों के अनुसार ही करे के परी।
लेकिन ‘सांस रोककर रखे वाला ‘ कौनो लक्षण जांचे वाला या बीमारी ला इ वैध परीक्षण नइखे।
का कोविद-19 वाला सभनि मरीज के सांस लेवे में दिक्कत होवेला?
सभनि कोविद-19 वाला रोगि में एक जइसन लक्षण ना होवेला। एकरा अलावा, विशेष लक्षण के गंभीरता भी एगो आदमी से दुसरका में भिन्न होवेला।

संजीव जैन, सलाहकार – पल्मोनोलॉजिस्ट, फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली, के अनुसार, “हमनी के केवल कुछ मुट्ठी भर रोगी के देखतानी जे वास्तव में सांस लेवे के समस्या के शिकायत करेलन। इ उ कोविदरोगियों में से आधा से कम बा जिनकर हम इलाज करेनी।”
एहीसे, अगर इ कहल जाए की कोविद-19 के सभी रोगी के सांस लेवे में दिक्कत होवेला या कोविद-19 के मरीज़ सांस न रोक सकेला, इ बात गलत बाटे ।
फेफड़ों का फाइब्रोसिस का होवेला? का सभी कोरोनोवायरस रोगियों में 50 प्रतिशत फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस होवेला?
पल्मोनरी फाइब्रोसिस (PF) अंतरालीय फेफ़ड़ा के बीमारी का एगो रूप बा जेमे फेफड़ा में निशान (क्षतचिह्न) बनजायेला। इ एगो प्रगतिशील बीमारी बा और उम्र या समय के साथ बढ़ते जायेला। इ बीमारी में फेफड़े के टिश्यू सख्त हो जायेला और मरीज को सांस लेवे में दिक्कत करदेवेला।
डॉ जैन कहेलन, “जौन रोगि में श्वसन संबंधी गंभीर जटिलताएँ होवेला, ऊ गंभीर एआरडीएस की ओर बढ़ सकेला, जेकरा से फेफड़ा में फाइब्रोसिस हो सकेला। लेकिन एकरा मतलब इ नइखे कि प्रत्येक सीओवीआईडी रोगी के फेफ़ड़ा में फाइब्रोसिस होये के खतरा बा। एकरा के मापेला कौनो अध्ययन नइखे करल गइल कि इ कहल जा सके फुफ्फुसीय फाइब्रोसिस के मामले में भी इ 50% तक बढ़ सकी। हर रोगि के इलाज के विशेषज्ञता के अनुसार, डेटा अस्पताल से अस्पताल में अलग-अलग हो सकेला।”
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